लखनऊ: बुधवार को हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में हाथरस मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने डीएम हाथरस प्रवीण कुमार का मजबूती के साथ बचाव किया. सरकार की ओर से स्पष्ट कहा गया कि कुछ राजनीतिक दल डीएम के पीछे पड़े हैं. हालांकि, कोर्ट ने सरकार के जवाब से खिन्नता जाहिर की. इस दौरान सीबीआई ने अब तक की जांच की स्टेटस रिपोर्ट पेश की. मामले में अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी.
10 दिसंबर तक जांच पूरी होने की संभावना
सीबीआई की ओर से बताया गया कि 10 दिसंबर तक मामले की जांच पूरी होने की संभावना है. न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 16 दिसंबर की तिथि तय की है. अगली सुनवाई पर अंतिम संस्कार के मुद्दे पर प्रस्तावित गाइडलाइन पर और विचार-विमर्श करने का आदेश भी दिया है. न्यायालय ने मंगलवार की सुनवाई के पश्चात अपना आदेश सुरक्षित भी किया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति राजन रॉय की खंडपीठ ने हाथरस मामले में दाखिल की गई जनहित याचिका पर दिया है. न्यायालय के पहले आदेश के अनुपालन में सीबीआई के अधिवक्ता ने अब तक की जांच की स्टेटस रिपोर्ट पेश की. न्यायालय के पूछने पर अधिवक्ता ने बताया कि 10 दिसंबर तक जांच पूरी होने की संभावना है. उनका कहना था कि मामले में कई फॉरेंसिक रिपोर्ट आनी हैं. उनकी वजह से समय लग रहा है.
डीएम को हटाना चाहते हैं कुछ राजनीतिक दल
राज्य सरकार ने एक हलफनामा दाखिल किया है. हाथरस डीएम प्रवीण कुमार के संबंध में राज्य सरकार की ओर से कहा गया है कि पूरे मामले में जिलाधिकारी का कार्य और निर्णय सद्भावनापूर्ण रहा है. कुछ राजनीति दल उन्हें वहां से हटाना चाहते हैं. सरकार यदि उन्हें हटाती है तो सद्भावनापूर्ण तरीके से काम करने वाले सरकारी अधिकारी इससे हतोत्साहित होंगे.
जवाब से न्यायाधीश नहीं हुए संतुष्ट
सरकार की ओर से यह भी दलील दी गई कि मृतका के परिवार ने भी डीएम के खिलाफ कोई शिकायत नहीं की है और न ही मामले की जांच में जिलाधिकारी के किसी प्रकार से हस्तक्षेप करने की कोई बात सामने आई है. इस पर न्यायालय ने कहा कि वह सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं है.
दिल्ली में घर दिलाए जाने पर आदेश नहीं
मृतका के परिवार की अधिवक्ता सीमा कुशवाहा ने सुनवाई के दौरान परिवार के लिए दिल्ली में घर दिये जाने का आदेश सरकार को देने की मांग की. इस पर न्यायालय ने कहा कि वर्तमान मामले पर संज्ञान सीमित उद्देश्य के लिए लिया गया है. यह आरोप-प्रत्यारोप का मुकदमा नहीं है. न्यायालय ने हाथरस जैसे मामले की पुनुरावृत्ति होने की दशा में अंतिम संस्कार के लिए गाइडलाइन पर और विचार-विमर्श करने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है.