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हर सांस पर कालाबाजारों का कब्जा, 30 हजार में बेच रहे 98 रुपये का इंजेक्शन - 30 हजार में बेच रहे 98 रुपये का इंजेक्शन

एक तरफ जहां पूरा देश वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से लड़ रहा है, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो लोगों की 'सांसों' की कालाबाजारी कर रहे हैं. राजधानी लखनऊ में 98 रुपये के इंजेक्शन पर रेमडेसिविर का स्टीकर लगाकर 30 हजार में बेचा जा रहा है. देखें ये खास रिपोर्ट...

स्पेशल रिपोर्ट.
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Published : Apr 30, 2021, 2:39 PM IST

Updated : Apr 30, 2021, 3:46 PM IST

लखनऊ : कोरोना संक्रमण का कहर लगातार जारी है. संक्रमित लोगों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. लोग बचाव का रास्ता ढूंढ़ रहे हैं. देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में भी कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. वहीं राजधानी लखनऊ की स्थिति लगभग सभी जिलों से ज्यादा गंभीर है. यहां लोग इलाज से लेकर ऑक्सीजन सिलेंडर व रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए जूझ रहे हैं. स्थिति यह है कि यहां एक-एक सांस के लिए लोग मरने और मारने पर उतारू हो गए हैं. हालात यह है कि निजी अस्पतालों में बेड बेचे जा रहे और ऑक्सीजन सिलेंडर व रेमडेसिविर इंजेक्शन की भीषण कालाबाजारी की जा रही है. लोग 20 से 30 हजार में ऑक्सीजन सिलेंडर और इंजेक्शन खरीद रहे हैं.

स्पेशल रिपोर्ट...

ताजा मामला बीते दिनों लखनऊ के तालकटोरा स्थित ऑक्सीजन फैक्ट्री के सामने देखने को मिला, जहां ऑक्सीजन लेने के लिए एकत्र परिजनों ने स्वास्थ्य विभाग की टीम पर न सिर्फ हमला बोल दिया बल्कि उन्हें जलाकर मारने की कोशिश की. इसके साथ ही कई ऑक्सीजन प्लांटों पर मारपीट की घटनाएं हुई. ऑक्सीजन प्लांटों की सुरक्षा के लिए पुलिस बल तैनात किया गया. फिर भी ऑक्सीजन सिलेंडरों की कालाबाजारी थमने का नाम नहीं ले रही है.

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लोगों में दिखा आक्रोश.

कालाबाजारी करने वालों पर पुलिस ने की कार्रवाई
जानकीपुरम थाना क्षेत्र में दो कमरे का 34 बेड का फर्जी हॉस्पिटल बनाकर ऑक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी करते तीन आरोपियों सीतापुर के रिंकू सिंह, सौरभ सिंह और राहुल गिरी को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. पुलिस ने इन आरोपियों के पास से 12 ऑक्सीजन सिलेंडर भी बरामद किए थे. इसके अलावा बीते दिनों कृष्णानगर पुलिस ने भी कौशल कुमार कटिहार को गिरफ्तार कर 19 बड़े ऑक्सीजन सिलेंडर (खाली), 13 बड़े ऑक्सीजन सिलेंडर (भरे हुए), 18 छोटे ऑक्सीजन सिलेंडर (खाली), 4 नाइट्रोजन सिलेंडर (भरे हुए), 1 रिफिलर, एक पाइप, दो वाहन (पिकअप लोडर) बरामद किया था. वहीं, गुडंबा पुलिस ने भी ऑक्सीजन सिलेंडरों की कालाबाजारी करने वाले तीन आरोपियों केशव सिंह, धीरज कश्यप और मोहम्मद आमिर को गिरफ्तार किया था. इंस्पेक्टर फरीद अहमद ने बताया कि पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि इन सिलेंडरों को 10 हजार से 15 हजार की कीमत में बेचा जा रहा था.

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ऑक्सीजन प्लांट.

सरकार के दावे फेल, ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए लगीं लंबी कतारें
राज्य सरकार की ओर से कहा गया है कि ऑक्सीजन की कमी नहीं है. इसके बावजूद बुधवार को राजधानी लखनऊ में नादरगंज, चिनहट, कृष्णानगर, आरके ऑक्सीजन प्लांट और बीकेटी में लंबी लाइनें लगी रहीं. न सिर्फ लखनऊ बल्कि दूसरे शहरों में भी ऑक्सीजन को लेकर लोग काफी परेशान दिख रहे हैं. कृष्णा नगर स्थित ऑक्सीजन प्लांट पर 'ईटीवी भारत' के पहुंचने पर कतार में लगे लोगों का गुस्सा फूट पड़ा. ऑक्सीजन सिलेंडर लेने आए मोहम्मद इस्माइल का कहना है कि प्लांट पर ऑक्सीजन सिलेंडरों की जमकर कालाबाजारी की जा रही है. सिलेंडर की खेप आते ही निजी अस्पतालों में बांट दी जाती है. जबकि घंटों से कतारों में लगे लोग खाली हाथ घर लौट रहे हैं. उन्होंने बताया कि वह पिछले 3 दिनों से ऑक्सीजन सिलेंडर लेने की कतार में खड़े हैं, लेकिन उन्हें सिलेंडर नहीं मिला.

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ऑक्सीजन सिलेंडर मिलने की जगह.


एक भाई ने दम तोड़ा, वहीं दूसरे का अस्पताल में चल रहा इलाज
एक भाई की मौत से आहत चिनहट से ऑक्सीजन सिलेंडर लेने आए एक बुजुर्ग ने तो योगी सरकार को ही कटघरे में खड़ा कर दिया. ऑक्सीजन सिलेंडर के अभाव में उसके एक भाई की मौत हो गई है. जबकि दूसरा भाई अस्पताल में जीवन-मौत के बीच संघर्ष कर रहा है. बीते 24 घंटे से ऑक्सीजन सिलेंडर लेने के लिए लाइन में लगा हूं, लेकिन अभी तक सिलेंडर नहीं मिला.

कोविड मरीजों के लिए 113 में 66 एंबुलेंस
बता दें कि लखनऊ में कोविड अस्पतालों में भर्ती होने को लेकर मरीज परेशान हैं. अस्पतालों के बाहर ही मरीजों की सांसें उखड़ रही हैं. घंटों एंबुलेंस के इंतजार में मरीजों की सांसें उखड़ रहीं हैं. राजधानी लखनऊ में 113 एंबुलेंस हैं, जिनमें 66 कोविड मरीजों के लिए हैं. कई तो एंबुलेंस से अस्पतालों के चक्कर काट रहे हैं. अब मरीजों को एंबुलेंस मिलने में भी समय लग रहा है. नए मरीजों को एक से दो घंटे नहीं, बल्कि एक-दो दिन में एंबुलेंस मिल रही है.


रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी में कई पुलिस रडार पर
राजधानी समेत पूरे प्रदेश में जब कोरोना संक्रमण लगातार बढ़ रहा है, ऐसे में कोरोना मरीजों के इलाज से संबंधित इंजेक्शन रेमडेसिविर की कालाबाजारी जोरों पर हैं. नकली और असली इंजेक्शन की कालाबाजारी में अलीगंज स्थित इंदू हास्पिटल, कृष्णानगर क्षेत्र स्थित अपोलो, केजीएमयू के लारी, क्वीनमेरी के कर्मचारी पकड़े गए थे. पुलिस ने गिरोह से जुड़े कई अन्य अस्पतालों के कर्मचारी भी पुलिस की रडार पर हैं. पुलिस उनका ब्योरा खंगाल रही है.

15 से 20 हजार में बेच रहे 98 रुपये का इंजेक्शन

अमीनाबाद पुरानी मेडिसिन मार्केट में बीते सोमवार को नकली रेमडेसिविर की कालाबाजारी में व्यापारी मनीष तिवारी उर्फ तपन उसके साले विकास समेत पांच लोगों को पुलिस ने पकड़ा था. यह 98 रुपये कीमत के एंटीबायोटिक इंजेक्शन पर रेमडेसिविर का स्टीकर लगाकर 15-20 हजार रुपये में बेचते थे. गिरोह में अलीगंज स्थित अस्पताल के कर्मचारी भी शामिल थे. गिरोह के फरार तीन अन्य लोगों की गिरफ्तारी के लिए उनके ठिकानों पर दबिश दे रही है. वहीं, बंथरा में हनुमान मंदिर के पास अपोलो अस्पताल का कर्मचारी अल्ताफ और उसका साथी इंजेक्शन की कालाबाजारी में पकड़ा गया था. गिरोह का सरगना हरदोई निवासी अनुज मौके से फरार हो गया था.

अनुज और रितांशु की तलाश में पुलिस ने गैर जनपदों में डाला डेरा
एडीसीपी मध्य चिरंजीव नाथ सिन्हा ने बताया कि इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वाले अनुज की तलाश में एक पुलिस टीम ने हरदोई जनपद में डेरा डाला है. वहीं, बीते दिनों माकनगर और नाका में पकड़े गए आठ आरोपितों के सरगना रितांशु की तलाश में बाराबंकी और बहराइच में पुलिस टीम डेरा डाले हुए है. गिरोह से जुड़े लोगों के बारे में पुलिस के हाथ कई अहम सुराग लगे हैं.

20-30 हजार में बिक रहे रेमडेसिविर इंजेक्शन
रायबरेली रोड निवासी एक पीड़ित व्यवसायी की मानें तो उसने अपनी मां के लिए 20 हजार का इंजेक्शन बाजार से खरीदा. इसके अलावा राजाजीपुरम निवासी पीड़ित ने अपने पिता के लिए 25 हजार में इंजेक्शन की खरीद की. कोरोना की दूसरी लहर में बाजार में रेमडेसिविर की मांग बढ़ गई है. इंजेक्शन की असल कीमत 1200 से 1600 रुपये है, लेकिन कालाबाजारी में यह 20-30 हजार तक बिक रहा है.

ये भी पढ़ें: सीएम योगी हुए स्वस्थ, कोरोना रिपोर्ट आई निगेटिव

लगातार कार्रवाई कर रही पुलिस
पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर का कहना है कमिश्नरेट पुलिस ऑक्सीजन सिलेंडर व रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वाले लोगों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई कर रही है. दर्जनों अपराधियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. सर्विलांस की एक टीम राजधानी में नजर बनाए हुए है.

लखनऊ : कोरोना संक्रमण का कहर लगातार जारी है. संक्रमित लोगों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. लोग बचाव का रास्ता ढूंढ़ रहे हैं. देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में भी कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. वहीं राजधानी लखनऊ की स्थिति लगभग सभी जिलों से ज्यादा गंभीर है. यहां लोग इलाज से लेकर ऑक्सीजन सिलेंडर व रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए जूझ रहे हैं. स्थिति यह है कि यहां एक-एक सांस के लिए लोग मरने और मारने पर उतारू हो गए हैं. हालात यह है कि निजी अस्पतालों में बेड बेचे जा रहे और ऑक्सीजन सिलेंडर व रेमडेसिविर इंजेक्शन की भीषण कालाबाजारी की जा रही है. लोग 20 से 30 हजार में ऑक्सीजन सिलेंडर और इंजेक्शन खरीद रहे हैं.

स्पेशल रिपोर्ट...

ताजा मामला बीते दिनों लखनऊ के तालकटोरा स्थित ऑक्सीजन फैक्ट्री के सामने देखने को मिला, जहां ऑक्सीजन लेने के लिए एकत्र परिजनों ने स्वास्थ्य विभाग की टीम पर न सिर्फ हमला बोल दिया बल्कि उन्हें जलाकर मारने की कोशिश की. इसके साथ ही कई ऑक्सीजन प्लांटों पर मारपीट की घटनाएं हुई. ऑक्सीजन प्लांटों की सुरक्षा के लिए पुलिस बल तैनात किया गया. फिर भी ऑक्सीजन सिलेंडरों की कालाबाजारी थमने का नाम नहीं ले रही है.

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लोगों में दिखा आक्रोश.

कालाबाजारी करने वालों पर पुलिस ने की कार्रवाई
जानकीपुरम थाना क्षेत्र में दो कमरे का 34 बेड का फर्जी हॉस्पिटल बनाकर ऑक्सीजन सिलेंडर की कालाबाजारी करते तीन आरोपियों सीतापुर के रिंकू सिंह, सौरभ सिंह और राहुल गिरी को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. पुलिस ने इन आरोपियों के पास से 12 ऑक्सीजन सिलेंडर भी बरामद किए थे. इसके अलावा बीते दिनों कृष्णानगर पुलिस ने भी कौशल कुमार कटिहार को गिरफ्तार कर 19 बड़े ऑक्सीजन सिलेंडर (खाली), 13 बड़े ऑक्सीजन सिलेंडर (भरे हुए), 18 छोटे ऑक्सीजन सिलेंडर (खाली), 4 नाइट्रोजन सिलेंडर (भरे हुए), 1 रिफिलर, एक पाइप, दो वाहन (पिकअप लोडर) बरामद किया था. वहीं, गुडंबा पुलिस ने भी ऑक्सीजन सिलेंडरों की कालाबाजारी करने वाले तीन आरोपियों केशव सिंह, धीरज कश्यप और मोहम्मद आमिर को गिरफ्तार किया था. इंस्पेक्टर फरीद अहमद ने बताया कि पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि इन सिलेंडरों को 10 हजार से 15 हजार की कीमत में बेचा जा रहा था.

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ऑक्सीजन प्लांट.

सरकार के दावे फेल, ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए लगीं लंबी कतारें
राज्य सरकार की ओर से कहा गया है कि ऑक्सीजन की कमी नहीं है. इसके बावजूद बुधवार को राजधानी लखनऊ में नादरगंज, चिनहट, कृष्णानगर, आरके ऑक्सीजन प्लांट और बीकेटी में लंबी लाइनें लगी रहीं. न सिर्फ लखनऊ बल्कि दूसरे शहरों में भी ऑक्सीजन को लेकर लोग काफी परेशान दिख रहे हैं. कृष्णा नगर स्थित ऑक्सीजन प्लांट पर 'ईटीवी भारत' के पहुंचने पर कतार में लगे लोगों का गुस्सा फूट पड़ा. ऑक्सीजन सिलेंडर लेने आए मोहम्मद इस्माइल का कहना है कि प्लांट पर ऑक्सीजन सिलेंडरों की जमकर कालाबाजारी की जा रही है. सिलेंडर की खेप आते ही निजी अस्पतालों में बांट दी जाती है. जबकि घंटों से कतारों में लगे लोग खाली हाथ घर लौट रहे हैं. उन्होंने बताया कि वह पिछले 3 दिनों से ऑक्सीजन सिलेंडर लेने की कतार में खड़े हैं, लेकिन उन्हें सिलेंडर नहीं मिला.

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ऑक्सीजन सिलेंडर मिलने की जगह.


एक भाई ने दम तोड़ा, वहीं दूसरे का अस्पताल में चल रहा इलाज
एक भाई की मौत से आहत चिनहट से ऑक्सीजन सिलेंडर लेने आए एक बुजुर्ग ने तो योगी सरकार को ही कटघरे में खड़ा कर दिया. ऑक्सीजन सिलेंडर के अभाव में उसके एक भाई की मौत हो गई है. जबकि दूसरा भाई अस्पताल में जीवन-मौत के बीच संघर्ष कर रहा है. बीते 24 घंटे से ऑक्सीजन सिलेंडर लेने के लिए लाइन में लगा हूं, लेकिन अभी तक सिलेंडर नहीं मिला.

कोविड मरीजों के लिए 113 में 66 एंबुलेंस
बता दें कि लखनऊ में कोविड अस्पतालों में भर्ती होने को लेकर मरीज परेशान हैं. अस्पतालों के बाहर ही मरीजों की सांसें उखड़ रही हैं. घंटों एंबुलेंस के इंतजार में मरीजों की सांसें उखड़ रहीं हैं. राजधानी लखनऊ में 113 एंबुलेंस हैं, जिनमें 66 कोविड मरीजों के लिए हैं. कई तो एंबुलेंस से अस्पतालों के चक्कर काट रहे हैं. अब मरीजों को एंबुलेंस मिलने में भी समय लग रहा है. नए मरीजों को एक से दो घंटे नहीं, बल्कि एक-दो दिन में एंबुलेंस मिल रही है.


रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी में कई पुलिस रडार पर
राजधानी समेत पूरे प्रदेश में जब कोरोना संक्रमण लगातार बढ़ रहा है, ऐसे में कोरोना मरीजों के इलाज से संबंधित इंजेक्शन रेमडेसिविर की कालाबाजारी जोरों पर हैं. नकली और असली इंजेक्शन की कालाबाजारी में अलीगंज स्थित इंदू हास्पिटल, कृष्णानगर क्षेत्र स्थित अपोलो, केजीएमयू के लारी, क्वीनमेरी के कर्मचारी पकड़े गए थे. पुलिस ने गिरोह से जुड़े कई अन्य अस्पतालों के कर्मचारी भी पुलिस की रडार पर हैं. पुलिस उनका ब्योरा खंगाल रही है.

15 से 20 हजार में बेच रहे 98 रुपये का इंजेक्शन

अमीनाबाद पुरानी मेडिसिन मार्केट में बीते सोमवार को नकली रेमडेसिविर की कालाबाजारी में व्यापारी मनीष तिवारी उर्फ तपन उसके साले विकास समेत पांच लोगों को पुलिस ने पकड़ा था. यह 98 रुपये कीमत के एंटीबायोटिक इंजेक्शन पर रेमडेसिविर का स्टीकर लगाकर 15-20 हजार रुपये में बेचते थे. गिरोह में अलीगंज स्थित अस्पताल के कर्मचारी भी शामिल थे. गिरोह के फरार तीन अन्य लोगों की गिरफ्तारी के लिए उनके ठिकानों पर दबिश दे रही है. वहीं, बंथरा में हनुमान मंदिर के पास अपोलो अस्पताल का कर्मचारी अल्ताफ और उसका साथी इंजेक्शन की कालाबाजारी में पकड़ा गया था. गिरोह का सरगना हरदोई निवासी अनुज मौके से फरार हो गया था.

अनुज और रितांशु की तलाश में पुलिस ने गैर जनपदों में डाला डेरा
एडीसीपी मध्य चिरंजीव नाथ सिन्हा ने बताया कि इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वाले अनुज की तलाश में एक पुलिस टीम ने हरदोई जनपद में डेरा डाला है. वहीं, बीते दिनों माकनगर और नाका में पकड़े गए आठ आरोपितों के सरगना रितांशु की तलाश में बाराबंकी और बहराइच में पुलिस टीम डेरा डाले हुए है. गिरोह से जुड़े लोगों के बारे में पुलिस के हाथ कई अहम सुराग लगे हैं.

20-30 हजार में बिक रहे रेमडेसिविर इंजेक्शन
रायबरेली रोड निवासी एक पीड़ित व्यवसायी की मानें तो उसने अपनी मां के लिए 20 हजार का इंजेक्शन बाजार से खरीदा. इसके अलावा राजाजीपुरम निवासी पीड़ित ने अपने पिता के लिए 25 हजार में इंजेक्शन की खरीद की. कोरोना की दूसरी लहर में बाजार में रेमडेसिविर की मांग बढ़ गई है. इंजेक्शन की असल कीमत 1200 से 1600 रुपये है, लेकिन कालाबाजारी में यह 20-30 हजार तक बिक रहा है.

ये भी पढ़ें: सीएम योगी हुए स्वस्थ, कोरोना रिपोर्ट आई निगेटिव

लगातार कार्रवाई कर रही पुलिस
पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर का कहना है कमिश्नरेट पुलिस ऑक्सीजन सिलेंडर व रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वाले लोगों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई कर रही है. दर्जनों अपराधियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. सर्विलांस की एक टीम राजधानी में नजर बनाए हुए है.

Last Updated : Apr 30, 2021, 3:46 PM IST
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