लखनऊ: स्कूल वाहन चालक अब किसी तरह की चालाकी करने का प्रयास करेंगे तो उनकी ये चालाकी पकड़ में आ जाएगी. अब स्कूली वाहनों में सीसीटीवी कैमरे के साथ ही जीपीएस लगेगा, जिससे चालकों की मनमानी पर बिल्कुल कंट्रोल लग जाएगा. परिवहन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक जो भी स्कूल वाहन स्कूल से सम्बद्ध है, उन स्कूलों को अपने यहां कंट्रोल रूम बनाना होगा. इस कंट्रोल रूम से वह अपने यहां के स्कूली वाहनों के अंदर के दृश्यों पर नजर रख सकेंगे. वहीं जीपीएस इंस्टाल होने के बाद उनकी लोकेशन को भी ट्रेस आउट कर सकेंगे.
सीसीटीवी और जीपीएस के बिना 4000 से अधिक वाहन
लखनऊ आरटीओ ऑफिस में 4250 स्कूली वाहन मौजूद हैं. इनमें 250 स्कूली बसों में सीसीटीवी और जीपीएस लगा है. अन्य वाहनों में सीसीटीवी और जीपीएस नहीं लगे हैं. शहर में 2500 से अधिक स्कूली वाहनों के पास परमिट नहीं है. चेकिंग के दौरान पकड़े जाने पर अब मौके पर ही इन्हें स्कूल वाहनों को परमिट दिए जाएंगे. बिना परमिट के उन्हें रोड पर चलने नहीं दिया जाएगा.
35 हजार बच्चे करते हैं स्कूली वाहन से सफर
राजधानी में तकरीबन 35000 से अधिक बच्चे स्कूली वाहनों से स्कूल का सफर तय करते हैं. राजधानी में 400 स्कूली वाहन विभिन्न स्कूलों के नाम से दर्ज हैं. इनमें कंट्रोल रूम बनाया जाएगा, लगभग 6000 स्कूली वाहनों का रजिस्ट्रेशन नहीं है.
स्कूली वाहनों की सुरक्षा के मानक
- स्कूली वैन या बस का शैक्षिक संस्था के नाम से पंजीकृत होना जरूरी है.
- निजी आपरेटर भी स्कूल मानक के अनुसार पंजीकरण करा कर वैन या बस का उपयोग कर सकते हैं.
- कॉट्रेक्ट कैरिज परमिट होना अनिवार्य है.
- इनके वाहनों पर आगे और पीछे मोटे अक्षरों में स्कूल बस लिखा होना अनिवार्य है, इसके साथ ही ऑन स्कूल डयूटी भी लिखवाया जाएगा.
- कोई स्कूल बस या वैन किराए की फुटकर सवारी नहीं ढोएगा.
- स्कूली बस की अधिकतम आयु 15 साल होगी.
- हर स्कूल बस पर स्कूल का नाम और टेलीफोन नम्बर लिखा होगा.
- हर स्कूल बस या वैन में बच्चों की सूची, उनका नाम, पता, और उनका ब्लड ग्रुप के साथ ही रूट चार्ट उपलब्ध होना चाहिए.
- स्कूल में चालक के अलावा एक अन्य पुरुष या महिला की तैनाती होगी, जो सफर के दौरान उनकी सुरक्षा का ध्यान रखेगी.
- स्कूली गाडियों के चालक और सहायक नियमित ड्रेस पहनेंगे.
- स्कूली वाहनों का रंग गोल्डन, यलो विथ ब्राउन, ब्लू लाइनिंग होगी.
सुरक्षा से संबंधित इन बातों का भी रखना होगा ध्यान
सीटिंग क्षमता के अनुसार प्रत्येक बस में अग्निशम यंत्र अनिवार्य रूप से उपलब्ध होना चाहिए. 12 सीट तक के वाहन में दो किग्रा वजन का एक सिलेंडर (आग बुझाने वाला यंत्र), 12 से 20 सीट तक की बस में चालक केबिन पांच किग्रा का अग्निशमन यंत्र और 20 सीटर से ऊपर की स्थिति में पांच-पांच किग्रा वाले दो अग्निशमन यंत्र होने चाहिए. इसमें एक चालक के केबिन में और एक आपात द्वार के निकट होना चाहिए.सभी स्कूल वैन और बस में फर्स्ट एड बॉक्स होना जरूरी है.
- इन गाड़ियों की अधिकतम स्पीड 40 किमी होगी, इनमें स्पीड गर्वनर लगे होंगे.
- स्कूल बस की बॉडी स्टील की होगी और पूरी तरह से बंद रहेगी.
- स्कूल बस के दरवाजे ऐसे होने चाहिए, जिसे ठीक ढंग से बंद किया जा सके.
- कैनवास का हुड या छत स्कूली गाड़ियों में नहीं होगा.
- आपातकाल में बस का चालक या सहायक स्कूल अथारिटी को सूचित करेगा.
- प्रेशर हार्न और टोनल साउंड सिस्टम प्रतिबंधित रहेगा.
- कोई भी स्कूल बस सीटिंग क्षमता से डेढ़ गुना से अधिक बच्चों को बस में नहीं ले जाएगा.
- स्कूल बस चालक का लाइसेंस व्यवसायिक होगा और पांच साल पुराना होना चाहिए.
- चालकों के नवीनीकरण के समय उनका आपराधिक इतिहास देखा जाएगा और गहनतापूर्वक टेस्ट लेकर नवीनीकरण किया जाएगा.
सीट की व्यवस्था
- वाहन में आराम देह सीट के साथ ही आर्मरेस्ट एक साइड में होना चाहिए.
- सेफ्टी बेल्ट, आर्म रेस्ट और बॉडी के बीच साधारण हुक द्वारा लगाई जा सकती हो.
- सीट के नीचे स्कूल बैग और कॉपी किताबें नहीं रखी जाएंगी.
- हेडरेस्ट स्पंजी और सॉफ्ट होना चाहिए.
- बस में चढ़ने के लिए फुटबोर्ड के अलावा दरवाजे में कोलैप्सबिल फुट स्टेप की व्यवस्था होनी चाहिए.
- दरवाजा खुलने पर फुटस्टैप्स बॉडी से बाहर निकल कर जमीन से कम ऊंचाई का पावदान बना दे.
- दरवाजा बंद होने पर पावदान वापस बस की बॉडी के अंदर चला जाए.
- गेट खोलने पर स्कूल या स्टॉप का चिन्ह गेट के पास और पीछे दाहिनी ओर प्रदर्शित होना चाहिए, जिससे बस रुकने पर बच्चों को उतारते समय पीछे से आने वाला यातायात बच्चों की सुरक्षा के लिए सचेत हो सके.
- इसी प्रकार गेट खोलने पर ध्वनि या लाइट के माध्यम से ब्लिंकर कार्य करने की व्यवस्था हो और ओडीबिल सायरन लगा हो, जिससे बच्चों की सुरक्षा के लिए सड़क पर चलते यातायात को सचेत कर सके.
- सीट की खिड़की के शीशे और चैनल इस प्रकार के लगे हों कि बच्चे अपनी गर्दन या सिर खिड़की से बाहर न निकाल सके.
- बस में दो इमरजेंसी गेट हो, आराम से बैठने के लिए स्कूली बस की सीट की ऊंचाई सामान्य सीटों की तुलना में थोड़ी नीची होनी चाहिए.
- एक दूसरे के सामने की दिशा में लगाई गई सीटें गेट के पास लगी होनी चाहिए.
- चालक की सीट के पास स्पीड-अलार्म की व्यवस्था होनी चाहिए.
- बस की गति अधिक होने पर स्पीड अलार्म के माध्यम से स्कूल या बस मालिक को सूचित किया जा सके.
एआरटीओ संजय तिवारी ने बताया कि स्कूली वाहनों पर नजर रखने के लिए सभी वाहनों में सीसीटीवी कैमरा जीपीएस और सीट बेल्ट लगेंगे. स्कूली वाहनों की जांच के लिए बाकायदा स्कूल में सुबह 2 घंटे के लिए आरआई की ड्यूटी लगा दी गई है. वे जाते हैं और स्कूली वाहनों की चेकिंग करते हैं. इसके अलावा स्कूली वाहनों के लिए जो गाइडलाइन जारी की गई है उसका पालन कराया जा रहा है. फिटनेस सेंटर पर भी वाहनों की जांच की जा रही है. वाहनों में जब कैमरा और जीपीएस लग जाएगा तो इससे गार्जियन और स्कूल मैनेजमेंट ड्राइवर की हर गतिविधि पर नजर रखा जाएगा, इसका काफी फायदा मिलेगा.
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