लखनऊ: शुक्रवार को सीबीआई ने प्रतापगढ में तैनात इंस्पेक्टर अनिल की हत्या के मामले में दो अभियुक्तों राजू व जीशान के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या के तहत आरोप पत्र दाखिल किया है. विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट अनुराधा शुक्ला ने आरोप पत्र पर संज्ञान के लिए 22 फरवरी की तिथि नियत की है.
दरअसल, 19 नवंबर 2015 को प्रतापगढ़ के सिटी कोतवाली इंचार्ज इंस्पेक्टर अनिल कुमार की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उनकी मौत का कारण मृत्यु पूर्व आई आग्नेयास्त्रों की चोट दर्शाया गया. वर्ष 2016 में राज्य सरकार ने इस घटना की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की थी, लेकिन केंद्र सरकार ने इसे नकार दिया था. 23 मई 2018 को हाईकोर्ट ने अनिल कुमार की पत्नी आरती गुज्जर की एक याचिका पर सीबीआई को इस मामले की जांच का आदेश दिया था.
अनिल कुमार की पत्नी ने हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में कहा था कि उनके पति के बेहतरीन रिकॉर्ड को देखते हुए उन्हें आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देकर सब इंस्पेक्टर से इंस्पेक्टर पद पर तैनाती मिली थी. इसके बाद 4 जून 2015 को प्रतापगढ़ कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक के पद पर उनका तबादला हुआ. प्रतापगढ में तैनाती के बाद से ही उन पर बेगुनाहों को फंसाने के लिए दबाव बनाया जाता रहा. उन्हें बकायदा धमकियां भी मिलती थीं कि यदि कहे अनुसार उन्होंने नहीं किया तो उनके लिए बहुत बुरा होगा.
इसकी जानकारी उन्होंने एसपी व सीओ को दे दी थी. याचिका में आगे कहा गया था कि अनिल कुमार ने अपने विभागीय साथियों से कहा भी था कि अगर वह प्रतापगढ़ में और रहे तो सत्ता से जुड़े ताकतवर लोग उन्हें नुकसान पहुंचा देंगे. इंस्पेक्टर की पत्नी ने राजा भैया द्वारा उन्हें परेशान किए जाने और तत्कालीन एसपी द्वारा भी कोई मदद न करने का दावा करते हुए इस संबंध में अनिल कुमार के व्हाट्सएप आदि मैसेज भी पेश किए थे.
याचिका में कहा गया था कि 19 नंवबर 2015 को अनिल कुमार की हत्या कर दी गई. कहा गया कि जब उनकी हत्या की गई तो वह निलंबित चल रहे थे और स्वयं एसपी ने उनका निलंबन रद्द करने के लिए उन्हें बुलाया था, जिसके बाद उनकी हत्या हो गई. उनकी हत्या वैष्णवी होटल पर हुई थी. हत्या के समय इंस्पेक्टर बलीराम मिश्रा उनके साथ मौजूद थे, जिन्होंने गोली मारने वालों को पकड़ने या उन पर फायर करने की कोई कोशिश नहीं की.