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'मायावती का भाजपा से मोह', बसपा नेताओं को सता रही चिंता! - BSP President Mayawati

बसपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का तमाम मुद्दों को लेकर बीजेपी की केंद्र और राज्य सरकार के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर बसपा नेताओं को रास नहीं आ रहा है. मायावती के बीजेपी के प्रति नजर आ रहे मोह से पार्टी के अंदर न सिर्फ नाराजगी है, बल्कि हलचल भी देखने को मिल रही है.

BSP President Mayawati
बसपा अध्यक्ष मायावती
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Published : Nov 6, 2020, 6:51 PM IST

लखनऊ: मायावती के बीजेपी के प्रति सॉफ्ट कार्नर को लेकर पार्टी के नेताओं में तमाम तरह की चर्चाएं हो रही हैं. दरअसल बसपा नेताओं को इस बात का डर सता रहा है कि मायावती के इस भाजपा के प्रति मोह के चलते 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को सियासी नुकसान उठाना पड़ सकता है. साथ ही ये भी कयास लगाए जा रहे हैं कि बसपा से दलित और मुस्लिम समाज के लोग किनारा कर सकते हैं.

पिछले दिनों बसपा के सात विधायकों ने पार्टी से की थी बगावत

बसपा नेताओं को सताने लगी चिंता
पिछले कई चुनावों में बसपा की सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले पर दलितों के साथ-साथ मुस्लिम समुदाय का भी समर्थन बसपा को मिलता रहा है. ऐसे में जब मायावती पर बीजेपी की बी- टीम के रूप में काम करने के आरोप लग रहा है तो स्वाभाविक रूप से दलितों और मुस्लिम समुदाय बसपा से किनारा कर सकते हैं. बसपा तमाम मुद्दों पर सरकार पर हमलावर होती नहीं दिख रही है. यही कारण है कि बसपा के तमाम नेताओं को वोट बैंक की चिंता सताने लगी है.

बसपा के कई विधायक हो चुके हैं बागी
पिछले दिनों बसपा के सात विधायकों ने पार्टी से बगावत कर सपा में शामिल हो गए. इससे पहले उन्नाव विधायक अनिल सिंह पिछले राज्यसभा चुनाव के दौरान बसपा से बगावत करके भारतीय जनता पार्टी का समर्थन किया था, जिसके बाद से ही वे बीजेपी के संपर्क में हैं.

इन बागी विधायकों को मायावती ने किया था निलंबित
बसपा अध्यक्ष मायावती ने पिछले दिनों पार्टी से बगावत करने वाले सात विधायकों को पार्टी से निलंबित कर दिया था. समाजवादी पार्टी का साथ देने वाले विधायकों में असलम राईनी, असलम अली, मुज्तबा सिद्दीकी, हाकिम लाल बिंद, हरगोविंद भार्गव, सुषमा पटेल और वंदना सिंह को तत्काल प्रभाव से पार्टी से निलंबित कर दिया गया था. इन विधायकों ने कहा था कि 'हम नहीं चाहते कि बसपा के राज्यसभा उम्मीदवार राम जी गौतम भाजपा के समर्थन से राज्यसभा जाएं हम भाजपा विरोधी हैं और भाजपा के साथ राजनीतिक रिश्ते किसी भी तरह से स्वीकार नहीं हैं."

आगामी विधानसभा चुनाव में हो सकता है सियासी नुकसान

मायावती द्वारा भाजपा के समर्थन की बात कहे जाने के बाद पार्टी के अंदर हलचल तेज हो गई है. दरअसल लगातार बसपा सुप्रीमो के द्वारा भाजपा के प्रति सॉफ्ट कार्नर से पार्टी के अंदर तमाम तरह की चर्चाएं होना स्वाभाविक है. अगर समय रहते बसपा अध्यक्ष मायावती ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो आने वाले समय में बसपा को बड़ा सियासी नुकसान उठाना पड़ सकता है

मुस्लिम वोटर हो सकता है बसपा से दूर!
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं कि भाजपा और बसपा पहले एक साथ गठबंधन धर्म में बंध चुके हैं, लेकिन बाद की परिस्थितियों में यह सब एक-दूसरे के विरोधी रहे हैं. इसके साथ ही बदली हुई परिस्थितियों में मायावती ने सपा को हराने के लिए भाजपा का भी साथ देने की बात कही है, जिसको लेकर बसपा का वोटर नाराज हो सकता है. वहीं खासकर जो मुसलमान वोटर हैं, वे भी बसपा से दूर हो सकते हैं और इसका सियासी नुकसान पार्टी को हो सकता है. मायावती ने गेस्ट हाउस कांड को लेकर सपा को हर हाल में हराने की बात कही है और इसी नाते भाजपा के समर्थन की भी बात कही है.

लखनऊ: मायावती के बीजेपी के प्रति सॉफ्ट कार्नर को लेकर पार्टी के नेताओं में तमाम तरह की चर्चाएं हो रही हैं. दरअसल बसपा नेताओं को इस बात का डर सता रहा है कि मायावती के इस भाजपा के प्रति मोह के चलते 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को सियासी नुकसान उठाना पड़ सकता है. साथ ही ये भी कयास लगाए जा रहे हैं कि बसपा से दलित और मुस्लिम समाज के लोग किनारा कर सकते हैं.

पिछले दिनों बसपा के सात विधायकों ने पार्टी से की थी बगावत

बसपा नेताओं को सताने लगी चिंता
पिछले कई चुनावों में बसपा की सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले पर दलितों के साथ-साथ मुस्लिम समुदाय का भी समर्थन बसपा को मिलता रहा है. ऐसे में जब मायावती पर बीजेपी की बी- टीम के रूप में काम करने के आरोप लग रहा है तो स्वाभाविक रूप से दलितों और मुस्लिम समुदाय बसपा से किनारा कर सकते हैं. बसपा तमाम मुद्दों पर सरकार पर हमलावर होती नहीं दिख रही है. यही कारण है कि बसपा के तमाम नेताओं को वोट बैंक की चिंता सताने लगी है.

बसपा के कई विधायक हो चुके हैं बागी
पिछले दिनों बसपा के सात विधायकों ने पार्टी से बगावत कर सपा में शामिल हो गए. इससे पहले उन्नाव विधायक अनिल सिंह पिछले राज्यसभा चुनाव के दौरान बसपा से बगावत करके भारतीय जनता पार्टी का समर्थन किया था, जिसके बाद से ही वे बीजेपी के संपर्क में हैं.

इन बागी विधायकों को मायावती ने किया था निलंबित
बसपा अध्यक्ष मायावती ने पिछले दिनों पार्टी से बगावत करने वाले सात विधायकों को पार्टी से निलंबित कर दिया था. समाजवादी पार्टी का साथ देने वाले विधायकों में असलम राईनी, असलम अली, मुज्तबा सिद्दीकी, हाकिम लाल बिंद, हरगोविंद भार्गव, सुषमा पटेल और वंदना सिंह को तत्काल प्रभाव से पार्टी से निलंबित कर दिया गया था. इन विधायकों ने कहा था कि 'हम नहीं चाहते कि बसपा के राज्यसभा उम्मीदवार राम जी गौतम भाजपा के समर्थन से राज्यसभा जाएं हम भाजपा विरोधी हैं और भाजपा के साथ राजनीतिक रिश्ते किसी भी तरह से स्वीकार नहीं हैं."

आगामी विधानसभा चुनाव में हो सकता है सियासी नुकसान

मायावती द्वारा भाजपा के समर्थन की बात कहे जाने के बाद पार्टी के अंदर हलचल तेज हो गई है. दरअसल लगातार बसपा सुप्रीमो के द्वारा भाजपा के प्रति सॉफ्ट कार्नर से पार्टी के अंदर तमाम तरह की चर्चाएं होना स्वाभाविक है. अगर समय रहते बसपा अध्यक्ष मायावती ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो आने वाले समय में बसपा को बड़ा सियासी नुकसान उठाना पड़ सकता है

मुस्लिम वोटर हो सकता है बसपा से दूर!
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं कि भाजपा और बसपा पहले एक साथ गठबंधन धर्म में बंध चुके हैं, लेकिन बाद की परिस्थितियों में यह सब एक-दूसरे के विरोधी रहे हैं. इसके साथ ही बदली हुई परिस्थितियों में मायावती ने सपा को हराने के लिए भाजपा का भी साथ देने की बात कही है, जिसको लेकर बसपा का वोटर नाराज हो सकता है. वहीं खासकर जो मुसलमान वोटर हैं, वे भी बसपा से दूर हो सकते हैं और इसका सियासी नुकसान पार्टी को हो सकता है. मायावती ने गेस्ट हाउस कांड को लेकर सपा को हर हाल में हराने की बात कही है और इसी नाते भाजपा के समर्थन की भी बात कही है.

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