लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव से पहले ही बीजेपी ने रणनीति बनानी शुरु कर दी है. ऐसे में बीजेपी हर स्तर पर जातीय समीकरण को फिट करना चाहती है. दरअसल यूपी विधान परिषद में समाजवादी पार्टी की 4 सीटें बीते 5 जुलाई को खाली हो गई थीं. मनोनयन कोटे से खाली हुई सीटों का भाजपा फायदा उठा रही है. पार्टी सूत्रों का दावा है कि इन 4 सीटों पर मनोनयन के माध्यम से भारतीय जनता पार्टी अपना जाति समीकरण फिट करने जा रही है.
उत्तर प्रदेश विधान परिषद की रिक्त हुई 4 सीटों पर नामों की घोषणा को लेकर दिल्ली में सोमवार को एक बैठक होनी है. बैठक में विधान परिषद में मनोनीत होने वालों के नामों पर मुहर लगाई जा सकती है और जल्द ही इनके नाम घोषित किए जा सकते हैं. बैठक के लिए भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह दिल्ली भी गए हुए हैं. वह पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से इन नामों पर विचार-विमर्श भी करेंगे. भाजपा सूत्रों के अनुसार विधान परिषद की इन 4 सीटों पर जातीय समीकरण को फिट करने के लिए ब्राह्मण, कायस्थ, अति पिछड़ी जाति और राजभर व निषाद में से किसी के नाम पर मुहर लग सकती है. नाम की बात करें तो कायस्थ बिरादरी से आने वाले ओमप्रकाश श्रीवास्तव और हाल ही में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए जितिन प्रसाद और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के नाम चर्चा में हैं. इसके अलावा भी पार्टी के कई प्रमुख पदाधिकारियों को विधान परिषद भेजे जाने की चर्चा हो रही है.
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विधान परिषद में शिक्षा, साहित्य, मनोरंजन, पत्रकारिता, राजनीति समाज सेवा आदि क्षेत्र से जुड़े प्रतिष्ठित लोगों को मनोनीत किए जाने को लेकर यह सीटें रहती हैं. उत्तर प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी की तरफ से इन 4 सीटों पर मनोनयन को लेकर राज्यपाल के पास नाम भेजे जाएंगे, जिसके बाद मनोनीत किए जाने का काम किया जाएगा. उससे पहले निर्वाचन की प्रक्रिया की जाएगी.
समाजवादी पार्टी के कोटे से जिन सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हुआ है और जो 4 सीटें खाली हुई हैं, उनमें लीलावती कुशवाहा, रामवृक्ष सिंह यादव, एसआरएस यादव और जितेंद्र यादव शामिल हैं. इन सभी का कार्यकाल 5 जुलाई 2021 को समाप्त हो गया है. वर्तमान समय में विधान परिषद में समाजवादी पार्टी के 51 सदस्य हैं, भारतीय जनता पार्टी के 32 बहुजन समाज पार्टी के 6, कांग्रेस पार्टी के 2, अपना दल (एस) के 1, शिक्षक दल की 1, निर्दलीय समूह की 2 सीटें रिक्त चल रही हैं. भाजपा को चार सीट मिलने के बाद भाजपा सदस्यों की संख्या 36 हो जाएगी और सपा की 47. इससे भाजपा की ताकत तो बढ़ेगी, लेकिन उच्च सदन में समाजवादी पार्टी ही सबसे बड़ी पार्टी बनी रहेगी.