लखनऊ : महोबा जिले में पुलिस अधीक्षक के पद पर रहते हुए क्रशर व्यवसायी से उसके व्यवसाय को लेकर हर माह छह लाख रुपए की रिश्वत मांगने, उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित करने और आत्महत्या के लिए विवश करने के आरोपी मणिलाल पाटीदार की जमानत अर्जी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विशेष न्यायाधीश शालिनी सागर ने खारिज कर दिया.
हर महीने ले रहे थे छह लाख रुपये : जमानत अर्जी का विरोध करते हुए एडीजीसी कृष्णकांत शुक्ला एवं अमित अवस्थी ने अदालत को बताया कि मृतक इंद्रकांत त्रिपाठी आरजेएस क्रशर में भागीदार था. उसके पास व्यवसाय करने के लिए मां काली एसोसिएट्स एवं आईपी ट्रेडर्स का वैध लाइसेंस था. अदालत को बताया गया कि दोनों फर्मों का काम वह स्वयं देखता था. कहा गया है कि अभियुक्त उस समय पुलिस अधीक्षक महोबा के पद पर था. सह अभियुक्त सुरेश सोनी एवं ब्रह्म दत्त से साठगांठ करके छह लाख रुपए प्रतिमाह इंद्रकांत त्रिपाठी से वसूलता था. अदालत को यह भी बताया गया कि जून 2020 में इंद्रकांत से मणिलाल ने 6 लाख रुपये की रकम मांगी थी. जब उसने इस बार रुपये देने में असमर्थता जाहिर की तो उसे धमकाया गया.
इंद्रकांत ने वीडियो भी किया था वायरल : पैसे की वसूली के लिए आरोपी की ओर से थानाध्यक्ष देवेश शुक्ला एवं सुरेश सोनी के माध्यम से कई बार धमकी दी गई. अदालत को बताया गया कि मणिलाल पाटीदार की धमकियों से परेशान होकर इंद्रकांत ने फेसबुक के माध्यम से वीडियो वायरल किया. मुख्यमंत्री से भी शिकायत की, लेकिन जब उत्पीड़न कम न हुआ तो उसने आत्महत्या कर ली थी. उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व 19 जून को भी कोर्ट बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए गिट्टी ढो रहे ट्रकों से वसूली करने एवं प्रतिमाह दो लाख रुपए की रिश्वत मांगने के मामले में मणिलाल पाटीदार की जमानत अर्जी खारिज कर चुकी है.
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