लखनऊ : इस बार विधानसभा चुनाव में भाजपा अपने सांसदों को चुनाव न लड़ाने का फैसला कर सकती है. 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद गोरखपुर और फूलपुर की संसदीय सीटों के उप चुनाव में हार जाने से भाजपा की बहुत किरकिरी हुई थी. यही नहीं 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद भी आठ विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा बुरी तरह से हार गई थी, जिसके चलते अब अपने वर्तमान सांसदों को विधानसभा में उतारने में पार्टी हिचक रही है. पार्टी सांसदों को विधान सभा चुनावों में मौका देगी इसकी संभावना बहुत कम है.
2017 के विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर की संसदीय सीट छोड़ी थी और केशव प्रसाद मौर्य ने फूलपुर सीट छोड़ी थी, जिसके बाद हुए लोकसभा उपचुनाव में भाजपा इन दोनों अहम सीटों पर चुनाव हार गई थी, जिसकी वजह से भाजपा संगठन को किरकिरी का सामना करना पड़ा था. 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 10 विधायक लोकसभा में उतारे थे. सभी में जीत हुई थी. बाद में उपचुनाव में भाजपा आठ सीट हार गई. ये दोनों ऐसे प्रकरण हैं, जिनको भाजपा दोहराना नहीं चाहती है.
भाजपा से जुड़े सूत्रों ने बताया कि पार्टी नहीं चाहती है कि लोकसभा के सदस्यों को विधानसभा में लड़ाया जाए ताकि लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले उसको झटका न लगे. वैसे भाजपा के कई लोकसभा सदस्य विधानसभा चुनाव लड़कर यूपी में अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज करवाना चाहते हैं, लेकिन उनको निराशा का ही सामना करना पड़ेगा.
इस संबंध में भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता आलोक वर्मा का कहना है कि अभी यह कहना बहुत जल्दबाजी वाली बात होगी. समय आने दीजिए पार्टी जिताऊ उम्मीदवारों को मैदान में उतारेगी