लखनऊ : आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन बिबेक देबरॉय का नए संविधान की वकालत करना अब देश भर में चर्चा का विषय बन गया है. तमाम राजनीतिक दल इस मामले को लेकर केंद्र सरकार पर सवाल खड़े कर रहे हैं. केंद्र सरकार से देबरॉय पर कार्रवाई करने की भी मांग की जा रही है. उत्तर प्रदेश में भी देबरॉय पर कार्रवाई की मांग उठने लगी है. बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी ट्वीट कर इस मामले पर निशाना साधा है.
बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट किया है कि आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन बिबेक देबरॉय की तरफ से अपने लेख में देश में नए संविधान की वकालत करना उनके अधिकार क्षेत्र का खुला उल्लंघन है, जिसका केन्द्र सरकार को तुरन्त संज्ञान लेकर जरूर कार्रवाई करनी चाहिए, जिससे आगे कोई ऐसी अनर्गल बात करने का दुस्साहस न कर सके. देश का संविधान इसकी 140 करोड़ गरीब, पिछड़ी व उपेक्षित जनता के लिए मानवतावादी व समतामूलक होने की गारण्टी है, जो स्वार्थी, संकीर्ण, जातिवादी तत्वों को पसंद नहीं और वे इसको जनविरोधी व धन्नासेठ-समर्थक के रूप में बदलने की बात करते हैं, जिसका विरोध करना सबकी जिम्मेदारी है.
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1. आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन बिबेक देबरॉय द्वारा अपने लेख में देश में नए संविधान की वकालत करना उनके अधिकार क्षेत्र का खुला उल्लंघन है जिसका केन्द्र सरकार को तुरन्त संज्ञान लेकर जरूर कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि आगे कोई ऐसी अनर्गल बात करने का दुस्साहस न कर सके। (1/2)
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— Mayawati (@Mayawati) August 18, 20231. आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन बिबेक देबरॉय द्वारा अपने लेख में देश में नए संविधान की वकालत करना उनके अधिकार क्षेत्र का खुला उल्लंघन है जिसका केन्द्र सरकार को तुरन्त संज्ञान लेकर जरूर कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि आगे कोई ऐसी अनर्गल बात करने का दुस्साहस न कर सके। (1/2)
— Mayawati (@Mayawati) August 18, 2023
बता दें कि इस पूरे मामले पर जारी चर्चाओं को लेकर आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन की तरफ से भी सफाई दी जा चुकी है. देबरॉय ने लिखा था कि हम जो बहस करते हैं वह संविधान से शुरू और खत्म होती है. कुछ संशोधनों से काम नहीं चलेगा. हमें ड्राइंग बोर्ड पर वापस जाना चाहिए और पहले सिद्धांतों से शुरू करना चाहिए. हम लोगों को खुद को एक नया संविधान देना होगा. इसी बात को लेकर देश भर में विवाद बढ़ता जा रहा है. आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष देबरॉय की तरफ से सफाई दी गई कि लेख उनके व्यक्तिगत विचार थे. काउंसिल और सरकार से इसका लेना देना नहीं है.