लखनऊ : पंजाब सरकार ने विधायकों को मिलने वाली पेंशन पर बड़ा फैसला लेते हुए वन टर्म पेंशन की व्यवस्था लागू की है. वहीं, उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में कई बार विधायक रह चुके विधायकों को अधिक पेंशन मिल रही है जो उत्तर प्रदेश के राजस्व पर बड़ा बोझ बन रही है. सरकारी संगठन के स्तर पर एक पेंशन व्यवस्था की मांग की जा रही है. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में राज्य कर्मचारियों को पुरानी पेंशन भी नहीं मिल रही. राज्य कमर्चारियों के संगठनों की तरफ से विधायकों के लिए एक ही कार्यकाल की पेंशन व्यवस्था लागू करने की सरकार से मांग की जा रही है.
ईटीवी भारत ने उत्तर प्रदेश में पूर्व विधानसभा सदस्यों को मिलने वाली पेंशन को लेकर पड़ताल की तो पता चला कि उत्तर प्रदेश में करीब 2200 पूर्व विधायक हैं. इनमें से कुछ का निधन हो जाने के कारण उनकी आश्रित पत्नियों को दस हजार रुपये की पेंशन मिल रही है. राज्य सरकार पर करीब 65 करोड़ प्रति वर्ष का पेंशन बोझ पड़ रहा है. उत्तर प्रदेश में विधायकों को कार्यकाल के अनुसार पेंशन देने की व्यवस्था लागू की गई है. यदि कोई विधायक 5 साल के लिए ही विधायक चुना जाता है तो उसे अलग पेंशन मिलेगी. वहीं, अगर कोई विधायक 8 बार से लगातार विधायक निर्वाचित हो रहा है तो उसे शुरुआत से लेकर अब तक प्रतिवर्ष के हिसाब से अलग यानी मोटी पेंशन मिल रही है. जो राज्य सरकार पर बड़ा बोझ डाल रही है.
इस प्रकार मिलती है पूर्व विधायकों को पेंशन
उत्तर प्रदेश में पूर्व विधायकों को प्रति महीने ₹25000 पेंशन मिलने की व्यवस्था है. साथ ही 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा करने वाले विधायक को प्रतिवर्ष ₹2000 रुपये अतिरिक्त पेंशन के रूप में मिलते हैं. यह ₹2000 की बढ़ोतरी 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा करने वाले विधायकों की पेंशन में जुड़ जाती है. यानी की 5 साल तक विधायक रहने वाले व्यक्ति को प्रति महीने ₹35000 की पेंशन मिलने की व्यवस्था है. इसी तरह अगर कोई 15 साल तक विधायक रहता है, तो उसे हर महीने ₹45000 की पेंशन मिल सकती है. वहीं, 20 साल विधायक रहने वाले व्यक्ति को हर महीने ₹55000 की पेंशन मिलती है. इसके अलावा अगर कोई विधानसभा का सदस्य 8 बार तक लगातार निर्वाचित हो रहा है तो उसे एक लाख तक मिलने की व्यवस्था है. किसी भी पूर्व विधायक की मृत्यु होने पर उनके आश्रित पत्नी को सिर्फ ₹10,000 ही पेंशन देने की व्यवस्था है. वित्त विभाग से जुड़े अधिकारियों से जब ईटीवी भारत ने बात की तो अफसरों ने बताया कि उत्तर प्रदेश में करीब 22 विधायकों को पेंशन दी जा रही है. इसके एवज में करीब ₹65 करोड़ सालाना राजस्व खर्च होता है.
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क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक
उत्तर प्रदेश में अलग-अलग कार्यकाल के अनुसार विधायकों को पेंशन देने की व्यवस्था लागू की गई है जबकि कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बंद कर दी गई है. दोनों अलग-अलग विषय हैं. यह जरूर है कि अलग-अलग कार्यकाल की विधायकों को बढ़ी हुई पेंशन मिल रही है जो राज्य सरकार के बजट पर बोझ बनती है. सरकार को चाहिए कि एक व्यवस्थित तरीके से व्यवस्था बनाएं और एक निर्धारित पेंशन देने की व्यवस्था सुनिश्चित हो. सिर्फ एक ही पेंशन देने की व्यवस्था होनी चाहिए. चाहे विधायक 5 साल के लिए निर्वाचित हो या फिर कई बार से लगातार विधायक निर्वाचित हो रहा हो.
क्या कहते हैं कमर्चारी संघ के पदाधिकारी
जवाहर भवन इंदिरा भवन कर्मचारी महासंघ के महासचिव सुशील कुमार बच्चा कहते हैं ईटीवी को बहुत-बहुत धन्यवाद कि उन्होंने इस महत्वपूपर्ण विषय को उठाया है. विधायकों को अलग-अलग कार्यकाल के अनुसार पेंशन देने की व्यवस्था बंद होनी चाहिए और एक ही कार्यकाल से संबंधित व्यवस्था होनी चाहिए. कोई विधायक एक बार विधायक बने या कई अन्य बार तो उसे सिर्फ एक ही पेंशन देने की व्यवस्था होनी चाहिए.
हमारी प्रधानमंत्री से भी मांग है कि कर्मचारियों के हित में भी पुरानी पेंशन बहाली की व्यवस्था लागू की जाए. पूर्व विधायकों को अलग-अलग कार्यकाल के अनुसार अधिक पेंशन मिल रही है, वह व्यवस्था बंद होनी चाहिए. इससे जो राजस्व बचेगा. उसे अन्य काम में लगाया जाए ताकि देश और प्रदेश का हित हो सके.
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