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ITI संस्थानों में अनियमितता: इंजीनियरिंग ट्रेड में नॉन इंजीनियरिंग अनुदेशकों का हुआ तबादला

उत्तर प्रदेश में राजकीय आईटीआई कॉलेज में प्रशिक्षण देने वाले अनुदेशकों और कार्यदेशकों के तबादलों में अनियमितता का मामला सामने आया है. आरोप है कि अपने लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए जिम्मेदारों ने तबादलों के नाम पर खूब खेल किया. नॉन इंजीनियरिंग ट्रेड के लोगों को इंजीनियरिंग ट्रेड के खाली पदों पर भेज दिया गया है. इसको लेकर उत्तर प्रदेश औद्योगिक प्रशिक्षण कर्मचारी संघ ने कहा है कि अगर इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई तो प्रदेश भर में आंदोलन किया जाएगा.

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Published : Jul 21, 2021, 3:28 PM IST

ITI संस्थानों में अनियमितता
ITI संस्थानों में अनियमितता

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में राजकीय आईटीआई कॉलेज में प्रशिक्षण देने वाले अनुदेशकों के तबादलों में गड़बड़ियों का मामला सामने आया है. आरोप है कि नॉन इंजीनियरिंग ट्रेड के लोगों को इंजीनियरिंग ट्रेड के खाली पदों पर भेज दिया गया है. जिसका सीधा खामियाजा वहां के छात्र-छात्राओं को उठाना पड़ेगा. इससे आईटीआई संस्थानों में प्रशिक्षण पा रहे छात्र-छात्राओं का भविष्य दांव पर लग गया है

आरोप है कि इन तबादलों में विभागीय अधिकारियों ने मनमानी की है. ना तो अनुदेशकों की बात सुनी गई और ना ही आईटीआई संस्थानों की जरूरतों को ध्यान में रखा गया है. उत्तर प्रदेश औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान कर्मचारी संघ का आरोप है कि स्थानांतरण के दौरान शासनादेश का पालन ही नहीं किया गया. शासनादेश में पति-पत्नी का तबादला एक जनपद में होने, बीमारी से पीड़ित होने, दिव्यांग होने जैसे प्रकरणों पर वरीयता देने की बात कही गई है, लेकिन तबादलों में अनियमितता करते हुए इन नियमों का पालन नहीं किया गया. कई ऐसे अनुदेशक हैं जो अपने गृह जनपद से 500 से 600 किलोमीटर दूर हैं. उनके आवेदन पर विचार भी नहीं किया गया. बल्कि एक ही जनपद में कार्यरत अनुदेशकों का स्थानांतरण कर दिया गया.

उत्तर प्रदेश औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अनिल कुमार पाठक ने बताया कि राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान मलिहाबाद में ड्रेस मेकिंग व्यवसाय की अनुदेशक अर्चना मिश्रा का तबादला राष्ट्रीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान चारबाग में किया गया. उनका यह तबादला मैकेनिकल रेफ्रिजरेशन एंड एयर कंडीशनर के खाली पड़े पद पर किया गया. जबकि, ड्रेस मेकिंग व्यवसाय पूरी तरह से एक नॉन इंजीनियरिंग व्यवसाय है और मैकेनिकल रेफ्रिजरेशन एंड एयर कंडीशनर इंजीनियरिंग व्यवसाय है. ऐसे में दोनों संस्थानों में पढ़ने वाले छात्र छात्राएं प्रभावित होंगी. उन्होंने बताया कि यह सिर्फ एक उदाहरण है ऐसे कई मामले इस स्थानांतरण के दौरान सामने आए.

उत्तर प्रदेश में राजकीय आईटीआई संस्थानों की संख्या करीब 300 है. यहां एक लाख से ज्यादा छात्र छात्राएं प्रशिक्षण पाने के लिए पंजीकृत है. इनको प्रशिक्षण देने वाले अनुदेशकों के करीब 8,000 पद हैं. जिनमें 5000 के आसपास पद खाली पड़े हुए हैं. सिर्फ 3 हजार अनुदेशकों के सहारे इन संस्थानों में प्रशिक्षण का काम चल रहा है.

उत्तर प्रदेश औद्योगिक प्रशिक्षण कर्मचारी संघ के महामंत्री रजनीश अरोड़ा ने बताया कि तबादलों को लेकर कार्यदेशकों तथा अनुदेशकों द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्रों पर विचार ही नहीं किया गया. उन्होंने बताया कि विभाग में कार्यदेशकों की संख्या करीब 700 है. आवेदन के बाद भी सिर्फ 26 कार्यदेशकों का स्थानांतरण किया गया. यही हाल अनुदेशकों के साथ भी किया गया है. लगभग 3000 पदों पर काम कर रहे अनुदेशकों के मुकाबले सिर्फ 91 के तबादले किए गए. जबकि बड़ी संख्या में तबादले के लिए प्रार्थना पत्र भेजे गए थे. संगठन ने साफ किया है कि जल्द ही जिम्मेदारों के स्तर पर अगर इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई तो उनके द्वारा प्रदेश भर में आंदोलन किया जाएगा.

इसे भी पढ़ें- किस घर में बैठा है कौन सा ग्रह, देखिए आज का पंचांग

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में राजकीय आईटीआई कॉलेज में प्रशिक्षण देने वाले अनुदेशकों के तबादलों में गड़बड़ियों का मामला सामने आया है. आरोप है कि नॉन इंजीनियरिंग ट्रेड के लोगों को इंजीनियरिंग ट्रेड के खाली पदों पर भेज दिया गया है. जिसका सीधा खामियाजा वहां के छात्र-छात्राओं को उठाना पड़ेगा. इससे आईटीआई संस्थानों में प्रशिक्षण पा रहे छात्र-छात्राओं का भविष्य दांव पर लग गया है

आरोप है कि इन तबादलों में विभागीय अधिकारियों ने मनमानी की है. ना तो अनुदेशकों की बात सुनी गई और ना ही आईटीआई संस्थानों की जरूरतों को ध्यान में रखा गया है. उत्तर प्रदेश औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान कर्मचारी संघ का आरोप है कि स्थानांतरण के दौरान शासनादेश का पालन ही नहीं किया गया. शासनादेश में पति-पत्नी का तबादला एक जनपद में होने, बीमारी से पीड़ित होने, दिव्यांग होने जैसे प्रकरणों पर वरीयता देने की बात कही गई है, लेकिन तबादलों में अनियमितता करते हुए इन नियमों का पालन नहीं किया गया. कई ऐसे अनुदेशक हैं जो अपने गृह जनपद से 500 से 600 किलोमीटर दूर हैं. उनके आवेदन पर विचार भी नहीं किया गया. बल्कि एक ही जनपद में कार्यरत अनुदेशकों का स्थानांतरण कर दिया गया.

उत्तर प्रदेश औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अनिल कुमार पाठक ने बताया कि राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान मलिहाबाद में ड्रेस मेकिंग व्यवसाय की अनुदेशक अर्चना मिश्रा का तबादला राष्ट्रीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान चारबाग में किया गया. उनका यह तबादला मैकेनिकल रेफ्रिजरेशन एंड एयर कंडीशनर के खाली पड़े पद पर किया गया. जबकि, ड्रेस मेकिंग व्यवसाय पूरी तरह से एक नॉन इंजीनियरिंग व्यवसाय है और मैकेनिकल रेफ्रिजरेशन एंड एयर कंडीशनर इंजीनियरिंग व्यवसाय है. ऐसे में दोनों संस्थानों में पढ़ने वाले छात्र छात्राएं प्रभावित होंगी. उन्होंने बताया कि यह सिर्फ एक उदाहरण है ऐसे कई मामले इस स्थानांतरण के दौरान सामने आए.

उत्तर प्रदेश में राजकीय आईटीआई संस्थानों की संख्या करीब 300 है. यहां एक लाख से ज्यादा छात्र छात्राएं प्रशिक्षण पाने के लिए पंजीकृत है. इनको प्रशिक्षण देने वाले अनुदेशकों के करीब 8,000 पद हैं. जिनमें 5000 के आसपास पद खाली पड़े हुए हैं. सिर्फ 3 हजार अनुदेशकों के सहारे इन संस्थानों में प्रशिक्षण का काम चल रहा है.

उत्तर प्रदेश औद्योगिक प्रशिक्षण कर्मचारी संघ के महामंत्री रजनीश अरोड़ा ने बताया कि तबादलों को लेकर कार्यदेशकों तथा अनुदेशकों द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्रों पर विचार ही नहीं किया गया. उन्होंने बताया कि विभाग में कार्यदेशकों की संख्या करीब 700 है. आवेदन के बाद भी सिर्फ 26 कार्यदेशकों का स्थानांतरण किया गया. यही हाल अनुदेशकों के साथ भी किया गया है. लगभग 3000 पदों पर काम कर रहे अनुदेशकों के मुकाबले सिर्फ 91 के तबादले किए गए. जबकि बड़ी संख्या में तबादले के लिए प्रार्थना पत्र भेजे गए थे. संगठन ने साफ किया है कि जल्द ही जिम्मेदारों के स्तर पर अगर इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई तो उनके द्वारा प्रदेश भर में आंदोलन किया जाएगा.

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