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Mayawati : कांग्रेस ने उठाई जातीय जनगणना की मांग तो मायावती ने कही ये बात

बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष व यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती (Mayawati) ने कांग्रेस के रायपुर महाधिवेशन में उठाए गए मुद्दे को लेकर तंज कसा है. मायावती ने ट्वीट कर कहा 'बीजेपी का भी रवैया छलावापूर्ण है.'

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Published : Mar 1, 2023, 1:01 PM IST

लखनऊ : बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने जातिगत जनगणना को लेकर कांग्रेस के रायपुर महाधिवेशन में उठाए गए मुद्दे को लेकर तंज कसा है. मायावती ने कहा कि 'जब कांग्रेस पार्टी सत्ता में रहती है तो जातीय जनगणना की याद नहीं आती है, लेकिन जब पार्टी के बुरे दिन चल रहे हैं तो वोट की खातिर जातीय जनगणना की याद आ जाती है. भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी एक ही हैं. समाजवादी पार्टी को आगे कर जातीय जनगणना की मांग कराई जा रही है, जबकि जब समाजवादी पार्टी सत्ता में थी तो इन वर्गों के आरक्षण पर रोक लगा दी थी. ऐसे वर्गों की हितैषी सिर्फ बहुजन समाज पार्टी है. बाकी सभी पार्टियां इन वर्गों पर राजनीति करते हैं. मायावती ने ट्वीट कर कांग्रेस पर प्रहार किया.



  • 1. कांग्रेस पार्टी द्वारा रायपुर अधिवेशन में जातीय जनगणना व प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण आदि को लेकर कही गई बातें छलावा तथा घोर चुनावी स्वार्थ की इनकी राजनीति नहीं तो और क्या है, क्योंकि सत्ता में होने पर कांग्रेस ठीक इसका उलटा ही करती है। बीजेपी का भी रवैया ऐसा ही छलावापूर्ण।

    — Mayawati (@Mayawati) March 1, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट किया कि 'कांग्रेस पार्टी के रायपुर अधिवेशन में जातीय जनगणना व प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण आदि को लेकर कही गई बातें छलावा और घोर चुनावी स्वार्थ की इनकी राजनीति नहीं तो और क्या है, क्योंकि सत्ता में होने पर कांग्रेस ठीक इसका उल्टा ही करती है. बीजेपी का भी रवैया ऐसा ही छलावापूर्ण है. प्रोन्नति में आरक्षण के चर्चित व महत्त्वपूर्ण मुद्दे को लेकर कांग्रेस व भाजपा की तरफ से सपा को आगे करके सम्बंधित बिल को संसद में पारित नहीं होने देने के जातिवादी षडयंत्र को भला कौन भुला सकता है, जिसका अति-दुःखद व दुर्भाग्यपूर्ण परिणाम इन वर्गों को आजतक भुगतना पड़ रहा है. इन्हीं बीएसपी-विरोधी पार्टियों के षडयंत्र का परिणाम है कि सरकारी नौकरी व शिक्षा में इन वर्गों का आरक्षण लगभग निष्क्रिय एवं निष्प्रभावी बन गया है और इनकी आरक्षित सीटें वर्षों से खाली हैं, जबकि ईडब्लूएस का नया लागू कोटा सरकार मुस्तैदी से भरती है, इसलिए हर स्तर पर सावधानी जरूरी है. इतना ही नहीं कांग्रेस व अन्य जातिवादी पार्टियां सत्ता में रहते खासकर दलित व आदिवासी वर्ग को पार्टी संगठन में भी उच्च पदों से दरकिनार रखती हैं. अच्छे वक्त में अन्य वर्गों को ही पूरा महत्त्व और सत्ता से बाहर होने पर बुरे वक्त में इनकी याद और उनके वोट के लिए घड़ियाली आंसू बहाए जाते हैं.'

यह भी पढ़ें : Scam in Panchayati Raj Department : तीन अफसर निलंबित, निदेशक सहित कई से स्पष्टीकरण तलब

लखनऊ : बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने जातिगत जनगणना को लेकर कांग्रेस के रायपुर महाधिवेशन में उठाए गए मुद्दे को लेकर तंज कसा है. मायावती ने कहा कि 'जब कांग्रेस पार्टी सत्ता में रहती है तो जातीय जनगणना की याद नहीं आती है, लेकिन जब पार्टी के बुरे दिन चल रहे हैं तो वोट की खातिर जातीय जनगणना की याद आ जाती है. भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी एक ही हैं. समाजवादी पार्टी को आगे कर जातीय जनगणना की मांग कराई जा रही है, जबकि जब समाजवादी पार्टी सत्ता में थी तो इन वर्गों के आरक्षण पर रोक लगा दी थी. ऐसे वर्गों की हितैषी सिर्फ बहुजन समाज पार्टी है. बाकी सभी पार्टियां इन वर्गों पर राजनीति करते हैं. मायावती ने ट्वीट कर कांग्रेस पर प्रहार किया.



  • 1. कांग्रेस पार्टी द्वारा रायपुर अधिवेशन में जातीय जनगणना व प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण आदि को लेकर कही गई बातें छलावा तथा घोर चुनावी स्वार्थ की इनकी राजनीति नहीं तो और क्या है, क्योंकि सत्ता में होने पर कांग्रेस ठीक इसका उलटा ही करती है। बीजेपी का भी रवैया ऐसा ही छलावापूर्ण।

    — Mayawati (@Mayawati) March 1, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट किया कि 'कांग्रेस पार्टी के रायपुर अधिवेशन में जातीय जनगणना व प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण आदि को लेकर कही गई बातें छलावा और घोर चुनावी स्वार्थ की इनकी राजनीति नहीं तो और क्या है, क्योंकि सत्ता में होने पर कांग्रेस ठीक इसका उल्टा ही करती है. बीजेपी का भी रवैया ऐसा ही छलावापूर्ण है. प्रोन्नति में आरक्षण के चर्चित व महत्त्वपूर्ण मुद्दे को लेकर कांग्रेस व भाजपा की तरफ से सपा को आगे करके सम्बंधित बिल को संसद में पारित नहीं होने देने के जातिवादी षडयंत्र को भला कौन भुला सकता है, जिसका अति-दुःखद व दुर्भाग्यपूर्ण परिणाम इन वर्गों को आजतक भुगतना पड़ रहा है. इन्हीं बीएसपी-विरोधी पार्टियों के षडयंत्र का परिणाम है कि सरकारी नौकरी व शिक्षा में इन वर्गों का आरक्षण लगभग निष्क्रिय एवं निष्प्रभावी बन गया है और इनकी आरक्षित सीटें वर्षों से खाली हैं, जबकि ईडब्लूएस का नया लागू कोटा सरकार मुस्तैदी से भरती है, इसलिए हर स्तर पर सावधानी जरूरी है. इतना ही नहीं कांग्रेस व अन्य जातिवादी पार्टियां सत्ता में रहते खासकर दलित व आदिवासी वर्ग को पार्टी संगठन में भी उच्च पदों से दरकिनार रखती हैं. अच्छे वक्त में अन्य वर्गों को ही पूरा महत्त्व और सत्ता से बाहर होने पर बुरे वक्त में इनकी याद और उनके वोट के लिए घड़ियाली आंसू बहाए जाते हैं.'

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