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विनय पाठक के खिलाफ सीबीआई जांच की सिफारिश, प्रदेश सरकार ने केंद्र को भेजा पत्र - केंद्र सरकार को पत्र

मनी लॉन्ड्रिंग, भर्ती घोटाला, कमीशन की मांग समेत कई आरोपों से घिरे कानपुर के छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति रहे प्रोफेसर विनय पाठक के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी है. प्रदेश सरकार ने इस बाबत केंद्र सरकार को पत्र भेज दिया है.

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Published : Dec 31, 2022, 8:46 AM IST

Updated : Dec 31, 2022, 9:39 AM IST

लखनऊ : भ्रष्टाचार के आरोपी प्रोफेसर विनय पाठक (Professor Vinay Pathak accused of corruption) के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार ने आखिरकार कार्रवाई शुरू कर दी है. उनके खिलाफ सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश (Government recommended CBI inquiry) कर दी है. इसके बाद अब अफसर विनय पाठक और उनके सहयोगी ऊपर और कड़ा शिकंजा कसेगा. माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में सीबीआई उनके खिलाफ जांच का आगाज भी कर देगी.

कानपुर के छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति रहे प्रोफेसर विनय पाठक (Professor Vinay Pathak, Vice Chancellor of Chhatrapati Shahu Ji Maharaj University, Kanpur) पर आखिरकार सीबीआई का शिकंजा कसेगा. उत्तर प्रदेश सरकार ने उनके खिलाफ सीबीआई की जांच कराने को लेकर केंद्र सरकार को पत्र भेज दिया है. विनय पाठक व उनके करीबी कंपनी के एमडी अजय मिश्रा के खिलाफ इंदिरानगर थाने में 29 अक्टूबर को इस संबंध में केस दर्ज कराया गया था. इसके बाद में इस मामले में एसटीएफ जांच भी शुरू कर दी गई थी. विनय पाठक को छोड़कर अजय मिश्रा सहित तीन लोगों की गिरफ्तारी भी इस प्रकरण में की जा चुकी है. डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा में परीक्षा कराने वाली कंपनी डिजिटेक्स्ट टेक्नोलॉजी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (Digitext Technology India Private Limited) के एमडी डेविड मारियो डेनिश (MD David Mario Danish) ने अजय मिश्रा के जरिए प्रोफेसर पाठक पर कमीशन लेने समेत अनेक आरोप लगाए हैं. इस मामले में समाजवादी पार्टी सहित तमाम विपक्ष लगातार सरकार को घेर रहा है कि आखिर क्यों नहीं विनय पाठक की गिरफ्तारी की जा रही है.

गौरतलब है कि विनय पाठक पर आरोप है कि वर्ष 2019-20 और 2020-21 में यूपीएलसी के माध्यम से उनकी कंपनी ने आगरा यूनिवर्सिटी की प्री व पोस्ट परीक्षा कराई थी. इसके बिल का भुगतान नहीं किया गया. पाठक कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति हैं, उन्होंने भुगतान के लिए डेविड मारियो को कानपुर स्थित आवास पर बुलाया और उसके एवज में कमीशन की मांग की. फिर अजय मिश्रा के जरिए तीन बार में एक करोड़ 41 लाख कमीशन भी लिए. एसटीएफ ने डॉक्टर विनय पाठक को कई बार नोटिस दी है. इसके बावजूद भी हाजिर नहीं हो रहे हैं. इसके बाद सरकार की ओर से इस प्रकरण की जांच सीबीआई को कराने की सिफारिश कर दी गई है. विनय पाठक पर मनी लॉन्ड्रिंग औऱ भर्ती घोटाला (Money Laundering and Recruitment Scam) जैसे अनेक आरोपी लग चुके हैं.

लखनऊ : भ्रष्टाचार के आरोपी प्रोफेसर विनय पाठक (Professor Vinay Pathak accused of corruption) के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार ने आखिरकार कार्रवाई शुरू कर दी है. उनके खिलाफ सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश (Government recommended CBI inquiry) कर दी है. इसके बाद अब अफसर विनय पाठक और उनके सहयोगी ऊपर और कड़ा शिकंजा कसेगा. माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में सीबीआई उनके खिलाफ जांच का आगाज भी कर देगी.

कानपुर के छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति रहे प्रोफेसर विनय पाठक (Professor Vinay Pathak, Vice Chancellor of Chhatrapati Shahu Ji Maharaj University, Kanpur) पर आखिरकार सीबीआई का शिकंजा कसेगा. उत्तर प्रदेश सरकार ने उनके खिलाफ सीबीआई की जांच कराने को लेकर केंद्र सरकार को पत्र भेज दिया है. विनय पाठक व उनके करीबी कंपनी के एमडी अजय मिश्रा के खिलाफ इंदिरानगर थाने में 29 अक्टूबर को इस संबंध में केस दर्ज कराया गया था. इसके बाद में इस मामले में एसटीएफ जांच भी शुरू कर दी गई थी. विनय पाठक को छोड़कर अजय मिश्रा सहित तीन लोगों की गिरफ्तारी भी इस प्रकरण में की जा चुकी है. डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा में परीक्षा कराने वाली कंपनी डिजिटेक्स्ट टेक्नोलॉजी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (Digitext Technology India Private Limited) के एमडी डेविड मारियो डेनिश (MD David Mario Danish) ने अजय मिश्रा के जरिए प्रोफेसर पाठक पर कमीशन लेने समेत अनेक आरोप लगाए हैं. इस मामले में समाजवादी पार्टी सहित तमाम विपक्ष लगातार सरकार को घेर रहा है कि आखिर क्यों नहीं विनय पाठक की गिरफ्तारी की जा रही है.

गौरतलब है कि विनय पाठक पर आरोप है कि वर्ष 2019-20 और 2020-21 में यूपीएलसी के माध्यम से उनकी कंपनी ने आगरा यूनिवर्सिटी की प्री व पोस्ट परीक्षा कराई थी. इसके बिल का भुगतान नहीं किया गया. पाठक कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति हैं, उन्होंने भुगतान के लिए डेविड मारियो को कानपुर स्थित आवास पर बुलाया और उसके एवज में कमीशन की मांग की. फिर अजय मिश्रा के जरिए तीन बार में एक करोड़ 41 लाख कमीशन भी लिए. एसटीएफ ने डॉक्टर विनय पाठक को कई बार नोटिस दी है. इसके बावजूद भी हाजिर नहीं हो रहे हैं. इसके बाद सरकार की ओर से इस प्रकरण की जांच सीबीआई को कराने की सिफारिश कर दी गई है. विनय पाठक पर मनी लॉन्ड्रिंग औऱ भर्ती घोटाला (Money Laundering and Recruitment Scam) जैसे अनेक आरोपी लग चुके हैं.

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Last Updated : Dec 31, 2022, 9:39 AM IST
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