लखनऊ : मौजूदा समय में देश के नाम को लेकर एक नई बहस इंडिया छिड़ गई है. ऐसे में लखनऊ के बलरामपुर गार्डन में शुरू हुए राष्ट्रीय पुस्तक मेले में मौंजूद पुस्तक को लेकर पहले दिन ही चर्चा बनी रही. शुक्रवार को शुरू हुए पुस्तक मेले में लेखक जे. साई दीपक की पुस्तक "इंडिया थैट इस भारत" और इंडिया भारत-पाकिस्तान द कांस्टीट्यूशनल जनरल ऑफ़ सैंडविच सिविलाइजेशन की पुस्तक पर साहित्यप्रेमियों के बीच खूब चर्चा रही. विशेष तौर पर युवाओं के बीच में भारत देश के नाम को लेकर जो बहस छिड़ी है उसके बारे में जानकारी लेने के लिए उत्सुकता दिखाई. साथ ही भारत की आजादी के बाद से आए बदलावों से जुड़ी किताबों को खोजने में मसरूफ दिखे.
पुस्तक मेले में आई छात्रा आयुषी शुक्ला ने बताया कि आजकल हमारे देश में आजादी के बाद से क्या हुआ क्या नहीं हुआ इसको लेकर खूब राजनीति हो रही है. मौजूदा समय में देश के नाम को लेकर भी एक बड़ी बहस छिड़ी हुई है. पुस्तक मेले में हम इस चीज के बारे में और जानने के लिए क्या डॉक्यूमेंटेशन प्रूफ है वह खोज रहे हैं. इसी दौरान स्टॉल पर हमें हमारे देश के नाम से जो नया बहस चल रहा है कि इंडिया और भारत में से क्या नाम होना चाहिए. उसी से जुड़ी एक किताब इंडिया थैट इस भारत जो सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज के द्वारा लिखी गई है काफी पसंद आई. क्योंकि इसमें हमारे देश के नाम को लेकर कई बातें स्पष्ट की गई हैं.
छात्रा वैष्णवी क्या कहना है कि उन्हें ज्यादातर फ्रिक्शन व नॉन फ्रिक्शन किताबें पढ़ने का शौक है. पर देश में आजादी के बाद से जो चीज घटित हुई है उनको लेकर जो सूचनाओं प्रसारित हो रही है अब उसके बारे में भी जानने का मन करता है. ऐसे में किताबी एक ऐसा बेहतर माध्यम है जिससे हम बीते 70 वर्षों में हमारे देश में हुए बदलाव उसे समय के नेताओं की सोच और घटनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. वैष्णवी ने बताया कि इस पुस्तक मेले में इस बार ऐसी कई किताबें हैं जो हमें हमारे इतिहास और उससे जुड़ी तथ्यात्मक चीजों के बारे में जानकारी देती हैं. पुस्तक मेले में इस बार जहां बड़े साहित्यकारों व कवियों की किताबें प्रदर्शित की गई हैं.
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