लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी की केंद्र में 2014 और उत्तर प्रदेश में 2017 में सरकार बनने के बाद एक दूसरे के धुर विरोधी समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी साथ आ गए. दोनों पार्टियों का गठबंधन हुआ. यह गठबंधन जिस उद्देश्य के साथ हुआ था, वह पूरा न हो सका. यही वजह रही कि दोनों दलों में एक बार फिर दरार पड़ती दिख रही है. गठबंधन को लेकर पहले से ही चर्चा आम थी कि लोकसभा चुनाव में जीत नहीं मिली तो गठबंधन टूट सकता है.
बसपा सुप्रीमों ने कहा यादवों का नहीं मिला वोट
- बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती ने जिस प्रकार से मंगलवार को यह कह कर गठबंधन तोड़ दिया कि उन्हें यादवों का वोट नहीं मिला.
- इसके माध्यम से वह यह भी कहना चाहती हैं कि सपा का जनाधार समाप्त हो गया है.
- इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह गठबंधन केवल राजनीतिक स्वार्थ के लिए ही नहीं है बल्कि हम दोनों के बीच आगे भी संबंध रहेंगे.
- मायावती ने कहा कि राजनीतिक मजबूरियां होने के नाते यह गठबंधन टूट रहा है.
- हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि आगे आवश्यकता पड़ने पर यह गठबंधन हो सकता है.
- इससे साफ है कि मायावती ने अपने लिए सारी संभावनाएं खुली रखी हैं.
गठबंधन में दरार
- समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन करने का अखिलेश यादव को श्रेय जाता है, लेकिन इसे तोड़ने का श्रेय मायावती को जाता है.
- दरअसल 2017 में अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवा दी, तो उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा था.
- अखिलेश को यह लगने लगा कि 2014 के बाद 2017 में भी इस प्रकार से अगर बीजेपी ने जीत दर्ज की है तो हो सकता है कि 2019 में भी भाजपा की यही स्थिति बने.
- ऐसे में समाजवादी पार्टी का खड़ा हो पाना मुश्किल होगा.
- समाजवादी पार्टी के लिए अपनी पार्टी को मजबूत करने से ज्यादा भाजपा को रोकना जरूरी हो गया.
- इसके साथ ही अखिलेश यादव पूरी शिद्दत से गठबंधन करने में जुट गए.
गठबंधन के लिए पहले आए थे अखिलेश
- अखिलेश यादव बार-बार मीडिया में गठबंधन के लिए कहते रहें.
- बहुजन समाज पार्टी की शुरुआती दिनों में कोई भी प्रतिक्रिया नहीं आई.
- जब यह गठबंधन होने को हुआ तब भी अखिलेश काफी झुके दिखे.
- जिस जगह पर गठबंधन का ऐलान होना था वहां अखिलेश यादव काफी पहले पहुंचे.
- अखिलेश के पहुंचने के करीब आधे घंटे बाद मायावती पहुंचीं.
- जीरो सीट पर खड़ी बहुजन समाज पार्टी को अखिलेश यादव के इस कदम ने ऑक्सीजन ही नहीं दी बल्कि पूरी ताकत दे दी.
- अखिलेश यादव के झुक कर गठबंधन करना उनके समर्थकों को भी अच्छा नहीं लगा.
मायावती ने कई बार दिए झटके
- बसपा अध्यक्ष मायावती ने पहले गठबंधन के लिए अखिलेश यादव को झुकाया.
- जब गठबंधन हो गया तो भी वह बार-बार झटके देती रहीं.
- चुनावी सभाओं के दौरान उन्होंने यहां तक कहा कि समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं के व्यवहार में सुधार की जरूरत है.
- इसी बीच उन्होंने यह भी कहा कि अगर वोट ट्रांसफर होता है, तो गठबंधन जीतेगा.
- ऐसे ही तमाम चीजों पर वह सपा को कमतर साबित करती रहीं.
- अब सपा से ज्यादा सीटें मिलने के बावजूद मायावती ने गठबंधन तोड़ दिया.
- दरअसल इसके पीछे की भी कहानी बताई जा रही है कि अखिलेश के खेमे में चर्चा शुरू हो गयी थी कि बसपा का वोट सपा को नहीं मिला.
- इस चर्चा को वह भाप गयीं और सपा से वह खुद अलग हो गयीं.
बुआ-भतीजे का जो रिश्ता था, उसमें पहले ही स्थायित्व नहीं था क्योंकि शिवपाल ने कहा था कि हमारे तो कोई बहन ही नहीं है तो वह कैसे हो सकती हैं. शुरुआत से जो अटकलें थी वह अब सही साबित हो गई हैं. जब से अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी की नेतृत्व कर रहे हैं तब से वह लगातार गर्त में जा रही हैं. जहां तक भाजपा कि बात है हम लगातार जनता के बीच रहते हैं. जनता ने हमारे काम को आशीर्वाद दिया है.
-श्रीकांत शर्मा, मंत्री व उप्र सरकार के प्रवक्ता