लखनऊ : कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार में फंसे छत्रपति शाहूजी महाराज युनिवर्सिटी के कुलपति विनय पाठक (Vice Chancellor Vinay Pathak) के खिलाफ जल्द ही सीबीआई जांच शुरू करेगी. योगी सरकार की सिफारिश पर केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय ने सीबीआई की ओर से सहमति मिलते ही इसकी अधिसूचना जारी की है. इस मामले में अब तक तीन लोगों को यूपी एसटीएफ गिरफ्तार कर चुकी है, वहीं पाठक अब तक एसटीएफ के सामने पूछताछ के लिए नहीं पहुंचे हैं.
केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय की अधिसूचना जारी होने के बाद सीबीआई राजधानी के इंदिरानगर थाने में दर्ज मुकदमों से संबंधित सभी दस्तावेज जल्द ही अपने कब्जे में ले लेगी, वहीं यूपी एसटीएफ द्वारा की गई अब तक कि जांच रिपोर्ट भी सीबीआई राज्य सरकार से मांग सकती है. कयास लगाए जा रहे हैं कि इस केस की विवेचना की जिम्मेदारी सीबीआई की लखनऊ शाखा को दी जा सकती है.
दरअसल, लखनऊ के इंदिरानगर थाने में 26 अक्टूबर को डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के एमडी डेविड एम. डेनिस ने FIR दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि उनकी कंपनी वर्ष 2014 से एग्रीमेंट के तहत आगरा विश्वविद्यालय में प्री और पोस्ट एग्जाम का काम करती रही है. विश्वविद्यालय के एग्जाम पेपर छापना, कॉपी को एग्जाम सेंटर से यूनिवर्सिटी तक पहुंचाने का पूरा काम इसी कंपनी के द्वारा किया जाता रहा है. वर्ष 2019 में एग्रीमेंट खत्म हुआ तो डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज ने यूपीएलसी के जरिए आगरा विश्वविद्यालय का काम किया. इस बीच वर्ष 2020 से 2022 तक कंपनी के द्वारा किए गए काम का करोड़ों रुपये बिल बकाया हो गया था. इसी दौरान जनवरी 2022 में आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के कुलपति का चार्ज प्रो. विनय पाठक को मिला तो उन्होंने बिल पास करने के एवज में कमीशन की मांग की. इस मामले में एसटीएफ ने अभी तक तीन आरोपियों अजय मिश्रा, अजय जैन और संतोष सिंह को गिरफ्तार किया है.