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SPGI में डायबिटीक मरीजों के पैर के घाव का बाईपास सर्जरी से होता है इलाज

संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में अब डायबिटीज मरीजों के पैर के घाव की बाईपास सर्जरी संभव हो गई है. इससे डायबिटीज मरीजों को बहुत फायदा होगा.

डायबिटीज ग्रसित पैर के घाव के लिए बाईपास सर्जरी हुई संभव
डायबिटीज ग्रसित पैर के घाव के लिए बाईपास सर्जरी हुई संभव
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Published : Apr 14, 2021, 8:04 PM IST

लखनऊ: संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में अब डायबिटीज मरीजों के पैर के घाव की बाईपास सर्जरी संभव हो गई है. डायबिटीज यदि नियंत्रित ना हो तो शरीर के अंग प्रभावित होने लगते हैं. इसमें सबसे अधिक घातक डायबिटीज मरीज के पैर में होने वाले घाव होते हैं.

सूजन और दर्द से प्रारंभ होता है मर्ज

एसजीपीजीआई के विशेषज्ञ चिकित्सकों के मुताबिक इस रोग में सबसे पहले पैर का रंग बदलने लगता है. सिर दर्द और सूजन के साथ रोग प्रारंभ होता है. फिर छोटी सी चोट भी बड़ा रूप धारण कर लेती है. इस अवस्था में मधुमेह रोगी की रक्त कोशिकाएं ब्लॉक होने लगती हैं. रक्त का प्रवाह कम होने लगता है और इसी कारण से मरीज को उंगलियों अथवा गैंगरीन जैसा गंभीर रोग हो जाता है.

इसे भी पढ़ें : LDA में टूटे अलमारियों के ताले, फिर भी सामने नहीं आया गायब फाइलों का सच

पैर कटवाने के अलावा कोई नहीं था विकल्प

मधुमेह रोगियों की रक्त कोशिकाएं ब्लॉक होने के बाद यदि पैर में यह रोग होता है तो पैर अथवा उंगलियों को काटने के सिवाय कोई विकल्प शेष नहीं रह जाता था. संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. राजीव अग्रवाल ने बताया कि पिछले 6 माह में ऐसे कई प्रकार के रोगियों का नई विधि से ऑपरेशन किया गया है. इस विधि को मेडिकल की भाषा में infra inguinal bypass कहते हैं.

बेहद जटिल है यह ऑपरेशन

डॉक्टर अग्रवाल बताते हैं कि यह ऑपरेशन हाईमैग्नीफिकेशन माइक्रोस्कोप के जरिए किया जाता है. इसमें पैर की रक्त वाहिका को माइक्रो सर्जरी विधि से जोड़ा जाता है. इस ऑपरेशन में 8 से 10 घंटे का वक्त लगता है. इसमें एक से डेढ़ फीट की रक्त वाहिका का प्रयोग किया जाता है. एसजीपीजीआई ने ऐसे 6 से 8 सफल ऑपरेशन किए हैं.

लखनऊ: संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में अब डायबिटीज मरीजों के पैर के घाव की बाईपास सर्जरी संभव हो गई है. डायबिटीज यदि नियंत्रित ना हो तो शरीर के अंग प्रभावित होने लगते हैं. इसमें सबसे अधिक घातक डायबिटीज मरीज के पैर में होने वाले घाव होते हैं.

सूजन और दर्द से प्रारंभ होता है मर्ज

एसजीपीजीआई के विशेषज्ञ चिकित्सकों के मुताबिक इस रोग में सबसे पहले पैर का रंग बदलने लगता है. सिर दर्द और सूजन के साथ रोग प्रारंभ होता है. फिर छोटी सी चोट भी बड़ा रूप धारण कर लेती है. इस अवस्था में मधुमेह रोगी की रक्त कोशिकाएं ब्लॉक होने लगती हैं. रक्त का प्रवाह कम होने लगता है और इसी कारण से मरीज को उंगलियों अथवा गैंगरीन जैसा गंभीर रोग हो जाता है.

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पैर कटवाने के अलावा कोई नहीं था विकल्प

मधुमेह रोगियों की रक्त कोशिकाएं ब्लॉक होने के बाद यदि पैर में यह रोग होता है तो पैर अथवा उंगलियों को काटने के सिवाय कोई विकल्प शेष नहीं रह जाता था. संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. राजीव अग्रवाल ने बताया कि पिछले 6 माह में ऐसे कई प्रकार के रोगियों का नई विधि से ऑपरेशन किया गया है. इस विधि को मेडिकल की भाषा में infra inguinal bypass कहते हैं.

बेहद जटिल है यह ऑपरेशन

डॉक्टर अग्रवाल बताते हैं कि यह ऑपरेशन हाईमैग्नीफिकेशन माइक्रोस्कोप के जरिए किया जाता है. इसमें पैर की रक्त वाहिका को माइक्रो सर्जरी विधि से जोड़ा जाता है. इस ऑपरेशन में 8 से 10 घंटे का वक्त लगता है. इसमें एक से डेढ़ फीट की रक्त वाहिका का प्रयोग किया जाता है. एसजीपीजीआई ने ऐसे 6 से 8 सफल ऑपरेशन किए हैं.

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