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माया-अखिलेश सरकार में राजस्व को 25 हजार करोड़ का लगा चूना: सीएजी - माया-अखिलेश सरकार में राजस्व को 25 हजार करोड़ का नुकसान

कैग ने अखिलेश-माया सरकार में राजस्व को हुए घाटे का खुलासा किया है. कैग रिपोर्ट के अनुसार अखिलेश-माया सरकार में आबकारी नीति से प्रदेश के राजस्व को 25 हजार करोड़ का चूना लगा है.

कैग रिपोर्ट में खुलासा.
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Published : Jul 20, 2019, 12:05 AM IST

लखनऊ: बसपा अध्यक्ष मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की सरकारों में अकेले आबकारी विभाग की गलत नीतियों और कार्यप्रणाली से प्रदेश के राजस्व को करीब 25 हजार करोड़ का चूना लगा है. उत्तर प्रदेश के आबकारी विभाग पर भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में बसपा एवं सपा सरकारों के दौरान प्रदेश सरकार के 24805 करोड़ के राजस्व की क्षति का आकलन किया है. शुक्रवार को विधानसभा में पेश की गई सीएजी की रिपोर्ट में प्रदेश की आबकारी नीति 2008-9 से 2017-18 के दौरान हुई अनियमिततओं व क्षति का आकलन किया गया है.


योगी सरकार की नीति से राजस्व लाभ में इजाफा

सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि तत्कालीन सरकारों ने विदेशी शराब एवं बियर की कीमत मनमाने ढंग से तय करने की अनुमति डिस्टलरीज को दी. इतना ही नहीं सीएजी ने प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार के द्वारा 2018-19 में घोषित नई नीति के कारण आबकारी से होने वाली आय में 48 प्रतिशत की वृद्धि का भी ब्योरा दिया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि नई आबकारी नीति के चलते राज्य में 18705 करोड़ रुपये का राजस्व बढ़ा है.

पड़ोसी राज्यों की तुलना में बियर और विदेशी मदिरा के दाम ज्यादा थे
सीएजी की रिपोर्ट में 2009 की आबकारी नीति में प्रदेश में आबकारी के विशिष्ट जोन बनाए जाने पर भी सवाल खड़ा किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि विशिष्ट जोन में जिन जिलों को शामिल किया गया, उनमें सात जिले ऐसे थे, जिनकी सीमाएं किसी पड़ोसी राज्य की सीमा से सटी हुई नहीं थी. इसके साथ ही दो ऐसे जिले छोड़े जाने का जिक्र किया गया है, जिनकी सीमाएं पड़ोसी राज्यों से मिलती थी. यह जिले अलीगढ़ एवं मथुरा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पुरानी नीति के चलते पड़ोसी राज्यों की तुलना में विदेशी शराब एवं बियर की कीमतें 135 प्रतिशत तक अधिक थी.

ठेकेदारों को पांच हजार करोड़ का गलत तरीके से लाभ
बढ़ी हुई कीमतों के चलते डिस्टलरी और शराब ठेकेदारों को 5525 करोड़ का अनुचित लाभ हुआ. अधिक कीमतों के कारण थोक विक्रेताओं को 1643 करोड़ रुपये का अतिरिक्त लाभ मिला. यह नीति 2008-9 के दौरान तत्कालीन मायावती सरकार ने लागू की थी. जिसे सपा की अखिलेश सरकार ने भी लागू रखा. अखिलश सरकार ने 2016 में शराब की नीति को एक साथ दो साल के लिए लागू किया. जिसके कारण प्रदेश की योगी सरकार नई नीति को 2019-20 में लागू कर सकी.

सीएजी ने सपा और बसपा सरकारों के दौरान आबकारी नीति में हुई घनघोर अनियमितताओं की पूरी पोल खोल दी है.

लखनऊ: बसपा अध्यक्ष मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की सरकारों में अकेले आबकारी विभाग की गलत नीतियों और कार्यप्रणाली से प्रदेश के राजस्व को करीब 25 हजार करोड़ का चूना लगा है. उत्तर प्रदेश के आबकारी विभाग पर भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में बसपा एवं सपा सरकारों के दौरान प्रदेश सरकार के 24805 करोड़ के राजस्व की क्षति का आकलन किया है. शुक्रवार को विधानसभा में पेश की गई सीएजी की रिपोर्ट में प्रदेश की आबकारी नीति 2008-9 से 2017-18 के दौरान हुई अनियमिततओं व क्षति का आकलन किया गया है.


योगी सरकार की नीति से राजस्व लाभ में इजाफा

सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि तत्कालीन सरकारों ने विदेशी शराब एवं बियर की कीमत मनमाने ढंग से तय करने की अनुमति डिस्टलरीज को दी. इतना ही नहीं सीएजी ने प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार के द्वारा 2018-19 में घोषित नई नीति के कारण आबकारी से होने वाली आय में 48 प्रतिशत की वृद्धि का भी ब्योरा दिया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि नई आबकारी नीति के चलते राज्य में 18705 करोड़ रुपये का राजस्व बढ़ा है.

पड़ोसी राज्यों की तुलना में बियर और विदेशी मदिरा के दाम ज्यादा थे
सीएजी की रिपोर्ट में 2009 की आबकारी नीति में प्रदेश में आबकारी के विशिष्ट जोन बनाए जाने पर भी सवाल खड़ा किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि विशिष्ट जोन में जिन जिलों को शामिल किया गया, उनमें सात जिले ऐसे थे, जिनकी सीमाएं किसी पड़ोसी राज्य की सीमा से सटी हुई नहीं थी. इसके साथ ही दो ऐसे जिले छोड़े जाने का जिक्र किया गया है, जिनकी सीमाएं पड़ोसी राज्यों से मिलती थी. यह जिले अलीगढ़ एवं मथुरा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पुरानी नीति के चलते पड़ोसी राज्यों की तुलना में विदेशी शराब एवं बियर की कीमतें 135 प्रतिशत तक अधिक थी.

ठेकेदारों को पांच हजार करोड़ का गलत तरीके से लाभ
बढ़ी हुई कीमतों के चलते डिस्टलरी और शराब ठेकेदारों को 5525 करोड़ का अनुचित लाभ हुआ. अधिक कीमतों के कारण थोक विक्रेताओं को 1643 करोड़ रुपये का अतिरिक्त लाभ मिला. यह नीति 2008-9 के दौरान तत्कालीन मायावती सरकार ने लागू की थी. जिसे सपा की अखिलेश सरकार ने भी लागू रखा. अखिलश सरकार ने 2016 में शराब की नीति को एक साथ दो साल के लिए लागू किया. जिसके कारण प्रदेश की योगी सरकार नई नीति को 2019-20 में लागू कर सकी.

सीएजी ने सपा और बसपा सरकारों के दौरान आबकारी नीति में हुई घनघोर अनियमितताओं की पूरी पोल खोल दी है.

Intro:माया-अखिलेश सरकार में आबकारी नीति से प्रदेश के राजस्व को 25 हजार करोड़ का लगा चूना: सीएजी

लखनऊ। बसपा अध्यक्ष मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की सरकारों में अकेले आबकारी विभाग की गलत नीतियों और कार्यप्रणाली से प्रदेश के राजस्व को करीब 25 हजार करोड़ का चूना लगा है। उत्तर प्रदेश के आबकारी विभाग पर भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में बसपा एवं सपा सरकारों के दौरान प्रदेश सरकार के 24805 करोड़ के राजस्व की क्षति का आकलन किया है। शुक्रवार को विधानसभा में पेश की गई सीएजी की रिपोर्ट में प्रदेश की आबकारी नीति 2008-9 से 2017-18 के दौरान हुई अनियमिततओं व क्षति का आकलन किया गया है।Body:योगी सरकार की नीति से राजस्व लाभ में इजाफा

सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि तत्कालीन सरकारों ने विदेशी शराब एवं बियर की कीमत मनमाने ढंग से तय करने की अनुमति डिस्टलरीज को दी। इतना ही नहीं सीएजी ने प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार के द्वारा 2018-19 में घोषित नई नीति के कारण आबकारी से होने वाली आय में 48 प्रतिशत की वृद्धि का भी ब्यौरा दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नई आबकारी नीति के चलते राज्य में 18705 करोड़ रुपये का राजस्व बढ़ा है।

पड़ोसी राज्यों की तुलना में बियर और विदेशी मदिरा के दाम ज्यादा था

सीएजी की रिपोर्ट में 2009 की आबकारी नीति में प्रदेश में आबकारी के विशिष्ट जोन बनाए जाने पर भी सवाल खड़ा किया है। रिपोर्ट में कहा गया है की विशिष्ट जोन में जिन जिलों को शामिल किया गया उनमें सात जिले ऐसे थे जिनकी सीमाएं किसी पड़ोसी राज्य की सीमा से सटी हुई नहीं थी। इसके साथ ही दो ऐसे जिले छोड़े जाने का जिक्र किया गया है, जिनकी सीमाएं पड़ोसी राज्यों से मिलती थी। यह जिले अलीगढ़ एवं मथुरा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पुरानी नीति के चलते पड़ोसी राज्यों की तुलना में विदेशी शराब एवं बियर की कीमतें 135 प्रतिशत तक अधिक थी।

ठेकेदारों को पांच हजार करोड़ का गलत तरीके से लाभ

बढ़ी हुई कीमतों के चलते डिस्टलरी और शराब ठेकेदारों को 5525 करोड़ का अनुचित लाभ हुआ। अधिक कीमतों के कारण थोक विक्रेताओं को 1643 करोड़ रुपए का अतिरिक्त लाभ मिला। यह नीति 2008-9 के दौरान तत्कालीन मायावती सरकार ने लागू की थी। जिसे सपा की अखिलेश सरकार ने भी लागू रखा। अखिलश सरकार ने 2016 में शराब की नीति को एक साथ दो साल के लिए लागू किया। जिसके कारण प्रदेश की योगी सरकार नई नीति को 2019-20 में लागू कर सकी।

सीएजी ने सपा और बसपा सरकारों के दौरान आबकारी नीति में हुई घनघोर अनियमितताओं की पूरी पोल खोल दी है। Conclusion:
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