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गिरधारी एनकाउंटर: कोर्ट ने कहा- नहीं हुआ सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का अनुपालन

गिरधारी एनकाउंटर मामले में लखनऊ जनपद न्यायाधीश दिनेश कुमार शर्मा तृतीय ने डीसीपी पूर्वी संजीव सुमन व इंस्पेक्टर विभूति खंड चंद्रशेखर सिंह के खिलाफ झूठा हलफनामा दाखिल करने के आरोप में प्रथम दृष्टया बल पाते हुए, मुकदमा दर्ज करने का आदेश अपने कार्यालय को दिया है. साथ ही दोनों अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है.

जिला एवं सत्र न्यायालय
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Published : Mar 2, 2021, 10:05 PM IST

लखनऊ : कोर्ट ने कहा है कि गिरधारी के एनकाउंटर के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों का अनुपालन नहीं किया गया, जबकि उक्त दोनों अधिकारियों द्वारा हलफनामा दाखिल कर अनुपालन किये जाने की बात कही गई. यह आदेश जनपद न्यायाधीश ने गिरधारी के भाई राकेश विश्वकर्मा की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर दिया.

दरअसल, राकेश विश्वकर्मा ने जनपद न्यायाधीश के समक्ष एक परिवाद दाखिल करते हुए आरोप लगाया है कि फर्जी एनकाउंटर के अपराध को अंजाम देने के लिए पुलिस ने फर्द बरामदगी व विवेचना सम्बंधी दस्तावेजों में कूटरचना की है. साथ ही कथित एनकाउंटर के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है. परिवाद पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पुलिस आयुक्त ध्रुवकांत ठाकुर, डीसीपी संजीव सुमन, एसीपी विभूति खंड प्रवीण मलिक व इंस्पेक्टर चंद्रशेखर सिंह से हलफनामा तलब किया था.

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इन अधिकारियों की ओर से दाखिल हलफनामों में कहा गया कि सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों का पूर्णतया पालन किया गया है. जबकि इसका विरोध करते हुए परिवादी के अधिवक्ता प्रांशु अग्रवाल ने दलील दिया कि मामले में दो एफआईआर पुलिस द्वारा ही दर्ज की गई हैं, जो कथित एनकाउंटर में शामिल पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध नहीं हैं. इसके साथ ही उक्त दोनों एफआईआर को पढ़ने से स्पष्ट है कि कथित एनकाउंटर के समय सबसे वरिष्ठ रैंक के अधिकारी डीसीपी संजीव सुमन वहां मौजूद थे और उन्होंने भी फायर किया था. जबकि दोनों एफआईआर की विवेचना उनसे नीचे के रैंक के अधिकारी अर्थात एसीपी द्वारा कराई जा रही है, जो कि सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देश के विपरीत है.

कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद मुकदमा दर्ज करने व नोटिस जारी करने का आदेश दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने शीर्ष अदालत के दिशा-निर्देशों के सख्ती से पालन किये जाने का भी आदेश दिया है.

लखनऊ : कोर्ट ने कहा है कि गिरधारी के एनकाउंटर के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों का अनुपालन नहीं किया गया, जबकि उक्त दोनों अधिकारियों द्वारा हलफनामा दाखिल कर अनुपालन किये जाने की बात कही गई. यह आदेश जनपद न्यायाधीश ने गिरधारी के भाई राकेश विश्वकर्मा की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर दिया.

दरअसल, राकेश विश्वकर्मा ने जनपद न्यायाधीश के समक्ष एक परिवाद दाखिल करते हुए आरोप लगाया है कि फर्जी एनकाउंटर के अपराध को अंजाम देने के लिए पुलिस ने फर्द बरामदगी व विवेचना सम्बंधी दस्तावेजों में कूटरचना की है. साथ ही कथित एनकाउंटर के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है. परिवाद पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पुलिस आयुक्त ध्रुवकांत ठाकुर, डीसीपी संजीव सुमन, एसीपी विभूति खंड प्रवीण मलिक व इंस्पेक्टर चंद्रशेखर सिंह से हलफनामा तलब किया था.

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इन अधिकारियों की ओर से दाखिल हलफनामों में कहा गया कि सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों का पूर्णतया पालन किया गया है. जबकि इसका विरोध करते हुए परिवादी के अधिवक्ता प्रांशु अग्रवाल ने दलील दिया कि मामले में दो एफआईआर पुलिस द्वारा ही दर्ज की गई हैं, जो कथित एनकाउंटर में शामिल पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध नहीं हैं. इसके साथ ही उक्त दोनों एफआईआर को पढ़ने से स्पष्ट है कि कथित एनकाउंटर के समय सबसे वरिष्ठ रैंक के अधिकारी डीसीपी संजीव सुमन वहां मौजूद थे और उन्होंने भी फायर किया था. जबकि दोनों एफआईआर की विवेचना उनसे नीचे के रैंक के अधिकारी अर्थात एसीपी द्वारा कराई जा रही है, जो कि सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देश के विपरीत है.

कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद मुकदमा दर्ज करने व नोटिस जारी करने का आदेश दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने शीर्ष अदालत के दिशा-निर्देशों के सख्ती से पालन किये जाने का भी आदेश दिया है.

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