लखनऊ : 'तोड़ के पिंजरा जाने, कब उड़ जाऊंगी मैं, लाख बिछा दो बंदिशें, फिर भी आसमान में जगह बनाऊंगी मैं'... जी हां, ये पंक्तियां नारी के उस स्वरूप को उजागर करती हैं, जिसे हम अपने सामाजिक दिखावे के आगे छुपा देते हैं.
आज हम आपको हमारे बीच की एक ऐसी ही शख्सियत के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका नाम बिटाना देवी है. उन्हें सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन के लिए राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री द्वारा सम्मानित किया गया. बिटाना देवी को 10 बार गोकुल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया.
बिटाना देवी का जीवन एक साधारण महिला की तरह गुजर रहा था लेकिन उनके आत्मविश्वास की किरण ने उनके जीवन को प्रकाश से भर दिया. मात्र 15 वर्ष की आयु में विवाह करके उन्होंने अपने जीवन को गृहस्थी से जोड़ लिया था लेकिन उनकी मेहनत और विश्वास ने आज उन्हें इतना प्रसिद्ध कर दिया कि अपने क्षेत्र मीरखनगर (जोकि राजधानी लखनऊ के मोहनलालगंज क्षेत्र का एक गांव है) में जानी-मानी दुग्ध व्यापारी बन गई हैं.
बिटाना देवी की इस लगन को देखते हुए उन्हें 10 बार गोकुल पुरस्कार और राष्ट्रपति द्वारा भी सम्मानित किया गया बिटाना देवी को अब तक 12 बार सम्मानित किया जा चुका है, जिसका श्रेय वो अपने पति को देती है जोकि पेशे से स्कूल टीचर हैं. बिटाना देवी के दो बेटे और दो बहू भी हैं जोकि अलग-अलग विभागों में कार्यरत हैं.
ऐसे की कारोबार की शुरुआत
बिटाना देवी ने अपने पिताजी द्वारा दी गई एक भैंस से कारोबार की शुरुआत की. आज उनके पास कुल मिलाकर लगभग 65 जानवर हैं, जिनसे प्रतिदिन लगभग 200 लीटर दूध उत्पादित होता है.
रह चुकी हैं पराग डेरी की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर
बिटाना देवी पराग डेरी की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर भी रह चुकी हैं और बीएमसी की अध्यक्ष भी हैं. बिटाना देवी की पढ़ाई-लिखाई तो ठीक से नहीं हो सकी पर पति के सहयोग और अपनी मेहनत व लगन से उन्होंने अपने बच्चों को खूब पढ़ाया और एक अच्छा जीवन दिया. आज उनकी दोनों बहुएं और बेटे नौकरी कर रहे हैं.
बिटाना देवी ने अपने जीवन को अपनी तरह जिया बिना सामाजिक दबाव की परवाह किए और आज वो सभी के लिए एक मिसाल बन गई हैं. उन्हें देखकर हर किसी के मन में नारी जाति के लिए सम्मान की भावना बढ़ रही है. हर कोई मन में शायद यही सोचता होगा -
जीने का अरमान है नारी,
हम सबका सम्मान है नारी,
बिन नारी के जग है सूना,
कण-कण की जान है नारी.