लखनऊ : डायबिटीज की वजह से बॉडी में पर्याप्त इंसुलिन नहीं बन पाता है. अगर यह स्थिति लंबे समय तक बनी रही तो व्यक्ति को कई अन्य बीमारियों के होने की संभावना बन जाती है. डायबिटीज मरीजों को ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखने के लिए खाने-पीने का खास ख्याल रखना जरूरी होता है. ज्यादातर मरीज डाइट चार्ट फॉलो नहीं कर पाते हैं, जिसका सीधा असर सेहत पर पड़ता है. वर्कआउट करना और सही तरीके का भोजन खाना मधुमेह के मरीज के लिए बेहद जरूरी है. अगर मधुमेह के मरीज को अपना शुगर लेवल कम रखना है तो वजन को नियंत्रण में रखना जरूरी है. बहुत से लोगों को नहीं मालूम है कि अगर डायबिटीज का स्तर 200 से अधिक है तो कुछ फलों का सेवन नहीं करना चाहिए.
डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के एंडोक्राइनोलॉजी विभाग की विशेषज्ञ डॉ. नव्या मैरी कुरियन ने बताया कि ओपीडी में रोजाना 50 नए मरीजों को देखते हैं. इसके अलावा बाकी पुराने मरीज होते हैं. जिसमें से 45 मरीज डायबिटीज से पीड़ित होते हैं. डायबिटीज 20 वर्ष के युवाओं को भी होता है और 30 वर्ष के व्यक्ति को भी होता है. कभी कभी इसमें बीपी बढ़ या घट जाता है. डायबिटीज की शुरुआत में मरीज को बार बार यूरिन होती है बार-बार फंगल इंफेक्शन होता है और अगर कहीं चोट लग गई है तो वह जल्दी सही नहीं होता है.
इन फलों का न करें सेवन
एंडोक्राइनोलॉजी विभाग के डॉ. अवनीश सिंह ने बताया कि विभाग में डायबिटीज के बहुत सारे मरीज आते हैं. हैरानी की बात तो यह है कि बहुत से ऐसे मरीज आते हैं जिन्हें मालूम ही नहीं होता है कि उन्हें डायबिटीज है. जब यहां पर किसी और जांच के लिए आते हैं या फिर मेडिकल सर्टिफिकेट के लिए आते हैं जब जांच होती हैं तब पता चलता है कि उन्हें डायबिटीज है. क्योंकि नॉर्मल कोई भी व्यक्ति अपनी जांच नहीं कराता है. इसलिए थोड़ी दिक्कत हो जाती है. अगर समय पर पता चल जाए तो इलाज समय पर शुरू हो जाता है. विभाग में नए और पुराने दोनों मरीज आते हैं. डायबिटीज के मरीज को बार बार यूरिन होती है. घाव जल्दी नहीं भरते हैं. बीपी घट-बढ़ जाता है. अगर टेस्ट के दौरान डायबिटीज मरीज का शुगर स्तर 200 है तो उन्हें कुछ मौसमीय फल नहीं खाने चाहिए. जिसमें आम, अनार, अंगूर, केला इत्यादि शामिल हैं.
सोशल मीडिया पर चल रहे संदेशों से रहें सावधान
डायबिटीज रोगी कई बार सोशल मीडिया पर चल रही खबरों को सही मान कर अपने इलाज में लापरवाही बरतने लगते हैं. यह स्थिति खतरनाक साबित हो सकती है. कुछ सोशल मीडिया संदेशों में बताया जाता है कि आयु के हिसाब से ब्लड शुगर लेवल का मानक बढ़ जाता है, जबकि यह बिल्कुल गलत है. अगर किसी की फास्टिंग शुगर 126 से अधिक आती है या रेंडम जांच में शुगर लेबल 200 से ऊपर आता है. ऐसे व्यक्ति को शुगर का रोगी मान लिया जाता है.