लखनऊ: राजधानी में आयोजित होने वाले इस स्थापना दिवस समारोह में डॉ. एसएस सरकार और एशियन के लिए पीजीआई चंडीगढ़ से आई डॉक्टर तूलिका सिंह ने ब्रेस्ट कैंसर के तमाम तथ्यों पर बात की. यह कार्यक्रम रेडियो डायग्नोसिस और रेडियोथेरेपी विभाग के 33 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने कैंसर से जुड़ी खास बातों पर चर्चा की.
खास बातें-
- रेडियो डायग्नोसिस और रेडियोथेरेपी विभाग के 33 साल पूरे होने पर स्थापना दिवस समारोह का आयोजन हुआ.
- इस समारोह में दसवें प्रोफ़ेसर जीएन अग्रवाल, डॉ. एसएस सरकार और एशियन को लेकर आयोजन किया गया.
- स्थापना दिवस समारोह के कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने कैंसर से जुड़े खास आयामों पर चर्चा की.
- पीजीआई चंडीगढ़ से आई डॉक्टर तूलिका सिंह ने ब्रेस्ट कैंसर के तमाम तथ्यों पर बात की.
- डॉक्टर्स, प्रेसीडेंट्स समेत विश्वविद्यालय के तमाम विभागों के विशेषज्ञ भी कार्यक्रम में मौजूद रहे.
समारोह में क्या रहा खास-
स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर रेडियोथैरेपी विभाग के विभागाध्यक्ष कपासन निर्मल पैन्यूली और रेडियो डायग्नोसिस विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर नीरा कोहली ने विभाग की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की. इस मौके पर विभाग के तमाम प्रोफेसर, डॉक्टर्स, प्रेसिडेंट्स समेत विश्वविद्यालय के तमाम विभागों के विशेषज्ञ मौजूद रहे.
ब्रेस्ट कैंसर के बारे में दी गई जानकारी-
चिकित्सक ने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर हमारे यहां महिला में होने वाला दूसरा सबसे बड़ा कैंसर है. यह सबसे अधिक महिलाओं में पाया जाता है क्योंकि महिलाओं में जागरूकता की कमी है. अक्सर यह कैंसर दूसरे या तीसरे स्टेज पर पहुंचकर ही पता चल पाता है. क्योंकि इसकी स्क्रीनिंग मैमोग्राफी आदि सही समय पर नहीं हो पाती है.
समय रहते महिलाओं को स्क्रीनिंग करानी चाहिए-
डॉक्टरों का कहना है कि महिलाओं को यह जानना चाहिए कि उन्हें सही समय पर अपनी स्क्रीनिंग करवानी चाहिए. विदेशों में 40 वर्ष की आयु के बाद हर महिला का मैमोग्राफी और स्क्रीनिंग किया जाता है. इसी वजह से वहां अर्ली डिटेक्शन हो जाता है और किसी भी महिला के पहले ही स्टेज में ब्रेस्ट कैंसर जैसी बीमारी का पता चल जाता है. जिसकी वजह से उनका बेहतर इलाज हो पाता है.
जागरूकता के अभाव की जरूरत-
जागरूकता के अभाव के चलते महिलाओं में होने वाले ब्रेस्ट कैंसर से लोग इधर उधर भटक कर टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल पहुंचते हैं. टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल में हर साल लगभग 45000 मरीज कैंसर के इलाज के लिए पहुंचते हैं. और इसमें लगभग 18% रोगी उत्तर प्रदेश से आते हैं जो कि वाकई एक बड़ा आंकड़ा है. इसलिए इन मरीजों में जागरूकता फैलानी चाहिए.
जैसे कि ब्रेस्ट कैंसर को हम स्क्रीन करते हैं मैमोग्राफी में तो मैमोग्राफी का एक बड़ा रोल रहता है. अर्ली ब्रेस्ट कैंसर को डिटेक्ट करने का. और जब तक ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं को पता चलता है तब तक वह बड़ा हो जाता है, लेकिन स्क्रीनिंग और मैमोग्राफी के माध्यम से हम कैंसर को तब भी पकड़ सकते हैं जब तक उसके लक्षण नहीं आते हैं.
-डॉ. तूलिका सिंह, एसजीपीजीआईउत्तर प्रदेश से काफी बड़ी संख्या में कैंसर का इलाज करवाने के लिए लोग टाटा हॉस्पिटल आते हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि लोगों को पता ही नहीं की उत्तर प्रदेश में भी कैंसर के इलाज की बेहतरीन सुविधाएं मौजूद हैं. खुद लखनऊ में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी एक ऐसा संस्थान है जहां पर कैंसर के इलाज की अच्छी फैसिलिटी मौजूद है. और जहां लोगों का इलाज भी बेहतरीन ढंग से किया जा रहा है.
-डॉ.जॉर्ज, टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल