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लखनऊ: सेना की मध्य कमान ने मनाया 57वां स्थापना दिवस, रद्द हुआ पारंपरिक समारोह - यूपी समाचार

सेना की मध्य कमान ने अपनी स्थापना के 57 वर्ष पूरे कर लिये हैं. मध्य कमान को सूर्या कमान भी कहा जाता है. एक मई 1963 को लखनऊ में मध्य कमान की स्थापना हुई थी.

लखनऊ समाचार.
मध्य कमान.
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Published : May 2, 2020, 12:16 AM IST

लखनऊ: सूर्या कमान ने एक मई को अपनी स्थापना के 57 वर्ष पूरे कर लिए हैं. वर्तमान में लॉकडाउन के कारण स्थापना दिवस पर पारंपरिक समारोह का आयोजन रद्द कर दिया गया है. मध्य कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, लेफ्टिनेंट जनरल आईएस घुमन ने मध्य कमान के युद्ध स्मारक 'स्मृतिका' पर माल्यार्पण कर उन जांबाज शहीदों की श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने राष्ट्र की सुरक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया.

मध्य कमान की जनसपंर्क अधिकारी गार्गी मलिक सिन्हा ने बताया कि मध्य कमान का गठन एक मई 1963 में लखनऊ में किया गया. मध्य कमान को सूर्या कमान के नाम से भी जाना जाता है. पिछले 57 वर्षों में सूर्या कमान ने हर बड़े ऑपरेशन यानी ऑपरेशन कैकटस लिली, ऑपरेशन पवन, ऑपरेशन रक्षक, ऑपरेशन विजय और ऑपरेशन सहायता सहित विभिन्न आंतरिक सुरक्षा ऑपरेशनों में हिस्सा लिया. इसके अलावा मध्य कमान ने आपदा प्रबंधन कार्यों और ऑपरेशन में भी अपनी अहम भूमिका निभाई है.

गार्गी मलिक सिन्हा ने बताया कि 'सूर्य' ऊर्जा का द्योतक है, जो पृथ्वी पर सभी जीवों में ऊर्जा बनाए रखने के सबसे शक्तिशाली स्रोत का प्रतिनिधित्व करता है. भौगोलिक रूप से मध्य कमान का परिक्षेत्र देश के ग्रेटर हिमालय से बंगाल की खाड़ी तक फैले सात राज्यों तक स्थित है. केंद्रीय क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए मध्य कमान अपने प्रशिक्षण के माध्यम से पूरी भारतीय सेना को प्रतिष्ठानों और लॉजिस्टिक नोड के माध्यम से सहायता प्रदान करता है.

लखनऊ: सूर्या कमान ने एक मई को अपनी स्थापना के 57 वर्ष पूरे कर लिए हैं. वर्तमान में लॉकडाउन के कारण स्थापना दिवस पर पारंपरिक समारोह का आयोजन रद्द कर दिया गया है. मध्य कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, लेफ्टिनेंट जनरल आईएस घुमन ने मध्य कमान के युद्ध स्मारक 'स्मृतिका' पर माल्यार्पण कर उन जांबाज शहीदों की श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने राष्ट्र की सुरक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया.

मध्य कमान की जनसपंर्क अधिकारी गार्गी मलिक सिन्हा ने बताया कि मध्य कमान का गठन एक मई 1963 में लखनऊ में किया गया. मध्य कमान को सूर्या कमान के नाम से भी जाना जाता है. पिछले 57 वर्षों में सूर्या कमान ने हर बड़े ऑपरेशन यानी ऑपरेशन कैकटस लिली, ऑपरेशन पवन, ऑपरेशन रक्षक, ऑपरेशन विजय और ऑपरेशन सहायता सहित विभिन्न आंतरिक सुरक्षा ऑपरेशनों में हिस्सा लिया. इसके अलावा मध्य कमान ने आपदा प्रबंधन कार्यों और ऑपरेशन में भी अपनी अहम भूमिका निभाई है.

गार्गी मलिक सिन्हा ने बताया कि 'सूर्य' ऊर्जा का द्योतक है, जो पृथ्वी पर सभी जीवों में ऊर्जा बनाए रखने के सबसे शक्तिशाली स्रोत का प्रतिनिधित्व करता है. भौगोलिक रूप से मध्य कमान का परिक्षेत्र देश के ग्रेटर हिमालय से बंगाल की खाड़ी तक फैले सात राज्यों तक स्थित है. केंद्रीय क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए मध्य कमान अपने प्रशिक्षण के माध्यम से पूरी भारतीय सेना को प्रतिष्ठानों और लॉजिस्टिक नोड के माध्यम से सहायता प्रदान करता है.

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