लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी का उत्तर प्रदेश में मुस्लिम प्रेम बढ़ता जा रहा है. भाजपा के इतिहास में पहली बार चार मुसलमान पार्टी का प्रतिनिधित्व विधान परिषद में कर रहे हैं. हालिया अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति रहे तारिक मंसूर को भाजपा ने एमएससी पद पर मनोनीत किया है. इससे पहले भारतीय जनता पार्टी के तीन एमएलसी मुस्लिम रहे हैं. एक समय था जब भाजपा में मुस्लिम एमएलसी के नाम पर केवल सीमा रिजवी हुआ करती थीं. बहरहाल अब संख्या बढ़ती जा रही हैं. भारतीय जनता पार्टी मुस्लिम पसमांदा समाज और मुस्लिम सूफी समाज पर भी जमकर डोरे डाल रही है. ऐसा लोकसभा चुनाव में इस वर्ग का वोट हासिल करके अपने ट्रैक रिकॉर्ड को सुधारने का प्रयास है.
बता दें, 100 सदस्य विधान परिषद में भारतीय जनता पार्टी के 80 से एमएलसी हैं. जिनमें से पूर्व मंत्री और हज कमेटी के अध्यक्ष मोहसिन रजा, वर्तमान में अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री दानिश आजाद अंसारी, समाजवादी पार्टी से पाला बदलकर भाजपा में शामिल हुए बुक्कल नवाब और अब तारिक मंसूर को भी भाजपा ने एमएलसी का ताज पहना दिया है. इसके साथ ही यह संख्या चार तक पहुंच चुकी है. एक समय था जब भारतीय जनता पार्टी मुस्लिमों के प्रति अछूत मानी जाती थी. समय-समय पर भारतीय भाजपा ने ऐसे प्रयास किए कि वह मुसलमानों से अपनी दूरी कम कर सके. मगर भाजपा को इसका फायदा कम नुकसान ज्यादा हुआ. इस बार यह देखना होगा कि क्या भाजपा से फायदा उठा सकेगी.
भारतीय जनता पार्टी इन दिनों लगातार मुसलमानों के नजदीक आने का प्रयास कर रही है. जब दानिश आजाद अंसारी को पार्टी ने मोहसिन रजा की जगह मंत्री बनाया उसके बाद से ही पसमांदा समाज को नजदीक लाने का प्रयास शुरू हो गया. भारतीय जनता पार्टी ने पसमांदा सम्मेलन का भी आयोजन कराया. कई नेता भाजपा में शामिल भी हुए. पसमांदा सम्मेलन के बाद भारतीय जनता पार्टी ने सूफी सम्मेलनों का आयोजन कराया. जिसमें सूफी मसलक से जुड़े हुए स्थानों पर भाजपा ने सम्मेलन करवाए. अब विधान परिषद सदस्यों की संख्या भी रिकॉर्ड तोड़ हो गई है. वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक विजय उपाध्याय ने बताया कि निश्चित तौर पर भारतीय जनता पार्टी अब इस मामले में भी आगे बढ़ रही है. चार विधान परिषद सदस्य मुस्लिमों का होना भाजपा के लिए बड़ी बात है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबका साथ, सबका विश्वास, सबका विश्वास किनारे के साथ भाजपा आगे बढ़ रही है.
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