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वाराणसी: अब क्यूआर कोड से होगी दवाओं की पहचान, काला बाजारी पर लगेगी रोक

नकली दवाओं पर रोक लगाने के लिए एक पहल शुरू की गई. सरकार ने दवाओं को बनाने में उपयोग होने वाले एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रीडिएंट पर क्यूआर कोड लगाने को अनिवार्य कर दिया है.

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दवा की दुकान
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Published : Jun 15, 2022, 12:34 PM IST

वाराणसी: नकली दवाओं के कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए एक नई पहल की गई है, जिसके तहत अब दवाओं के पत्ते पर क्यूआर कोड लगेंगे और दवाओं से जुड़ी सारी जानकारी उपलब्ध हो जाएगी. जी हां, अब दवा खरीदते समय लोगों को इधर-उधर भटकने की जरूरत नहीं है. क्योंकि दवाओं के पत्ते पर लगे क्यूआर कोड को स्कैन कर लोग आसानी से उससे जुड़ी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. पहले चरण में 300 दवाओं पर क्यूआर कोड लगाया जा रहा है.

गौरतलब हो कि केंद्र सरकार ने दवाओं के बनाने में उपयोग होने वाले एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रीडिएंट पर क्यूआर कोड लगाने को अनिवार्य कर दिया है. इसको लेकर कुछ कंपनियों ने इसे लगाने की कवायद भी शुरू कर दी है. इस बारे में वाराणसी दवा विक्रेता समिति के अधिकारी संजय सिंह ने बताया कि सरकार के इस फैसले के बाद ड्रग प्राइसिंग अथॉरिटी ने 300 दवाओं पर क्यूआर कोड लगाने की तैयारी कर ली है. इसके साथ ही स्थानीय स्तर पर भी दवा विक्रेता समिति के सदस्यों को इस बारे में जागरूक किया जा रहा है. ताकि आगामी आने वाले दिनों में सभी दवाओं पर इस तरीके की कार्यवाही हो जाए.

यह भी पढ़ें: सपा नेता पर लगा जमीन-दुकान पर अवैध कब्जा कर खाली करने के लिए 3 करोड़ की रंगदारी मांगने का आरोप

बता दें कि दवाओं के पत्ते पर क्यूआर कोड लगाने के बाद इस बात का पता आसानी से लगाया जा सकेगा कि कहीं दवा बनाने में गलत फार्मूले का इस्तेमाल तो नहीं किया गया. इसके अलावा दवा के निर्माण से जुड़ी हुई सभी जानकारियां भी मिल जाएंगी. इस बारे में ड्रग इंस्पेक्टर अमित बंसल ने बताया कि सरकार के निर्देश के बाद कुछ कंपनियों ने दवाओं के पत्ते पर क्यूआर कोड लगाने के कवायद शुरू की गई है. इस नई व्यवस्था से दवाओं के पत्ते पर लगे कोड को स्कैन करके दवा दवाओं के बारे में सारी जानकारी प्राप्त की जा सकती है. इसे न सिर्फ नकली दवाओं के कारोबार को रोका जा सकेगा, बल्कि पारदर्शिता भी बनी रहेगी.

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वाराणसी: नकली दवाओं के कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए एक नई पहल की गई है, जिसके तहत अब दवाओं के पत्ते पर क्यूआर कोड लगेंगे और दवाओं से जुड़ी सारी जानकारी उपलब्ध हो जाएगी. जी हां, अब दवा खरीदते समय लोगों को इधर-उधर भटकने की जरूरत नहीं है. क्योंकि दवाओं के पत्ते पर लगे क्यूआर कोड को स्कैन कर लोग आसानी से उससे जुड़ी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. पहले चरण में 300 दवाओं पर क्यूआर कोड लगाया जा रहा है.

गौरतलब हो कि केंद्र सरकार ने दवाओं के बनाने में उपयोग होने वाले एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रीडिएंट पर क्यूआर कोड लगाने को अनिवार्य कर दिया है. इसको लेकर कुछ कंपनियों ने इसे लगाने की कवायद भी शुरू कर दी है. इस बारे में वाराणसी दवा विक्रेता समिति के अधिकारी संजय सिंह ने बताया कि सरकार के इस फैसले के बाद ड्रग प्राइसिंग अथॉरिटी ने 300 दवाओं पर क्यूआर कोड लगाने की तैयारी कर ली है. इसके साथ ही स्थानीय स्तर पर भी दवा विक्रेता समिति के सदस्यों को इस बारे में जागरूक किया जा रहा है. ताकि आगामी आने वाले दिनों में सभी दवाओं पर इस तरीके की कार्यवाही हो जाए.

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बता दें कि दवाओं के पत्ते पर क्यूआर कोड लगाने के बाद इस बात का पता आसानी से लगाया जा सकेगा कि कहीं दवा बनाने में गलत फार्मूले का इस्तेमाल तो नहीं किया गया. इसके अलावा दवा के निर्माण से जुड़ी हुई सभी जानकारियां भी मिल जाएंगी. इस बारे में ड्रग इंस्पेक्टर अमित बंसल ने बताया कि सरकार के निर्देश के बाद कुछ कंपनियों ने दवाओं के पत्ते पर क्यूआर कोड लगाने के कवायद शुरू की गई है. इस नई व्यवस्था से दवाओं के पत्ते पर लगे कोड को स्कैन करके दवा दवाओं के बारे में सारी जानकारी प्राप्त की जा सकती है. इसे न सिर्फ नकली दवाओं के कारोबार को रोका जा सकेगा, बल्कि पारदर्शिता भी बनी रहेगी.

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