लखनऊ: यूपी में कोरोना के इलाज में धांधली चरम पर है. निजी अस्पताल जहां मरीजों से तय रेट के कई गुना दाम वसूल रहे हैं, वहीं ऑक्सीजन की भी जमकर कालाबाजारी हो रही है. ऐसे में मरीजों पर डबल आफत बनी हुई है. उन्हें महामारी के साथ-साथ आर्थिक समस्याओं से भी जूझना पड़ रहा है. बता दें कि इस समय स्थिति बहुच ही भयावह है.
बैंक मैनेजर तक कर रहे दवाओं की कालाबाजारी
प्रदेश में कोरोना महामारी को लेकर लोगों में दहशत का माहौल है. दूसरी तरफ जीवनरक्षक दवाओं की कालाबाजारी भी जोरों-शोरों पर की जा रही है. इस कालाबाजारी में बड़े-बड़े लोग भी शामिल हैं. मंगलवार को मड़ियांव पुलिस ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी में बैंक ऑफ इंडिया गोमतीनगर ब्रांच में मैनेजर बांके बिहारी को पकड़ लिया है. बैंक मैनेजर की तलाशी ली गई तो उसके पास से 12 के लगभग रेमडेसिविर इंजेक्शन बरामद हुए हैं. उसके साथ शामिल लोग 45 हजार रुपये तक के इंजेक्शन बेच रहे थे.
210 धंधेबाज गिरफ्तार
प्रदेश में जीवन रक्षक दवाई और ऑक्सीजन का लंबा खेल चल रहा है. अपर पुलिस महानिदेशक कानून और व्यवस्था प्रशांत कुमार के मुताबिक पुलिस ने 18 अप्रैल तक 210 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया था. इन धंधेबाजों से 1280 इंजेक्शन, 1498 ऑक्सीजन सिलेंडर, 26 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, 887 ऑक्सीमीटर और 5 ऑक्सीजन रेगुलेटर और 35 ऑक्सीजन फ्लोमीटर, 2 लाख ग्लव्स, 3915 लीटर नकली सेनिटाइजर, दो यूनिट प्लाज्मा बरामद किए हैं. आरोपियों के पास से 66 लाख 24 हजार 330 रुपये भी बरामद किए गए हैं.
मनमानी वसूली पर तीन अस्पतालों पर मुकदमा
प्रदेश में निजी अस्पतालों में कोरोना के इलाज के रेट फिक्स हैं. मगर सरकार के आदेश को दरकिनार कर अस्पतालों में लूट जारी है. लखनऊ में सबसे ज्यादा वसूली का धंधा चल रहा है. इसका कारण राज्य के विभिन्न जनपदों से इलाज के लिए मरीजों का आना है. ऐसे में सीएमओ डॉ. संजय भटनागर ने अस्पतालों पर मुकदमा दर्ज कराया है. मेकवल अस्पताल, देवीना अस्पताल और जेपी अस्पताल के प्रबंधक निदेशक और संचालकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है. इनमें 12 मई को प्रभारी अधिकारी डॉ. रोशन जैकब ने अस्पतालों का औचक निरीक्षण किया था. इन अस्पतालों में मरीजों से इलाज के लिए मनमाना शुल्क विभिन्न प्रोफेशनल चार्ज लगाकर वसूला गया था.
निजी अस्पतालों में इलाज के रेट तय
निजी असप्तालों में इलाज की कोई नई दरें लागू नहीं हुई हैं. इसके लिए गत वर्ष का ही शासनादेश लागू किया गया है. शासनादेश के अनुसार नेशनल एक्रेडेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल (एनएबीएच) प्रमाणपत्र वाले अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड के 10 हजार (जिसमें 1200 के पीपीई किट शामिल हैं) रुपये प्रतिदिन हैं. वहीं गंभीर मरीजों के लिए आईसीयू का 15 हजार (2 हजार कीमत के पीपीई किट शामिल हैं) रुपये प्रतिदिन का चार्ज है. इसमें सामान्य ऑक्सीजन सपोर्ट सिस्टम शामिल है. अति गंभीर मरीजों के लिए, जिसमें आईसीयू-वेंटिलेटर सपोर्टेड है, उसका एक दिन का 18 हजार रुपये तय किया गया है. ऐसे ही बिना एनएबीएच वाले अस्पताल के लिए सामान्य बीमारी के लिए आइसोलेशन बेड का 8 हजार, गंभीर मरीजों के लिए आईसीयू चार्ज 13 हजार और अति गंभीर के लिए आईसीयू-वेंटिलेटर चार्ज 15 हजार प्रतिदिन के रेट निर्धारित किए गए हैं.
मनमाने चार्ज जारी
दरअसल, सरकार के आदेश में सिर्फ बेड चार्ज, पीपीई किट को शामिल कर शुल्क तय किया गया है. इसमें खाने को शामिल नहीं किया गया है. ऐसे में सर्विस, ट्रीटमेंट, डायग्नोसिस के नाम पर वसूली के रास्ते खुले हैं. लिहाजा, डॉक्टर का परामर्श शुल्क, नर्सिंग केयर चार्ज, ईसीजी, पैथोलॉजी, रेडियोलॉजी टेस्ट, दवाएं, ग्लव्स, आदि के नाम पर मनमाने चार्ज जारी हैं. वहीं कई अस्पताल ऑक्सीजन, खाना तक का दाम वसूल रहे हैं.
निजी एम्बुलेंस का किराया तय
लखनऊ के जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश की ओर से तय किए गए रेट के अनुसार बिना ऑक्सीजन एंबुलेंस में मरीज को ले जाने पर 1000 रुपए प्रति 10 किलोमीटर की दर से देना होगा. वहीं ऑक्सीजन युक्त एंबुलेंस में ले जाने पर 1500 रुपए प्रति 10 किलोमीटर पर किराया तय किया गया है. एम्बुलेंस 10 किलोमीटर से आगे ले जाने पर प्रति किलोमीटर 100 रुपए देना होगा. वेंटिलेटर सपोर्टेड एंबुलेंस पर मरीज को ले जाने के लिए 2500 रुपए प्रति 10 किलोमीटर रेट तय किया गया है. वेंटिलेटर सपोर्टेड एंबुलेंस को 10 किलोमीटर से आगे ले जाने पर 200 रुपये प्रति किलोमीटर देना होगा.
इलाज पर लाखों खर्च
नेहरू इन्क्लेव निवासी 28 वर्षीय अमित यादव को कोरोना हो गया. परिवारजनों के मुताबिक 11 मार्च को अमित को एमसी सक्सेना मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया. यहां इलाज के नाम पर 3 लाख 76 हजार रुपये वसूले गए और बिल भी अधूरा दिया गया. परिजनों ने अस्पताल से पूरा बिल मांगा गया, मगर कोई सुनवाई नहीं हुई. इन सबके बीच मरीज की हालत गंभीर हो गयी. इलाज में लापरवाही देख मामले की शिकायत डीएम-सीएमओ से की गई. साथ ही मरीज को दूसरे अस्पताल के आईसीयू में शिफ्ट किया गया. अब तक कुल साढ़े 6 लाख रुपये इलाज पर खर्च हो चुके हैं.
इस संबंध में एमसी सक्सेना मेडिकल कॉलेज के डायरेक्टर डॉ. शेखर का कहना है कि ये सभी आरोप बेबुनियाद हैं. तय प्रोटोकॉल का अनुसार ही इलाज किया गया है. इलाज में कोई लापरवाही नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि शिकायत की जानकारी है, मैं सभी अरोपों के साक्ष्य समेत जवाब भेज दूंगा.
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