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विजय दिवस पर मध्य कमान ने शहीद सैनिकों को दी श्रद्धांजलि - जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा

विजय दिवस के अवसर पर बुधवार को लखनऊ छावनी में मध्य कमान के वार मेमोरियल स्मृतिका पर सशस्त्र बलों की तीन सेवाओं के बहादुर सैनिकों को याद किया गया. ऐसे सैनिक जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर 16 दिसंबर 1971 को देश को अपनी सबसे बड़ी सैन्य जीत दिलाई थी.

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शहीदों सैनिकों को दी श्रद्धांजलि .
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Published : Dec 16, 2020, 7:47 PM IST

लखनऊ: राजधानी में विजय दिवस पर मध्य कमान ने शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि दी. विजय दिवस के अवसर पर बुधवार को लखनऊ छावनी में मध्य कमान के वार मेमोरियल स्मृतिका पर सशस्त्र बलों की तीन सेवाओं के बहादुर सैनिकों को याद किया गया. ऐसे सैनिक, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर 16 दिसंबर 1971 में देश को अपनी सबसे बड़ी सैन्य जीत दिलाई. इस युद्ध में हिस्सा लेने वाले सैनिकों को सम्मानित भी किया गया.

देशभक्ति धुनों के बीच शहीदों को किया नमन

मध्य कमान के जनसंपर्क अधिकारी शांतनु प्रताप सिंह ने बताया कि मध्य कमान स्थित स्मृतिका वार मेमोरियल पर श्रद्धांजलि समारोह के आयोजन के साथ शुरुआत हुई. इस अवसर पर मध्य कमान के चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल एमयू नायर ने स्मृतिका पर पुष्पांजलि अर्पित कर वीर शहीदों को सलामी दी. इस दौरान लखनऊ गैरिसन के सैन्य अधिकारियों और सैनिकों ने भी देशभक्ति की धुनों के बीच स्मृतिका वार मेमोरियल पर पुष्पांजलि अर्पित कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी.

इस अवसर पर शहीद सैनिकों के सम्मान में दो मिनट का मौन रखा गया. इस दिन 1971 में पाकिस्तानी सेनाओं के प्रमुख, जनरल आमिर अब्दुल्ला खान नियाज़ी ने युद्ध में अपनी हार के बाद 93 हजार सैनिकों के साथ भारतीय सेना और मुक्तिवाहिनी की सहयोगी सेनाओं के सामने ढाका में रोमाना रेस कोर्स में आत्मसमर्पण कर दिया.

पाकिस्तान के कब्जे से कराया था मुक्त

युद्ध का नेतृत्व भारत के जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा ने किया था. यह युद्ध 3 दिसंबर 1971 को शुरू हुआ. युद्ध 14 दिनों तक चला. भारतीय सेना ने युद्ध में पाकिस्तान की आधी से अधिक आबादी को बांग्लादेश के रूप में मुक्त कराया और पाकिस्तानी सेना के लगभग एक-तिहाई हिस्से को बंदी बना लिया. भारतीय सेना के जवानों ने पूर्वी और पश्चिमी दोनों मोर्चों पर इस युद्ध में असाधारण वीरता के साथ संघर्ष किया और विश्व सैन्य इतिहास में अब तक की सबसे शानदार जीत दर्ज की.

लखनऊ: राजधानी में विजय दिवस पर मध्य कमान ने शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि दी. विजय दिवस के अवसर पर बुधवार को लखनऊ छावनी में मध्य कमान के वार मेमोरियल स्मृतिका पर सशस्त्र बलों की तीन सेवाओं के बहादुर सैनिकों को याद किया गया. ऐसे सैनिक, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर 16 दिसंबर 1971 में देश को अपनी सबसे बड़ी सैन्य जीत दिलाई. इस युद्ध में हिस्सा लेने वाले सैनिकों को सम्मानित भी किया गया.

देशभक्ति धुनों के बीच शहीदों को किया नमन

मध्य कमान के जनसंपर्क अधिकारी शांतनु प्रताप सिंह ने बताया कि मध्य कमान स्थित स्मृतिका वार मेमोरियल पर श्रद्धांजलि समारोह के आयोजन के साथ शुरुआत हुई. इस अवसर पर मध्य कमान के चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल एमयू नायर ने स्मृतिका पर पुष्पांजलि अर्पित कर वीर शहीदों को सलामी दी. इस दौरान लखनऊ गैरिसन के सैन्य अधिकारियों और सैनिकों ने भी देशभक्ति की धुनों के बीच स्मृतिका वार मेमोरियल पर पुष्पांजलि अर्पित कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी.

इस अवसर पर शहीद सैनिकों के सम्मान में दो मिनट का मौन रखा गया. इस दिन 1971 में पाकिस्तानी सेनाओं के प्रमुख, जनरल आमिर अब्दुल्ला खान नियाज़ी ने युद्ध में अपनी हार के बाद 93 हजार सैनिकों के साथ भारतीय सेना और मुक्तिवाहिनी की सहयोगी सेनाओं के सामने ढाका में रोमाना रेस कोर्स में आत्मसमर्पण कर दिया.

पाकिस्तान के कब्जे से कराया था मुक्त

युद्ध का नेतृत्व भारत के जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा ने किया था. यह युद्ध 3 दिसंबर 1971 को शुरू हुआ. युद्ध 14 दिनों तक चला. भारतीय सेना ने युद्ध में पाकिस्तान की आधी से अधिक आबादी को बांग्लादेश के रूप में मुक्त कराया और पाकिस्तानी सेना के लगभग एक-तिहाई हिस्से को बंदी बना लिया. भारतीय सेना के जवानों ने पूर्वी और पश्चिमी दोनों मोर्चों पर इस युद्ध में असाधारण वीरता के साथ संघर्ष किया और विश्व सैन्य इतिहास में अब तक की सबसे शानदार जीत दर्ज की.

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