लखनऊ: लखनऊ यूनिवर्सिटी में भाषा महोत्सव के आयोजन के साथ तीन दिन तक बुक फेयर भी आयोजित किया गया. पुस्तक मेले के आयोजन का उद्देश्य यही था कि विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले जो छात्र हैं, वे मोबाइल और कंप्यूटर से इतर किताबों की तरफ आकर्षित हो सकें. किताबों के महत्व को करीब से समझ सकें. इस पुस्तक मेले का युवाओं पर असर भी दिखा. युवाओं ने कहा कि यह सच है कि इंटरनेट पर बहुत कुछ मिलता है. वहीं इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता कि जो पुस्तकों में होता है, वह सामग्री इंटरनेट पर मौजूद नहीं होती है.
पुस्तक विक्रेता अंजनी कुमार मिश्रा और सुशील कुमार ने यहां पर विभिन्न पुस्तकों के काउंटर लगाए हैं. काउंटरों पर युवा छात्र अपनी पसंद की पुस्तकें खरीद भी रहे हैं. पुस्तक विक्रेता अंजनी कुमार मिश्रा ने कहा कि मैं मानता हूं कि आज पुस्तकों की बिक्री में रुकावटें आई हैं. हम लोग खासकर हमारा राजकमल प्रकाशन समूह जगह-जगह छोटे-छोटे जिलों में पुस्तक मेला लगाकर पुस्तकों को पाठकों तक पहुंचाने का काम कर रहा है. आज वह समय है जब हमें पाठकों को जाकर जगाना होगा. पुस्तक सबसे बड़ा मित्र है. यहां पुस्तक मेला का आयोजन कर सराहनीय काम किया गया है. भाषा महोत्सव ने इतना बड़ा आयोजन किया. पुस्तक मेले का कंसेप्ट काफी सराहनीय है. विद्यार्थियों को अच्छी पुस्तकें मिलेंगी. इसके अलावा जो सुदूर से सहभागी आए हैं, वे भी पुस्तकें खरीदेंगे, देखेंगे और आनंद उठाएंगे.
इसे भी पढ़ें:- मोदी-ट्रंप की वार्ता के बाद डिफेंस डील का एलान, भारतीय निवेशकों को अमेरिका आने का न्योता
पुस्तक विक्रेता सुशील कुमार ने कहा कि पुस्तक मेले का अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. रिसर्च स्कॉलर बहुत अच्छी परचेजिंग कर रहे हैं. उनके मतलब का लिटरेचर यहां मिल रहा है. भाषा विज्ञान, भाषा साहित्य जैसा लिटरेचर यहां पर मौजूद है. सभी बच्चे किताबें देख रहे हैं. खरीद रहे हैं. कंप्यूटर युग चाहे जितना आ जाए पुस्तकों की उपयोगिता कभी समाप्त नहीं हो सकती. सारी चीजें नेट पर उपलब्ध नहीं है. लाखों किताबें हैं, लेकिन जो बच्चों को चाहिए वो नहीं मिल पाता. पुस्तको की उपयोगिता हमेशा रहेगी.