लखनऊ. उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (Uttar Pradesh State Road Transport Corporation) घाटे से उबर नहीं पा रहा है और अब सर्दी का मौसम आने वाला है तो यह घाटा और भी ज्यादा बढ़ जाएगा. पहले से ही घाटे से जूझ रहे परिवहन निगम की तरफ से अभी एक और आदेश दिया गया है कि 25 से कम यात्री होने पर लंबी दूरी की बसों को रूट पर नहीं भेजा जाए. उन्हें कैंसिल कर दिया जाए. अब यह आदेश लागू हो जाएगा तो परिवहन निगम की बसों में सफर करने के लिए सीट बुक कराने वाले यात्रियों को तो समस्या होगी ही, परिवहन निगम का घाटा और भी ज्यादा बढ़ जाएगा.
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (Uttar Pradesh State Road Transport Corporation) के लिए सर्दी के दौरान बसों का संचालन करना बड़ी चुनौती साबित होता है. कोहरे के चलते बसों की लेटलतीफी रहती है साथ ही सर्दी के दौरान यात्री बसों से यात्रा करना पसंद नहीं करते हैं. ठंड में परिवहन निगम की बसों से सफर करने वाले यात्रियों की संख्या काफी कम हो जाती है. बरसात के मौसम की तरह ही सर्दी का मौसम भी परिवहन निगम के लिए राजस्व की दृष्टि से नुकसानदायक साबित होता है. हाल ही में परिवहन निगम प्रशासन की तरफ से एक आदेश दिया गया है कि निगम का और ज्यादा घाटा न हो इसे ध्यान में रखकर लंबी दूरी के लिए संचालित होने वाली बसों में रात्रि काल सेवा के दौरान 25 से कम सवारियां होने पर उन्हें निरस्त कर दिया जाए. इन बसों को सुबह संचालित किया जाए. कम यात्रियों के होने से बस की इनकम नहीं निकल पाएगी, जिससे रोडवेज को घाटा होगा. परिवहन निगम के इस आदेश से अब लंबी दूरी के लिए रात में बसों से यात्रा की ख्वाहिश रखने वाले यात्रियों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा.
लखनऊ से लंबी दूरी जैसे दिल्ली, गोरखपुर, प्रयागराज, बनारस और बलिया जैसे जनपदों के लिए अगर यात्री रात्रिकालीन बस सेवा में ऑनलाइन टिकट बुक कराकर निश्चिंत हो जाते हैं कि अब तो सीट के लिए मारामारी नहीं करनी पड़ेगी. आराम से अपनी मंजिल तक बस से पहुंच जाएंगे, लेकिन सर्दी के दौरान यह बिल्कुल भी तय नहीं है कि जिस बस में सीट की बुकिंग है वह बस संचालित ही होगी. वजह है कि अगर उस बस में 25 से कम सवारियां रह गईं तो बस ही निरस्त कर दी जाएगी.
ज्यादातर साधारण बसों का रात्रिकालीन सेवा के तौर पर संचालन न के बराबर ही होता है. ऐसे में इन बसों के निरस्त होने का मतलब नहीं बनता. जो बसें रात्रिकालीन सेवा के रूप में संचालित भी की जाती हैं उनमें 25 सवारियों से ऊपर होती ही हैं. ज्यादा संभावना वातानुकूलित बसों के रद्द होने की बनी रहती है, क्योंकि वातानुकूलित बस का खर्चा साधारण बस की तुलना में डेढ़ से दोगुना होता है. ऐसे में अगर इस बस को 25 यात्रियों से कम संख्या होने पर भेजा जाए तो परिवहन निगम को काफी बड़ा नुकसान झेलना पड़ता है. ऐसे में रोडवेज प्रशासन ने खासतौर पर वातानुकूलित बसों को ध्यान में रखकर इस तरह का आदेश दिया है.
क्या कहते हैं रोडवेज के जिम्मेदार : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रधान प्रबंधक व प्रवक्ता अजीत सिंह का कहना है कि 25 यात्रियों से कम संख्या होने पर रात्रिकालीन बस सेवाओं को रूट पर नहीं भेजा जाएगा. इस संबंध में सभी अधिकारियों को निर्देशित कर दिया गया है. रात की कैंसल की गई बसों का संचालन सुबह कराया जाएगा. 25 से कम यात्रियों की संख्या होने पर बस संचालन कराने का परिवहन निगम को काफी नुकसान होता है इसी को ध्यान में रखकर ये फैसला लिया गया है.