लखनऊ: यूपी में अवैध खनन से सरकार को करोड़ों के राजस्व की क्षति पहुंचाये जाने का खुलासा हुआ है. यह भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में उजागर किया है. यह रिपोर्ट यूपी विधानसभा के बजट सत्र के दौरान सोमवार को पेश की गई.
वर्ष 2017-18 की कैग रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में खनन आवंटन में अनियमितता की गई है, जिसके चलते सरकार को राजस्व की भारी क्षति हुई है. खनन विभाग और कार्यदायी संस्थाओं के बीच समन्वय की कमी के चलते राजस्व का यह नुकसान हुआ है.
पट्टाधारकों से नहीं की गई वसूली
रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्तीय वर्ष 2017-18 में अवैध रूप से खनन किया गया है. विभाग द्वारा बिना वैध प्राधिकार के खनिजों के खनन के 344 मामलों में 26.27 करोड़ रुपये ठेकेदारों से नहीं वसूले गए. रिपोर्ट के मुताबिक पर्यावरण मंजूरी में निर्धारित अनुमति से अधिक के उप खनिजों के उत्खनन पर पट्टाधारकों से 1.66 पर करोड़ों रुपये की वसूली की जानी थी, लेकिन उसे नहीं किया गया.
इसी तरह खनन योजना में निर्धारित सीमा से अधिक खनिज के उत्खनन पर एक पट्टाधारक से 3.35 करोड़ रुपये की वसूली नहीं की गई है, इसके अलावा बिना खनन योजना के खनिजों के उत्खनन पर एक पट्टा धारक से तीन करोड़ रुपये की वसूली नहीं की गई.
ईंट भट्टा मालिकों से भी वसूली नहीं की गयी
बिना पर्यावरण मंजूरी के संचालित 36 ईंट भट्ठों से मिट्टी की 1.77 करोड़ की धनराशि वसूल नहीं की गई.
कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि विभाग को सुनिश्चित करना चाहिए कि अवैध खनन रोकने के लिए ईंट की मिट्टी सहित खनिजों का उत्खनन बिना अपेक्षित पर्यावरण मंजूरी के न किया जाए. ईंट भट्ठा स्वामियों से 660 मामलों में रॉयल्टी 6.94 करोड़ एवं अनुज्ञा प्रार्थना पत्र शुल्क 13.14 लाख की वसूली नहीं की गई, यद्यपि सभी एकमुश्त समाधान योजना में दिए गए थे. 19 पट्टा धारकों ने 3.94 करोड़ के सापेक्ष 1.85 करोड़ जमा किया था, बाकी 2.09 करोड़ रुपये की वसूली का कोई प्रयास नहीं किया गया.
रिपोर्ट के माध्यम से यह अनुशंसा की गई है कि विभाग को सुनिश्चित करना चाहिए कि अवैध खनन रोकने के लिए ईंट की मिट्टी सहित खनिजों का उत्खनन बिना अपेक्षित पर्यावरण मंजूरी के न किया जाए.