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भाजपा सरकार ने नहीं लिया कोई सबक, कोरोना से स्थिति भयावह : अखिलेश

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Published : Apr 12, 2021, 8:18 PM IST

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव लगातार केंद्र और प्रदेश सरकार पर हमलावर हैं. कानून व्यवस्था, किसानों के बाद अब कोरोना के मुद्दे पर अखिलेश यादव ने प्रदेश सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव

लखनऊ : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण से हालात भयावह हैं. भाजपा सरकार ने पिछली घटनाओं से कोई सबक नहीं सीखा.

उसी अक्षम्य लापरवाही का नतीजा है कि सब तरफ अफरा-तफरी मची हुई है. भाजपा सरकार ने अपनी वाहवाही करने में ही पूरा साल गुजार दिया. जनता को बिना इलाज मरने को छोड़ दिया है.

इससे ज्यादा शर्मनाक और क्या होगा कि मुख्यमंत्री ‘टीका उत्सव‘ मना रहे हैं जबकि राजधानी लखनऊ की जनता ‘चिता उत्सव‘ में डूबी है. अंतिम संस्कार के लिए कई दर्जन नए प्लेटफार्म बनाने पड़े हैं. विद्युत शवदाह गृह कम पड़ गए हैं. शवदाह के लिए लकड़ियां बाहर से मंगानी पड़ रही है.

यह भी पढ़ें : पूर्व सांसद धनंजय सिंह की याचिका खारिज, 2 हफ्ते में करना होगा सरेंडर

ट्रैकिंग और टेस्टिंग की सुचारू व्यवस्था नहीं

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा, 'कैसी विडंबना है कि कोरोना के दूसरे संक्रमण के दौर में उत्तर प्रदेश में न पर्याप्त दवाइयां मिल रहीं हैं, न ही ट्रैकिंग और टेस्टिंग की सुचारू व्यवस्था है. जांच रिपोर्ट 24 घंटे की बजाय 7 दिन में मिल रही है. बचाव के तौर-तरीकों पर भी भ्रम की स्थिति है.

प्रदेश में 15 हजार से ज्यादा संक्रमित रविवार को मिले. 67 मौते हुईं. राजधानी लखनऊ में रविवार को 4444 मरीज मिले जिनमें 31 की मौत हो गई. गोरखपुर में कोरोना संक्रमण का रिकार्ड टूट गया. एक दिन में 438 मरीज मिले. 3 की मृत्यु हो गयी.

विचलित करने वाले हैं राजधानी के दृश्य

अखिलेश यादव ने कहा कि अंत्येष्टि के लिए लखनऊ में वेटिंग और टोकन की व्यवस्था के विचलित करने वाले दृश्य दिखाई दिए. बड़ी संख्या में डाॅक्टर, पैरामेडिकल कर्मचारी भी कोरोना की चपेट में आ रहे हैं. सेनेटाइजेशन के लिए पर्याप्त मशीनें नहीं हैं.

कोविड-19 अस्पताल पहले से भी कम हैं. आईसीयू बेडों का अभाव कोढ़ में खाज पैदा कर रहा है. अनुमान है कि कोरोना की इस दूसरी लहर में दैनिक संक्रमण 1.70 लाख तक पहुंच जाएगा. 20-25 अप्रैल के बीच कोरोना के मामले चरम पर होंगे.

यह भी पढ़ें : मुख्तार अंसारी की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुई पेशी, 19 अप्रैल को अगली सुनवाई

जनता की मूल समस्याओं से मुंह चुरा रही भाजपा

सरकारी अक्षमताओं के चलते कोरोना अवधि में श्रमिकों के पलायन की खबरें भी आने लगीं हैं. कल-कारखानों के बंद होने से अर्थव्यवस्था का बुरी तरह प्रभावित होना निश्चित है.

आज भी व्यापार-रोजगार की दशा ठीक नहीं है. शैक्षिक संस्थाओं की बंदी से शैक्षणिक गतिविधियां ठप्प चल रहीं हैं.

पूरा एक वर्ष व्यर्थ चला गया है. इन हालातों के लिए भाजपा सरकार ही दोषी है. जनता की मूल समस्याओं से मुंह चुराते हुए इवेंट मैनेजमेंट में ही लगी रहती है.

लखनऊ : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण से हालात भयावह हैं. भाजपा सरकार ने पिछली घटनाओं से कोई सबक नहीं सीखा.

उसी अक्षम्य लापरवाही का नतीजा है कि सब तरफ अफरा-तफरी मची हुई है. भाजपा सरकार ने अपनी वाहवाही करने में ही पूरा साल गुजार दिया. जनता को बिना इलाज मरने को छोड़ दिया है.

इससे ज्यादा शर्मनाक और क्या होगा कि मुख्यमंत्री ‘टीका उत्सव‘ मना रहे हैं जबकि राजधानी लखनऊ की जनता ‘चिता उत्सव‘ में डूबी है. अंतिम संस्कार के लिए कई दर्जन नए प्लेटफार्म बनाने पड़े हैं. विद्युत शवदाह गृह कम पड़ गए हैं. शवदाह के लिए लकड़ियां बाहर से मंगानी पड़ रही है.

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ट्रैकिंग और टेस्टिंग की सुचारू व्यवस्था नहीं

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा, 'कैसी विडंबना है कि कोरोना के दूसरे संक्रमण के दौर में उत्तर प्रदेश में न पर्याप्त दवाइयां मिल रहीं हैं, न ही ट्रैकिंग और टेस्टिंग की सुचारू व्यवस्था है. जांच रिपोर्ट 24 घंटे की बजाय 7 दिन में मिल रही है. बचाव के तौर-तरीकों पर भी भ्रम की स्थिति है.

प्रदेश में 15 हजार से ज्यादा संक्रमित रविवार को मिले. 67 मौते हुईं. राजधानी लखनऊ में रविवार को 4444 मरीज मिले जिनमें 31 की मौत हो गई. गोरखपुर में कोरोना संक्रमण का रिकार्ड टूट गया. एक दिन में 438 मरीज मिले. 3 की मृत्यु हो गयी.

विचलित करने वाले हैं राजधानी के दृश्य

अखिलेश यादव ने कहा कि अंत्येष्टि के लिए लखनऊ में वेटिंग और टोकन की व्यवस्था के विचलित करने वाले दृश्य दिखाई दिए. बड़ी संख्या में डाॅक्टर, पैरामेडिकल कर्मचारी भी कोरोना की चपेट में आ रहे हैं. सेनेटाइजेशन के लिए पर्याप्त मशीनें नहीं हैं.

कोविड-19 अस्पताल पहले से भी कम हैं. आईसीयू बेडों का अभाव कोढ़ में खाज पैदा कर रहा है. अनुमान है कि कोरोना की इस दूसरी लहर में दैनिक संक्रमण 1.70 लाख तक पहुंच जाएगा. 20-25 अप्रैल के बीच कोरोना के मामले चरम पर होंगे.

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सरकारी अक्षमताओं के चलते कोरोना अवधि में श्रमिकों के पलायन की खबरें भी आने लगीं हैं. कल-कारखानों के बंद होने से अर्थव्यवस्था का बुरी तरह प्रभावित होना निश्चित है.

आज भी व्यापार-रोजगार की दशा ठीक नहीं है. शैक्षिक संस्थाओं की बंदी से शैक्षणिक गतिविधियां ठप्प चल रहीं हैं.

पूरा एक वर्ष व्यर्थ चला गया है. इन हालातों के लिए भाजपा सरकार ही दोषी है. जनता की मूल समस्याओं से मुंह चुराते हुए इवेंट मैनेजमेंट में ही लगी रहती है.

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