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कुछ भी कहने से पहले तथ्यों की जांच करें मायावती : कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह - mayawati

हाथरस मामले पर बसपा प्रमुख मायावती के ट्वीट के बाद कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने मायावती पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि "मामले पर कुछ भी कहने से पहले तथ्यों की जांच कर लेनी चाहिए."

कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह
कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह
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Published : Mar 22, 2021, 9:49 PM IST

लखनऊ: हाथरस मामले पर बसपा प्रमुख मायावती के ट्वीट का कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने जवाब दिया है. सिद्धार्थ नाथ सिंह ने मायावती को तथ्‍यों की जांच करने के बाद लिखने की सलाह भी दी है. उन्‍होंने कहा कि "हाथरस के जिस मामले को आप धमकाना बता रही हैं, वह महज दोनों पक्षों के वकीलों के बीच आपसी कहासुनी भर थी"


सिद्धार्थ नाथ सिंह ने बसपा प्रमुख को सचेत किया है कि यदि वे इस तरह से बिना तथ्‍यों की जांच पड़ताल के जनता को गलत जानकारी देंगी तो अन्‍य नेताओं की तरह वो भी यूपी की राजनीति में अप्रासंगिक हो जाएंगी. उन्होंने कहा कि "आप भी प्रदेश की मुखिया रही हैं. आपको बिना तथ्यों के बोलना शोभा नहीं देता. आप अच्छी तरह से जानती हैं कि हाथरस मामले में दोनों पक्षों के वकीलों का आपसी विवाद था, जिसमें लड़की पक्ष के वकील द्वारा पहले दुर्व्यवहार किया गया है. यह लिखने से पहले एक बार तथ्यों की जांच तो करतीं बहनजी. बीते 4 वर्षों में प्रदेश की जनता ने यह बखूबी महसूस किया है कि आपराधिक घटनाओं में त्वरित कार्रवाई योगी सरकार की पहचान बनी है. इस बात को स्वयं आप भी नहीं झुठला सकतीं हैं."

इसे भी पढ़े- हाथरस कांड में योगी सरकार की कार्यशैली पर मायावती ने फिर खड़े किए सवाल


कैबिनेट मंत्री ने कहा कि "आपके आस-पास मौजूद लोग अपनी छवि चमकाने के लिए गलत जानकारी दे रहे हैं. असलियत तो ये है कि जिन्हें आप गवाहों का धमकाना बता रही हैं, वह महज दोनों पक्षों के वकीलों की आपसी कहासुनी का मामला है. आपको मानने वाले लोग आपकी कही बात पर विश्वास करते हैं. अगर आप भी अन्य नेताओं की तरह गलत जानकारी जनता को देंगी तो अन्य नेताओं की तरह ही यूपी की राजनीति में अप्रासंगिक हो जाएंगी."


5 मार्च की है घटना

5 मार्च को उक्त केस में सुनवाई हुई थी, जिसमें पीड़िता की अधिवक्ता सीमा कुशवाहा द्वारा यह आरोप लगाया गया कि विपक्षी / बचाव पक्ष के अधिवक्ता द्वारा उन्हें धमकाया गया था. शिकायत के संबंध में जिला प्रशासन को कोई जानकारी नहीं थी. न ही कोई शिकायत प्राप्त हुई थी. पीड़िता की अधिवक्ता के उच्च न्यायालय, लखनऊ बेंच में शिकायत करने पर उच्च न्यायालय द्वारा 19 मार्च को जिला न्यायाधीश हाथरस को प्रकरण में जांच कर 15 दिन में रिर्पोट भेजने के निर्देश दिये गये थे. राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन को अग्रिम सुनवाई के दिन सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं. जिला प्रशासन के मुताबिक पीड़ित परिवार की सुरक्षा में एक बटालियन सीआरपीएफ पहले से ही तैनात है जो सुनवाई के दौरान पीड़ित परिवार के साथ सुरक्षा में लगे रहते हैं.

लखनऊ: हाथरस मामले पर बसपा प्रमुख मायावती के ट्वीट का कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने जवाब दिया है. सिद्धार्थ नाथ सिंह ने मायावती को तथ्‍यों की जांच करने के बाद लिखने की सलाह भी दी है. उन्‍होंने कहा कि "हाथरस के जिस मामले को आप धमकाना बता रही हैं, वह महज दोनों पक्षों के वकीलों के बीच आपसी कहासुनी भर थी"


सिद्धार्थ नाथ सिंह ने बसपा प्रमुख को सचेत किया है कि यदि वे इस तरह से बिना तथ्‍यों की जांच पड़ताल के जनता को गलत जानकारी देंगी तो अन्‍य नेताओं की तरह वो भी यूपी की राजनीति में अप्रासंगिक हो जाएंगी. उन्होंने कहा कि "आप भी प्रदेश की मुखिया रही हैं. आपको बिना तथ्यों के बोलना शोभा नहीं देता. आप अच्छी तरह से जानती हैं कि हाथरस मामले में दोनों पक्षों के वकीलों का आपसी विवाद था, जिसमें लड़की पक्ष के वकील द्वारा पहले दुर्व्यवहार किया गया है. यह लिखने से पहले एक बार तथ्यों की जांच तो करतीं बहनजी. बीते 4 वर्षों में प्रदेश की जनता ने यह बखूबी महसूस किया है कि आपराधिक घटनाओं में त्वरित कार्रवाई योगी सरकार की पहचान बनी है. इस बात को स्वयं आप भी नहीं झुठला सकतीं हैं."

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कैबिनेट मंत्री ने कहा कि "आपके आस-पास मौजूद लोग अपनी छवि चमकाने के लिए गलत जानकारी दे रहे हैं. असलियत तो ये है कि जिन्हें आप गवाहों का धमकाना बता रही हैं, वह महज दोनों पक्षों के वकीलों की आपसी कहासुनी का मामला है. आपको मानने वाले लोग आपकी कही बात पर विश्वास करते हैं. अगर आप भी अन्य नेताओं की तरह गलत जानकारी जनता को देंगी तो अन्य नेताओं की तरह ही यूपी की राजनीति में अप्रासंगिक हो जाएंगी."


5 मार्च की है घटना

5 मार्च को उक्त केस में सुनवाई हुई थी, जिसमें पीड़िता की अधिवक्ता सीमा कुशवाहा द्वारा यह आरोप लगाया गया कि विपक्षी / बचाव पक्ष के अधिवक्ता द्वारा उन्हें धमकाया गया था. शिकायत के संबंध में जिला प्रशासन को कोई जानकारी नहीं थी. न ही कोई शिकायत प्राप्त हुई थी. पीड़िता की अधिवक्ता के उच्च न्यायालय, लखनऊ बेंच में शिकायत करने पर उच्च न्यायालय द्वारा 19 मार्च को जिला न्यायाधीश हाथरस को प्रकरण में जांच कर 15 दिन में रिर्पोट भेजने के निर्देश दिये गये थे. राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन को अग्रिम सुनवाई के दिन सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं. जिला प्रशासन के मुताबिक पीड़ित परिवार की सुरक्षा में एक बटालियन सीआरपीएफ पहले से ही तैनात है जो सुनवाई के दौरान पीड़ित परिवार के साथ सुरक्षा में लगे रहते हैं.

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