नई दिल्ली: पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बनने वाले बुराड़ी आत्महत्या मामले में आखिरकार क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी गई. दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच द्वारा कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की गई. जिसमें पाया गया कि इस मामले में कोई भी दोषी नहीं है. 11 लोगों की मौत मामले में पुलिस ने किसी को भी दोषी नहीं माना. इस पूरे मामले को पुलिस ने एक हादसा बताते हुए कोर्ट में घटना के तीन साल बाद क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की.
एक जुलाई दो हजार अट्ठारह कि सुबह जिसने भी बुराड़ी आत्महत्या मामले को सुना सन्न रह गया. वह सुबह दिल्ली पुलिस के अधिकारियों से लेकर पत्रकारों तक के लिए हिला देने वाली सुबह थी. एक ही घर के अंदर सामूहिक आत्महत्या की खबर इलाके में आग की तरह फैली और देखते ही देखते बुराड़ी इलाके के संत नगर के उस घर के बाहर लोगों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया. मालूम पड़ा कि एक घर के अंदर 11 लोगों ने बरगद की जटाओं की तरह लटककर फांसी लगाई है, जब पुलिस अंदर गई तो सभी का शव एक जाल से लटका हुआ था और बुजुर्ग महिला बिस्तर के पास मृत अवस्था में पड़ी थी. अंदर जो भी दाखिल हुआ उसके पैरों तले जमीन खिसक गई. वह नज़ारा किसी को भी विचलित करने वाला था.
बुराड़ी इलाके के संत नगर में ललित और उनका पूरा परिवार रहता था. संत नगर मेन रोड के पास ही बना हुआ यह घर अचानक लोगों के लिए चर्चा का विषय बन गया. दूर-दूर से लोग आते और उस घर को निहारते थे. वजह इसी घर के अंदर 11 लोगों की आत्महत्या थी. खबर मिलने पर जब पुलिसकर्मी घर के अंदर पहुंचे तो देखा 77 साल की नारायणी देवी बिस्तर के पास पड़ी हैं और घर के बाकी सभी सदस्य जाल से लटके हुए थे. ललित और भवनेश दोनों का परिवार एक ही घर में रहता था.
इस मामले में ललित, भवनेश ,प्रतिभा, प्रियंका ,सविता ,नीतू ,मेनका, धीरेंद्र, टीना और शिवम सभी ने एक साथ फांसी के फंदे से झूल कर अपनी जीवन लीला को समाप्त कर लिया. जिसमें 77 साल की बुजुर्ग महिला से लेकर 15 साल का बच्चा शामिल था. किसी को यह समझ नहीं आ रहा था कि आखिर कैसे 15 साल का बच्चा भी आत्महत्या करने के बारे में सोच सकता है. जैसे-जैसे पुलिस की जांच आगे बढ़ी इस पूरी डायरी के पन्ने खुलते गए. मामला क्राइम ब्रांच को सौंपा गया और आखिरकार तीन साल बाद दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने कोर्ट में इस मामले पर क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी.
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पुलिस को जांच के दौरान घर के अंदर से कुछ डायरी मिली थीं, जिसमें ललित के द्वारा काफी कुछ लिखा हुआ था. इसी डायरी के आधार पर इस पूरे मामले का खुलासा हुआ. परत दर परत जब पन्ने पलटे गए तो पूरे मामले के पेच भी खुलने लगे और यह साफ हो गया कि 11 मौतों में किसी की साजिश या फिर आपराधिक षड्यंत्र नहीं, बल्कि यह एक हादसा है. सुनियोजित तरीके से पूरे परिवार ने सामूहिक आत्महत्या की घटना को अंजाम दिया. जिसके पीछे सिर्फ अंधविश्वास छिपा हुआ था, ललित द्वारा लिखी गई डायरी के कुछ पन्ने यह सब बयां करते हैं कि वह सभी लोग आत्महत्या करने की योजना लंबे समय से बना रहे थे.
आखिरकार तीन साल बाद इस मामले में दिल्ली पुलिस इस निर्णय पर पहुंची और पूरे मामले को हादसा बताते हुए कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी गई.