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CBI का हाईकोर्ट में बयान, सिंचाई विभाग की जमीन पर कब्जे की जांच एक माह में पूरी कर लेंगे

सिंचाई विभाग की जमीन पर अंसल के कब्जे का मामले हाईकोर्ट में सीबीआई ने बयान दिया है कि एक माह में जांच पूरी कर लेंगे. Intro:सिंचाई विभाग की जमीन पर अंसल के कब्जे का मामला

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Published : Jul 7, 2023, 10:33 PM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में अहिमामऊ में नहर से लगी हुई सिंचाई विभाग की जमीन पर अंसल प्रॉपर्टीज ने कथित अवैध कब्जा कर लिया था. इस मामले में जांच एक माह में पूरी कर लेने की बात सीबीआई की ओर से कही गई है. सीबीआई के इस आश्वासन पर न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 4 सितम्बर की तिथि नियत की है. साथ ही यह भी निर्देश दिया है कि मामले की जांच कर रही टीम में जांच पूरी होने तक कोई बदलाव न किया जाए.

यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने भरत किशोर सिन्हा की ओर से दाखिल एक सेवा सम्बंधी याचिका पर लिए गए संज्ञान में दिया है. सुनवाई के दौरान सीबीआई की एसपी शिवानी तिवारी ने कोर्ट को बताया कि जांच काफी हद तक पूरी कर ली गई है. उन्हें रिपोर्ट तैयार करने में एक माह का समय और लगेगा. उल्लेखनीय है कि मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया था कि अहिमामऊ माइनर से लगी हुई, सिंचाई विभाग की जमीन अंसल के कब्जे में है. बाद में इस जमीन का एक हिस्सा सीएमएस को स्थानांतरित हो गया.

न्यायालय ने पाया कि 7 नवम्बर 2007 को एलडीए के तत्कालीन सचिव ने पत्र लिखकर उक्त जमीन को प्राइवेट बिल्डर को हस्तांतरित किए जाने की आवश्यकता जताई थी. यही नहीं 19 मार्च 2008 को प्रमुख सचिव, आवास एवं नगरीय विभाग ने भी सिंचाई विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर उक्त जमीन को प्राइवेट बिल्डर को देने को कहा था. तब न्यायालय ने टिप्पणी भी की थी कि सिंचाई विभाग की उक्त जमीन को सरकार में बैठे उच्च अधिकारियों, एलडीए और सिंचाई विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से पहले अवैध कब्जा करवाया गया. फिर उस पर एक स्कूल की भव्य इमारत खड़ी कर दी गई. इसी के साथ न्यायालय ने सीबीआई को प्राथमिक जांच करने का भी आदेश दिया था.

यह भी पढे़ं: PFI सदस्य मुनीर की 10 दिन के लिए पुलिस कस्टडी रिमांड मंजूर

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में अहिमामऊ में नहर से लगी हुई सिंचाई विभाग की जमीन पर अंसल प्रॉपर्टीज ने कथित अवैध कब्जा कर लिया था. इस मामले में जांच एक माह में पूरी कर लेने की बात सीबीआई की ओर से कही गई है. सीबीआई के इस आश्वासन पर न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 4 सितम्बर की तिथि नियत की है. साथ ही यह भी निर्देश दिया है कि मामले की जांच कर रही टीम में जांच पूरी होने तक कोई बदलाव न किया जाए.

यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने भरत किशोर सिन्हा की ओर से दाखिल एक सेवा सम्बंधी याचिका पर लिए गए संज्ञान में दिया है. सुनवाई के दौरान सीबीआई की एसपी शिवानी तिवारी ने कोर्ट को बताया कि जांच काफी हद तक पूरी कर ली गई है. उन्हें रिपोर्ट तैयार करने में एक माह का समय और लगेगा. उल्लेखनीय है कि मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया था कि अहिमामऊ माइनर से लगी हुई, सिंचाई विभाग की जमीन अंसल के कब्जे में है. बाद में इस जमीन का एक हिस्सा सीएमएस को स्थानांतरित हो गया.

न्यायालय ने पाया कि 7 नवम्बर 2007 को एलडीए के तत्कालीन सचिव ने पत्र लिखकर उक्त जमीन को प्राइवेट बिल्डर को हस्तांतरित किए जाने की आवश्यकता जताई थी. यही नहीं 19 मार्च 2008 को प्रमुख सचिव, आवास एवं नगरीय विभाग ने भी सिंचाई विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर उक्त जमीन को प्राइवेट बिल्डर को देने को कहा था. तब न्यायालय ने टिप्पणी भी की थी कि सिंचाई विभाग की उक्त जमीन को सरकार में बैठे उच्च अधिकारियों, एलडीए और सिंचाई विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से पहले अवैध कब्जा करवाया गया. फिर उस पर एक स्कूल की भव्य इमारत खड़ी कर दी गई. इसी के साथ न्यायालय ने सीबीआई को प्राथमिक जांच करने का भी आदेश दिया था.

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