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लखनऊ: टेंडर होने के बावजूद नहीं बन रहा अस्पतालों में 'सेंट्रल मेडिकल गैस पाइपलाइन' - central medical gas pipeline system

प्रदेश के 24 अस्पतालों में सेंट्रल मेडिकल गैस पाइपलाइन बनाने की जिम्मेदारी यूपी आवास विकास परिषद को सौंपी गई थी. टेंडर पास होने के बावजूद कार्य अभी तक शुरू नहीं हो सका है.

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सेंट्रल मेडिकल गैस पाइपलाइन की नहीं मिल पा रही सुविधा
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Published : Jan 31, 2020, 6:26 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के 24 सरकारी अस्पतालों में बीते दिनों बेहतर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए सेंट्रल मेडिकल गैस पाइपलाइन की सुविधा देने के लिए कहा गया था. इसके लिए टेंडर भी हो गया, लेकिन यह काम अधिकारियों की लापरवाही से अभी तक पूरा नहीं हो सका है.

सेंट्रल मेडिकल गैस पाइपलाइन की नहीं मिल पा रही सुविधा.

सेंट्रल गैस पाइपलाइन का कार्य नहीं हुआ शुरू
यूपी के 24 अस्पतालों में सेंट्रल मेडिकल गैस पाइपलाइन बनाने का टेंडर पास होने के बाद भी कार्य अभी तक पूरा नहीं हो सका है. जिला अस्पताल में सुधार, विस्तार और नवीनीकरण के तहत स्वास्थ्य विभाग को सेंट्रल मेडिकल गैस पाइपलाइन, बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट के साथ सेंट्रल स्टरलाइजेशन सप्लाई डिपार्टमेंट की स्थापना कराना है, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही से अब तक कार्य ठप पड़ा है.

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यूपी आवास विकास परिषद को दी गई जिम्मेदारी
बजट पास होने के बावजूद मरीजों के लिए जरूरी सेंट्रल ऑक्सीजन सिस्टम की स्थापना नहीं हो रही है. प्रदेश के 24 अस्पतालों में इसकी स्थापना की जिम्मेदारी यूपी आवास विकास परिषद को दी गई थी. अस्पतालों के कार्य गुणवत्ता से इसके लिए महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण के अधीन गठित उच्च स्तरीय तकनीकी समिति से अनुमोदित मानक वशिष्ठ को आधार बनाया गया, इसके बाद भी कार्य ठप ही है.

इन जिलों में होनी थी स्थापना
स्वास्थ विभाग मे सूत्रों के अनुसार लखनऊ, गाजियाबाद, मुरादाबाद, अयोध्या, प्रयागराज, बिजनौर, वाराणसी, आगरा, बलिया, आजमगढ़, कुशीनगर, गोरखपुर, देवरिया, गोंडा सहित 24 जिलों के अस्पतालों में सेंट्रल मेडिकल गैस पाइपलाइन का निर्माण होना है.

इसे भी पढ़ें:- यूपी डीजीपी ओपी सिंह रिटायर, लखनऊ पुलिस लाइन में दी गई विदाई

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के 24 सरकारी अस्पतालों में बीते दिनों बेहतर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए सेंट्रल मेडिकल गैस पाइपलाइन की सुविधा देने के लिए कहा गया था. इसके लिए टेंडर भी हो गया, लेकिन यह काम अधिकारियों की लापरवाही से अभी तक पूरा नहीं हो सका है.

सेंट्रल मेडिकल गैस पाइपलाइन की नहीं मिल पा रही सुविधा.

सेंट्रल गैस पाइपलाइन का कार्य नहीं हुआ शुरू
यूपी के 24 अस्पतालों में सेंट्रल मेडिकल गैस पाइपलाइन बनाने का टेंडर पास होने के बाद भी कार्य अभी तक पूरा नहीं हो सका है. जिला अस्पताल में सुधार, विस्तार और नवीनीकरण के तहत स्वास्थ्य विभाग को सेंट्रल मेडिकल गैस पाइपलाइन, बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट के साथ सेंट्रल स्टरलाइजेशन सप्लाई डिपार्टमेंट की स्थापना कराना है, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही से अब तक कार्य ठप पड़ा है.

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यूपी आवास विकास परिषद को दी गई जिम्मेदारी
बजट पास होने के बावजूद मरीजों के लिए जरूरी सेंट्रल ऑक्सीजन सिस्टम की स्थापना नहीं हो रही है. प्रदेश के 24 अस्पतालों में इसकी स्थापना की जिम्मेदारी यूपी आवास विकास परिषद को दी गई थी. अस्पतालों के कार्य गुणवत्ता से इसके लिए महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण के अधीन गठित उच्च स्तरीय तकनीकी समिति से अनुमोदित मानक वशिष्ठ को आधार बनाया गया, इसके बाद भी कार्य ठप ही है.

इन जिलों में होनी थी स्थापना
स्वास्थ विभाग मे सूत्रों के अनुसार लखनऊ, गाजियाबाद, मुरादाबाद, अयोध्या, प्रयागराज, बिजनौर, वाराणसी, आगरा, बलिया, आजमगढ़, कुशीनगर, गोरखपुर, देवरिया, गोंडा सहित 24 जिलों के अस्पतालों में सेंट्रल मेडिकल गैस पाइपलाइन का निर्माण होना है.

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उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में बीते दिनों बेहतर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य एवं को ध्यान में रखते हुए सेंट्रल मेडिकल गैस पाइपलाइन की सुविधा देने के लिए कहा गया था। इसके लिए टेंडर भी हो गया। लेकिन यह काम अधिकारियों की लापरवाही से अभी भी पूरा नहीं हो सका है।




Body:उत्तर प्रदेश के 24 अस्पतालों में सेंट्रल मेडिकल गैस पाइपलाइन बनाने का कार्य टेंडर होने के बावजूद काम ठप है।जिला अस्पताल और पुरुष अस्पताल में सुधार विस्तार व नवीनीकरण के तहत स्वास्थ्य विभाग को सेंट्रल मेडिकल गैस पाइपलाइन, बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट व सेंट्रल स्टरलाइजेशन सप्लाई डिपार्टमेंट की स्थापना कराना है।लेकिन अधिकारियों की लापरवाही से अब तक सेंट्रल मेडिकल गैस पाइपलाइन बनाने का काम शुरू नहीं हो पाया है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा राजस्थान के कोटा के सरकारी अस्पताल में हुए हादसे के बाद भी सबक लेने की तैयारी नहीं है। बजट होने के बावजूद मरीजों के लिए जरूरी सेंट्रल ऑक्सीजन सिस्टम की स्थापना ना होना इसकी बानगी है।स्थिति यह है कि प्रदेश के 24 अस्पतालों में सेंट्रल के पाइप लाइन की स्थापना की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद को दी गई थी। अस्पतालों के कार्य गुणवत्ता से इसके लिए महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण के अधीन गठित उच्च स्तरीय तकनीकी समिति से अनुमोदित मानक वशिष्ठ को आधार बनाया गया। उसी मानक के अनुसार टेंडर हो गया।लेकिन काम अभी तक नहीं शुरू हो पाया। जबकि 200 करोड़ रुपए का बजट कार्यों के लिए जारी रखा।अभी यह रकम उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद के खाते में पड़ी हुई है

इन जिलों में होनी थी स्थापना

उत्तर प्रदेश के स्वास्थ विभाग मे सूत्रों के अनुसार मालूम चला है कि लखनऊ, गाजियाबाद ,मुरादाबाद ,अयोध्या ,प्रयागराज, बिजनौर ,वाराणसी ,आगरा, बलिया ,आजमगढ़, कुशीनगर, गोरखपुर ,देवरिया, गोंडा सहित 24 जिलों के अस्पतालों में सेंट्रल मेडिकल गैस पाइप लाइन का निर्माण होना है। इसके लिए कई जिले ऐसे हैं।जहां जापानी इंसेफेलाइटिस और एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम का प्रकोप है।इनका खात्मा करना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकता में रहा।तो वही इसके बाद सेंट्रल गैस पाइप लाइन का काम अधिकारियों की लापरवाही की वजह से ठप पड़ा हुआ है।

बाइट- डॉ ज्ञान प्रकाश, महानिदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य





Conclusion:हालांकि स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक द्वारा मामले पर संलिप्त अधिकारियों पर कार्यवाही की बात कही जा रही है। लेकिन सवाल है कि आखिर इस तरह की लापरवाही मासूम मरीजों की सेहत के साथ खिलवाड़ का रवैया कितना सही है।

एन्ड पीटीसी
शुभम पाण्डेय
7054605976
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