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लखनऊ: आयुर्वेदिक कॉलेजों में शोध को बढ़ावा देने के लिए बजट जारी - up news

आयुर्वेदिक कॉलेजों में शोध को बढ़ावा देने के लिए शासन ने बजट जारी कर दिया है. प्रदेश में कुल 8 आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज हैं.

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शासन ने आयुर्वेदिक कॉलेजों के लिए जारी किया बजट.
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Published : Feb 21, 2020, 5:15 PM IST

लखनऊ: राजकीय आयुर्वेदिक में आने वाले दिनों में शोध को बढ़ावा देने के लिए विभाग की तरफ से शासन को बीते दिनों एक प्रस्ताव भेजा गया था, जिसके बाद इस पूरे मामले पर अब मुहर लग गई है और आयुर्वेदिक कॉलेजों में शोध को बढ़ावा देने के लिए बजट भी जारी कर दिया गया है.

शासन ने आयुर्वेदिक कॉलेजों के लिए जारी किया बजट.

राष्ट्रीय आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों में शोध और इनोवेशन को बढ़ावा दिया जाएगा. इसके लिए शासन ने 10 रुपये लाख रुपये जारी किए हैं. प्रत्येक मेडिकल कॉलेज में एक प्रोफेसर को नोडल ऑफिसर बनाया जाएगा, जो बीएमएस व पीजी के विद्यार्थियों को शोध के लिए प्रेरित करेगा. प्रमुख सचिव आयुष प्रशांत त्रिवेदी ने सभी आयुर्वेदिक कॉलेजों को बजट जारी कर दिया है. साथ ही सभी को शोध के विषय भी आवंटित कर दिए हैं.

प्रदेश में कुल 8 आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज हैं. राष्ट्रीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय चिकित्सालय पीलीभीत को 1.25 लाख, बरेली को 1.18 लाख, लखनऊ को 1.40 ,मुजफ्फरनगर 1.50 लाख, प्रयागराज 1.25 लाख, अतर्रा बांदा को 1.25 लाख, वाराणसी को 1.17 लाख और झांसी को 1लाख रुपये आवंटित किए गए हैं.

मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर को इनोवेशन के लिए प्रभारी प्राध्यापक नामित किया जाएगा. उनके अधीन प्रवक्ता सहायक प्रभारी होंगे. फील्ड स्टडी के लिए एक विषय क्षेत्र निर्धारित कर योजना बनाएंगे. आवंटित बजट से पीलीभीत को क्रॉनिक लिवर डिजीज और क्रॉनिक डर्मेटाइटिस, बरेली को एग्जिमा, लखनऊ को पंचकूला, कंचनार, गुग्गुल नष्टपुष्पांतक रस का पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम के प्रबंधन में प्रभाव, मुजफ्फरनगर को मधुमेह और कटी शूल में देसी पदार्थों के प्रभाव का मूल्यांकन हंडिया प्रयागराज को पंचामृत गूगल और अनुष्का सर्वाइकल स्पांडिलाइसिस के प्रबंध में मूल्यांकन के प्रभाव का मूल्यांकन, वाराणसी को पांडु रोग में योग के प्रभाव का मूल्यांकन, झांसी को मधुमेह में पदार्थों के प्रभाव का मूल्यांकन जिम्मेदारी दी गई है.

सभी मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्यों को दिशा निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि दिशा निर्देशों का पालन होगा और इस पूरी गाइडलाइंस के माध्यम से आने वाले दिनों में आयुर्वेदिक कॉलेजों में भी शोध देखने को मिलेंगे. इसका लाभ लोगों को मिल पाएगा.

उम्मीद है आने वाले दिनों में शासन की तरफ से किए गए सहयोग का आयुर्वेदिक कॉलेजों में शोध के विषय में अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे, जिसका लाभ लोगों को मिलेगा.

डॉ. एसएन सिंह, निदेशक, आयुष विभाग

लखनऊ: राजकीय आयुर्वेदिक में आने वाले दिनों में शोध को बढ़ावा देने के लिए विभाग की तरफ से शासन को बीते दिनों एक प्रस्ताव भेजा गया था, जिसके बाद इस पूरे मामले पर अब मुहर लग गई है और आयुर्वेदिक कॉलेजों में शोध को बढ़ावा देने के लिए बजट भी जारी कर दिया गया है.

शासन ने आयुर्वेदिक कॉलेजों के लिए जारी किया बजट.

राष्ट्रीय आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों में शोध और इनोवेशन को बढ़ावा दिया जाएगा. इसके लिए शासन ने 10 रुपये लाख रुपये जारी किए हैं. प्रत्येक मेडिकल कॉलेज में एक प्रोफेसर को नोडल ऑफिसर बनाया जाएगा, जो बीएमएस व पीजी के विद्यार्थियों को शोध के लिए प्रेरित करेगा. प्रमुख सचिव आयुष प्रशांत त्रिवेदी ने सभी आयुर्वेदिक कॉलेजों को बजट जारी कर दिया है. साथ ही सभी को शोध के विषय भी आवंटित कर दिए हैं.

प्रदेश में कुल 8 आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज हैं. राष्ट्रीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय चिकित्सालय पीलीभीत को 1.25 लाख, बरेली को 1.18 लाख, लखनऊ को 1.40 ,मुजफ्फरनगर 1.50 लाख, प्रयागराज 1.25 लाख, अतर्रा बांदा को 1.25 लाख, वाराणसी को 1.17 लाख और झांसी को 1लाख रुपये आवंटित किए गए हैं.

मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर को इनोवेशन के लिए प्रभारी प्राध्यापक नामित किया जाएगा. उनके अधीन प्रवक्ता सहायक प्रभारी होंगे. फील्ड स्टडी के लिए एक विषय क्षेत्र निर्धारित कर योजना बनाएंगे. आवंटित बजट से पीलीभीत को क्रॉनिक लिवर डिजीज और क्रॉनिक डर्मेटाइटिस, बरेली को एग्जिमा, लखनऊ को पंचकूला, कंचनार, गुग्गुल नष्टपुष्पांतक रस का पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम के प्रबंधन में प्रभाव, मुजफ्फरनगर को मधुमेह और कटी शूल में देसी पदार्थों के प्रभाव का मूल्यांकन हंडिया प्रयागराज को पंचामृत गूगल और अनुष्का सर्वाइकल स्पांडिलाइसिस के प्रबंध में मूल्यांकन के प्रभाव का मूल्यांकन, वाराणसी को पांडु रोग में योग के प्रभाव का मूल्यांकन, झांसी को मधुमेह में पदार्थों के प्रभाव का मूल्यांकन जिम्मेदारी दी गई है.

सभी मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्यों को दिशा निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि दिशा निर्देशों का पालन होगा और इस पूरी गाइडलाइंस के माध्यम से आने वाले दिनों में आयुर्वेदिक कॉलेजों में भी शोध देखने को मिलेंगे. इसका लाभ लोगों को मिल पाएगा.

उम्मीद है आने वाले दिनों में शासन की तरफ से किए गए सहयोग का आयुर्वेदिक कॉलेजों में शोध के विषय में अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे, जिसका लाभ लोगों को मिलेगा.

डॉ. एसएन सिंह, निदेशक, आयुष विभाग

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