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बिजली विभाग की दिक्कतों को दूर कर रहे हैं बिजली थाने, एक साल पहले हुई थी शुरुआत

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Published : Mar 5, 2021, 2:05 PM IST

उत्तर प्रदेश सरकार ने साल 2019 में प्रदेश के हर जिले में बिजली थाने खोलने की शुरुआत की थी. जिसके बाद बिजली विभाग के इंजीनियरों को चेकिंग अभियान के दौरान होने वाली दिक्कतों से निजात मिल गई है. एक साल से ज्यादा समय में इस थाने पर हजारों बिजली चोरी के मुकदमें दर्ज हो चुके हैं.

प्रदेश में बने बिजली थाने
प्रदेश में बने बिजली थाने

लखनऊ: बिजली चोरों पर नकेल कसने के लिए और बिजली विभाग के इंजीनियरों की सिविल थानों पर सुनवाई न होने की शिकायत दूर करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने साल 2019 में प्रदेश के हर जिले में बिजली थाने खोलने की शुरुआत की थी. प्रयागराज के नैनी में पहला बिजली थाना 1 अगस्त 2019 को खोला गया था. इसके बाद धीरे-धीरे अन्य जिलों में थाने खोलने की शुरुआत की गई. लखनऊ में भी एक सितंबर 2019 को लोकभवन के पीछे दारुलशफा में एंटी पावर थेफ्ट थाना स्थापित किया गया. इस थाने के स्थापित होने के बाद बिजली विभाग के इंजीनियरों को चेकिंग अभियान के दौरान होने वाली दिक्कतों से निजात मिल गई है. एक साल से ज्यादा समय में इस थाने पर हजारों बिजली चोरी के मुकदमें दर्ज हो चुके हैं. प्रदेश के विभिन्न जिलों में स्थापित थानों की संख्या में दर्ज मुकदमों की संख्या को मिला लिया जाए तो यह संख्या तीन लाख से ऊपर पहुंच चुकी है.

बिजली थाने ने दूर की परेशानी
यह भी पढ़ें: पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने कोर्ट में किया सरेंडर



सिद्धार्थनगर में स्थापित हुआ आखिरी थाना

1 अगस्त 2019 को पावर कारपोरेशन ने पहले एंटी पावर थेफ्ट थाने की स्थापना की थी. उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले में प्रदेश का आखिरी थाना 2 अक्टूबर 2020 को स्थापित कर दिया गया है. अब प्रदेश के सभी 75 जिलों में बिजली चोरों पर नकेल कसने के लिए एंटी पावर थेफ्ट थाने स्थापित हो गए हैं. सभी थानों को स्टाफ पर उपलब्ध करा दिया गया है. अब बिजली विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर बिजली चोरी अभियान चलाने के लिए पुलिस बल मौजूद रहता है. एंटी पावर थेफ्ट थाना पर बिजली चोरों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की जा रही है. 1 सितंबर 2019 को लखनऊ में स्थापित हुए एंटी पावर थेफ्ट थाने पर हर रोज बिजली चोरी की एफआईआर दर्ज हो रही है.

इतने अधिकारियों की होती है तैनाती

उत्तर प्रदेश के महानगरों और छोटे संवेदनशील जिलों को ध्यान में रखते हुए यहां पर पुलिस अफसरों और पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है. लखनऊ, कानपुर, गाजियाबाद, मेरठ, बनारस और आगरा जैसे क्षेत्रों में एंटी पावर थेफ्ट थाने पर एक प्रभारी निरीक्षक, चार उपनिरीक्षक, चार हेड कांस्टेबल, चार कांस्टेबल और दो ऑपरेटर तैनात किए गए हैं. इसी तरह छोटे जिलों में भी कम संख्या में पुलिस अफसरों की तैनाती की गई है.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा मामले

वैसे तो बिजली चोरी के मामले उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में से आ रहे हैं, लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में धड़ल्ले से बिजली चोरी हो रही है. यहां के बिजली थानों पर सबसे ज्यादा बिजली चोरी के मुकदमे दर्ज हो रहे हैं. गाजियाबाद और मेरठ क्षेत्र में सबसे ज्यादा एफआईआर दर्ज हुई हैं. वहीं महानगरों में स्थापित थानों पर भी ये तादाद लाखों में पहुंच चुकी है.

इस तरह के आ रहे हैं मामले

  • बिना कनेक्शन घर में कटिया डालकर बिजली चोरी
  • मीटर के पहले कट लगाकर बिजली चोरी
  • बकाया पर कनेक्शन कटने के बाद फिर जोड़ने की कार्रवाई
  • मीटर में छेड़छाड़ कर बिजली चोरी
  • चोरी की बिजली से सिंचाई का मोटर चलाना
  • घरेलू बिजली कनेक्शन का व्यवसायिक इस्तेमाल करना


    बिजली थानों का यह है कानून
  • बिजली चोरी करते पाए जाने पर अगर शमन शुल्क जमा नहीं करते हैं, तो तीन माह से सात साल तक की सजा का प्रावधान.
  • धारा 135 बिजली अधिनियम कटिया डालकर घरेलू बिजली का व्यवसायिक इस्तेमाल
  • धारा 136 बिजली अधिनियम बिजली के सरकारी उपकरणों को नुकसान पहुंचाना
  • धारा 137 बिजली अधिनियम विद्युत चोरी का सामान बरामद होने पर
  • धारा 138 बिजली अधिनियम मीटर से छेड़छाड़ कर काटे गए कनेक्शन को फिर जोड़ना
  • धारा 139 बिजली अधिनियम बिजली की बर्बादी करने जैसे मामले
  • धारा 140 बिजली अधिनियम बिजली के तार और अन्य उपकरण चोरी के मामले


    जुर्माना न भरने पर लगती है चार्जशीट

बिजली थानों से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि बिजली चोरी करते हुए पकड़े जाने वाले संबंधित शख्स के खिलाफ बिजली विभाग के अधिकारी की तरफ से थाने पर मुकदमा दर्ज कराया जाता है. इसके बाद कंपाउंडिंग के लिए उपभोक्ता को पूरा अवसर प्रदान किया जाता है. अगर उपभोक्ता शमन शुल्क जमा कर देता है तो वहीं पर फाइनल रिपोर्ट लगाकर मामला समाप्त हो जाता है, लेकिन अगर कोई उपभोक्ता जुर्माना नहीं भरता है तो फिर चार्जशीट लगा दी जाती है.

लखनऊ: बिजली चोरों पर नकेल कसने के लिए और बिजली विभाग के इंजीनियरों की सिविल थानों पर सुनवाई न होने की शिकायत दूर करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने साल 2019 में प्रदेश के हर जिले में बिजली थाने खोलने की शुरुआत की थी. प्रयागराज के नैनी में पहला बिजली थाना 1 अगस्त 2019 को खोला गया था. इसके बाद धीरे-धीरे अन्य जिलों में थाने खोलने की शुरुआत की गई. लखनऊ में भी एक सितंबर 2019 को लोकभवन के पीछे दारुलशफा में एंटी पावर थेफ्ट थाना स्थापित किया गया. इस थाने के स्थापित होने के बाद बिजली विभाग के इंजीनियरों को चेकिंग अभियान के दौरान होने वाली दिक्कतों से निजात मिल गई है. एक साल से ज्यादा समय में इस थाने पर हजारों बिजली चोरी के मुकदमें दर्ज हो चुके हैं. प्रदेश के विभिन्न जिलों में स्थापित थानों की संख्या में दर्ज मुकदमों की संख्या को मिला लिया जाए तो यह संख्या तीन लाख से ऊपर पहुंच चुकी है.

बिजली थाने ने दूर की परेशानी
यह भी पढ़ें: पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने कोर्ट में किया सरेंडर



सिद्धार्थनगर में स्थापित हुआ आखिरी थाना

1 अगस्त 2019 को पावर कारपोरेशन ने पहले एंटी पावर थेफ्ट थाने की स्थापना की थी. उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले में प्रदेश का आखिरी थाना 2 अक्टूबर 2020 को स्थापित कर दिया गया है. अब प्रदेश के सभी 75 जिलों में बिजली चोरों पर नकेल कसने के लिए एंटी पावर थेफ्ट थाने स्थापित हो गए हैं. सभी थानों को स्टाफ पर उपलब्ध करा दिया गया है. अब बिजली विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर बिजली चोरी अभियान चलाने के लिए पुलिस बल मौजूद रहता है. एंटी पावर थेफ्ट थाना पर बिजली चोरों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की जा रही है. 1 सितंबर 2019 को लखनऊ में स्थापित हुए एंटी पावर थेफ्ट थाने पर हर रोज बिजली चोरी की एफआईआर दर्ज हो रही है.

इतने अधिकारियों की होती है तैनाती

उत्तर प्रदेश के महानगरों और छोटे संवेदनशील जिलों को ध्यान में रखते हुए यहां पर पुलिस अफसरों और पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है. लखनऊ, कानपुर, गाजियाबाद, मेरठ, बनारस और आगरा जैसे क्षेत्रों में एंटी पावर थेफ्ट थाने पर एक प्रभारी निरीक्षक, चार उपनिरीक्षक, चार हेड कांस्टेबल, चार कांस्टेबल और दो ऑपरेटर तैनात किए गए हैं. इसी तरह छोटे जिलों में भी कम संख्या में पुलिस अफसरों की तैनाती की गई है.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा मामले

वैसे तो बिजली चोरी के मामले उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में से आ रहे हैं, लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में धड़ल्ले से बिजली चोरी हो रही है. यहां के बिजली थानों पर सबसे ज्यादा बिजली चोरी के मुकदमे दर्ज हो रहे हैं. गाजियाबाद और मेरठ क्षेत्र में सबसे ज्यादा एफआईआर दर्ज हुई हैं. वहीं महानगरों में स्थापित थानों पर भी ये तादाद लाखों में पहुंच चुकी है.

इस तरह के आ रहे हैं मामले

  • बिना कनेक्शन घर में कटिया डालकर बिजली चोरी
  • मीटर के पहले कट लगाकर बिजली चोरी
  • बकाया पर कनेक्शन कटने के बाद फिर जोड़ने की कार्रवाई
  • मीटर में छेड़छाड़ कर बिजली चोरी
  • चोरी की बिजली से सिंचाई का मोटर चलाना
  • घरेलू बिजली कनेक्शन का व्यवसायिक इस्तेमाल करना


    बिजली थानों का यह है कानून
  • बिजली चोरी करते पाए जाने पर अगर शमन शुल्क जमा नहीं करते हैं, तो तीन माह से सात साल तक की सजा का प्रावधान.
  • धारा 135 बिजली अधिनियम कटिया डालकर घरेलू बिजली का व्यवसायिक इस्तेमाल
  • धारा 136 बिजली अधिनियम बिजली के सरकारी उपकरणों को नुकसान पहुंचाना
  • धारा 137 बिजली अधिनियम विद्युत चोरी का सामान बरामद होने पर
  • धारा 138 बिजली अधिनियम मीटर से छेड़छाड़ कर काटे गए कनेक्शन को फिर जोड़ना
  • धारा 139 बिजली अधिनियम बिजली की बर्बादी करने जैसे मामले
  • धारा 140 बिजली अधिनियम बिजली के तार और अन्य उपकरण चोरी के मामले


    जुर्माना न भरने पर लगती है चार्जशीट

बिजली थानों से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि बिजली चोरी करते हुए पकड़े जाने वाले संबंधित शख्स के खिलाफ बिजली विभाग के अधिकारी की तरफ से थाने पर मुकदमा दर्ज कराया जाता है. इसके बाद कंपाउंडिंग के लिए उपभोक्ता को पूरा अवसर प्रदान किया जाता है. अगर उपभोक्ता शमन शुल्क जमा कर देता है तो वहीं पर फाइनल रिपोर्ट लगाकर मामला समाप्त हो जाता है, लेकिन अगर कोई उपभोक्ता जुर्माना नहीं भरता है तो फिर चार्जशीट लगा दी जाती है.

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