लखनऊ : राजधानी में रेलवे कॉलोनी हादसे के बाद वरिष्ठ अफसरों को गुमराह करके कागजों पर ही जर्जर हो चुकी रेलवे काॅलोनी में नियम विपरीत रहने वाले लोगों को रखा गया था. सूत्रों के मुताबिक, क्षेत्रीय इंजीनियरिंग ऑफ वर्क्स के निरीक्षक और आरपीएफ के लोको चौकी के इंजार्ज की भूमिका की भी जांच होगी. सूत्रों के मुताबिक, फतेह अली का तालाब के अलावा आलमबाग और चारबाग की अन्य जर्जर रेलवे काॅलोनियों के घरों को किराए पर उठाया गया था.
शनिवार को फतेह अली का तालाब के घर की छत गिरने से सोते समय ही सतीश चंद्र, उनकी पत्नी सलोनी, बेटे हर्ष और अंश एवं बेटी हर्षिता की मलबे में दबने से मौत हो गई थी. मौके पर पहुंचे डीआरएम डा. मनीष थपल्याल ने यह जरूर कह दिया कि काॅलोनी निष्प्रयोज्य घोषित हो चुकी है. मृतक और उनका परिवार नियम विपरीत रह रहा था, हालांकि जिस घर की छत गिरी थी वह सतीश की मां राम दुलारी के नाम आवंटित था. रेलवे में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी राम दुलारी की कुछ माह पहले मौत होने के बाद मृतक आश्रित कोटे में सतीश को नौकरी देने की कार्यवाही चल रही थी. उन्होंने कहा कि लखनऊ रेलवे काॅलोनी आइओडब्ल्यू और लोको आरपीएफ इंचार्ज की भूमिका की जांच होगी.
शिफ्ट करना भी बड़ी चुनौती : उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के करीब 12 हजार कर्मचारी लखनऊ में रहते हैं. इसमें लोको शेड, वर्कशाप, कैरिज व वैगन वर्कशाप, डीआरएम कार्यालय सहित कई अनुभागों में तैनात कर्मचारियों के लिए रेलवे ने नए मकानों को नहीं बनाया है. मौजूदा समय में जो शांतिपुरम, बीजी काॅलोनी, 40 क्वार्टर, एलडी काॅलोनी, ईस्ट जेल रोड, वेस्ट जेल रोड, रेस्ट कैंप कालोनी, मुनव्वरबाग, हैदर कैनाल, बंदरिया बाग, चर्च कालोनी, बरहा, पंजाब नगर, सीपीएच, सेवाग्राम कालोनी, कैश एंड पे कालोनी कर्मचारियों को आवंटित हैं, उनके घरों की छत टपक रही है. ऐसे में जर्जर काॅलोनियों में रहने वाले कर्मचारियों को दूसरे घरों में शिफ्ट करना बड़ी चुनौती है. वहीं सीनियर डीसीएम रेखा शर्मा का कहना है कि 'जर्जर घरों को तोड़ना भी एक चुनौती है. कोई अप्रिय घटना न घटे, इससे बचते हुए रेलवे जर्जर मकानों को तोड़ेगा. जिम्मेदार लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. इसके लिए रेलवे की आंतरिक जांच शुरू हो गई है.'
मकानों में चार साल से अवैध कब्जा : बीते शनिवार को आलमबाग के आनंदनगर स्थित फतेहअली तालाब में रेलवे की कंडम घोषित कॉलोनी में मकान गिरने से पूरे परिवार की मौत हो गई थी. उसके बाद भी रेलवे के अधिकारी इन मकानों को खाली कराने और गिराने के अभियान को शुरु नहीं कर पाये हैं. सोमवार को भी रेलवे के इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने कनौसी, स्लीपर ग्राउंड आदि कॉलोनियों में जाकर मौखिक चेतावनी दी है जबकि, सोमवार से इन मकानों को गिराये जाने की तैयारी है. रेलवे के इंजीनियरिंग विभाग ने करीब 1400 से ज्यादा मकानों को कंडम घोषित कर करीब 700 गिरा दिये हैं. फतेहअली तालाब के अतिरिक्त मुनव्वरबाग, पिंजरे वाली गली, चर्च रोड, चारबाग सेकेंड इंट्री, पंजाब कॉलोनी, कनौसी रेलवे कॉलोनी, स्लीपर ग्राउंड कॉलोनी समेत करीब तीन दर्जन से ज्यादा कॉलोनियों में कंडम मकान हैं. इन मकानों में चार साल से अवैध कब्जा है. इसको खाली कराने और तोड़ने में रेलवे विफल रहा है. रेलवे की लापरवाही की वजह से ही फतेहअली तालाब में हादसे में पांच लोग की जान चली गई. अगर समय रहते इसको खाली करा लिया गया तो शायद हादसा नहीं होता. सूत्रों का दावा है कि चार साल से कंडम घोषित हो चुके इन मकानों को दबाव में खाली नहीं कराया जा सका है. हादसे के बाद भी यह दबाव लगातार बना हुआ है.
खाली ना करने पर आएगी आरपीएफ : आलमनगर स्टेशन के पास आरडीएसओ क्रॉसिंग के बगल में खंडहर में तब्दील मकानों में रह रहे लोगों को कुछ कर्मचारियों ने मौखिक चेतावनी दी. साथ ही यह भी कहा कि खाली नहीं करने पर आरपीएफ आएगी, जिसके बाद कई लोगों ने मकान खाली कर दिये हैं.
क्या था मामला : राजधानी लखनऊ के आलमबाग स्थित रेलवे कॉलोनी आनंद नगर में बड़ा हादसा हो गया था. यहां पर रेलवे कॉलोनी में एक ही परिवार के पांच लोग देर रात छत गिरने की वजह से मलबे के नीचे दब गए थे. रेलवे कॉलोनी में सतीश चंद्र अपने परिवार के साथ रहते थे. उनकी मां रेलवे में कर्मचारी थीं, जिनकी कुछ दिन पहले मृत्यु हो गई थी. सतीश चंद्र को कुछ दिनों पहले मृतक आश्रित के तहत नौकरी मिली थी. फिलहाल परिवार आलमबाग स्थित कॉलोनी में रह रहा था.