लखनऊ: यूपी बोर्ड के परीक्षा परिणामों ने राजधानी लखनऊ सहित कई बड़े शहरों की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है. परीक्षा परिणाम से यह बात भी सामने आई है कि ग्रामीण परिवेश खासकर छोटे शहरों के बच्चे मेधावी बनकर सामने आ रहे हैं और मेरिट में स्थान पा रहे हैं. कभी शिक्षा के हब के रूप में पहचान रखने वाले लखनऊ, प्रयागराज, नोएडा, कानपुर और आगरा के छात्र यूपी बोर्ड के घोषित परीक्षा परिणाम में मेरिट में स्थान नहीं पा सके हैं, जबकि कई छोटे शहर बागपत, बाराबंकी, सहित अन्य जगहों के छात्रों ने बाजी मारने में सफलता हासिल की है.
उत्तर प्रदेश हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट के परीक्षा परिणाम में राजधानी लखनऊ सहित अन्य बड़े शहरों के छात्र मेरिट में स्थान नहीं बना पाए हैं. इससे पहले पिछले कुछ वर्षों में भी बड़े शहरों के छात्र टॉप फाइव में स्थान नहीं पा सके हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि इन बड़े शहरों की शिक्षा व्यवस्था में आखिर क्या कमी रह गई, जिससे यहां के छात्र मेरिट में स्थान नहीं बना पा रहे हैं. शिक्षा की गुणवत्ता पर भी सवाल उठ रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ छोटे शहरों के छात्रों ने बाजी मारते हुए यह साबित कर दिया है कि मेधावी होना सिर्फ बड़े शहरों के बच्चों के सपने नहीं है, बल्कि छोटे शहरों खासकर गांव कस्बों के छात्र भी मेरिट में स्थान प्राप्त कर सकते हैं.
छोटे शहरों के छात्रों ने मारी बाजी
शनिवार को घोषित परीक्षा परिणामों में बाराबंकी, बागपत जैसे छोटे शहरों के छात्रों ने बाजी मारकर इस बात को साबित किया है. टॉप फाइव में लखनऊ के न आने को लेकर ईटीवी भारत ने उत्तर प्रदेश के माध्यमिक शिक्षक संघ से जुड़े व पिछले लंबे समय से शिक्षण कार्य में अपनी सकारात्मक भूमिका का निर्वहन कर रहे डॉ. आरपी मिश्र से बात भी की. उन्होंने टॉपर्स छात्रों की उत्तर पुस्तिकाओं को ऑनलाइन करने की मांग भी की है, जिससे अन्य छात्र उन कॉपियों को देखकर उससे प्रेरणा प्राप्त कर सकें.
बड़े शहरों से छात्रों का मेरिट में न आना चिंतनीय
उन्होंने कहा कि पठन-पाठन में सुधार सभी जगह हुआ, जो ग्रामीण परिवेश के विद्यालय के छात्र उनमें भी कंपटीशन है. सभी जगह जो कंपटीशन चल रहा है, उससे विद्यालय भी मेहनत करते हैं और छात्र भी मेहनत कर रहे हैं. इसका परिणाम है कि छात्र मेरिट में आ रहे हैं. यह कई वर्षों से हो रहा है. बड़े शहरों में भी विद्यालय अच्छे हैं. पठन-पाठन हो रहा है, लेकिन क्यों नहीं मेरिट में आ रहे हैं यह अलग बात है और चिंतनीय भी है. मेरी उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा से मांग है कि जो टॉपर्स है, उन टॉपर्स की उत्तर पुस्तिकाओं को ऑनलाइन कर देना चाहिए, प्रसारित कर देना चाहिए.
टॉपर्स की उत्तर पुस्तिका सार्वजनिक करने की मांग
बागपत, बाराबंकी जैसे छोटे शहरों के बच्चे ज्यादातर रिजल्ट में टॉप पर आते हैं, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मैं इसीलिए कह रहा हूं कि बच्चों की कॉपियों को ऑनलाइन कर देना चाहिए, प्रसारित कर दिया जाना चाहिए कि ऐसी क्या बात है कि दूसरे जो मुख्य शहर है, उनके बच्चे लगातार आ रहे हैं. अव्वल आ रहे बच्चों में प्रतिभा है, लेकिन पहले भी मैं इस तरह की मांग कर चुका हूं कि जो टॉपर्स हैं, उनकी उत्तर पुस्तिका सार्वजनिक कर देनी चाहिए. इससे पारदर्शिता भी आएगी. पारदर्शी तरीके से मालूम तो होगा कि टॉपर्स ने क्या लिखा है. इससे दूसरे छात्र प्रेरणा ले सकेंगे और कंपटीशन की भावना आएगी.
टॉप फाइव में नहीं है ये शहर
- लखनऊ-46008- 89.78%
- आगरा-50326- 88.31%
- कानपुर-460078- 91.64%
- प्रयागराज-81770- 82.74%
- नोएडा-17343- 87.92%
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