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देशभक्ति-सामाजिक मुद्दों पर आधारित लेखन ने दिलाया भारतेंदु हरिश्चंद्र सम्मान: डॉ. रामबोध पाण्डेय

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हिंदी नाट्य लेखन में अभिनव के नए प्रयोग करने वाले डॉ. रामबोध पाण्डेय को भारतेंदु हरिश्चंद्र सम्मान दिया गया. रामबोध पाण्डेय देशभक्ति और सामाजिक मुद्दों के नाटकों के लिए साहित्य जगत में जानें जाते हैं.

भारतेंदु हरिश्चंद्र सम्मान से सम्मानित रामबोध पाण्डेय से खास बातचीत.
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Published : Aug 5, 2019, 10:01 AM IST

लखनऊ: हिंदी नाट्य लेखन में अभिनव प्रयोग करने वाले प्रतापगढ़ के रामबोध पाण्डेय को भारतेंदु हरिश्चंद्र सम्मान दिया गया. सम्मान के तौर पर उन्हें 20 हजार रुपये और सरस्वती प्रतिमा के साथ प्रशस्ति पत्र सौंपा गया. रामबोध पाण्डेय देशभक्ति और सामाजिक मुद्दों के नाटकों के लिए साहित्य जगत में जानें जाते हैं. वह अपनी नाट्य संस्था के जरिए कई सालों से आधुनिक विषय वस्तु पर केंद्रित नाटकों का मंचन करते रहे हैं. उनका मानना है कि हिंदी नाटकों को मंच विधान के आधुनिक तरीकों का इस्तेमाल कर लोगों के बीच ज्यादा लोकप्रिय बनाया जा सकता है.

भारतेंदु हरिश्चंद्र सम्मान से सम्मानित रामबोध पाण्डेय से खास बातचीत.

मैंने अपने नाटकों में आधुनिक विषय वस्तु और शैली का प्रयोग किया है. नाट्य मंचन में पहले जो वर्जन आए थे उन्हें तोड़कर नए प्रयोग किए गए हैं. सामाजिक और राष्ट्रीय मूल्यों से जुड़े विषयों पर नाटक का लेखन किया है, जिसकी समसामयिकता की वजह से नाटक को लोगों ने खूब पसंद किया है. दहेज बेदी और पन्नाधाय दोनों ही नाटक बेहद लोकप्रिय हैं. 1949 से लेकर 1999 के करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान से लड़ने वाले एक ऐसे परिवार को केंद्र में रखकर नाटक लिखा है, जिसकी चार पीढ़ियां पाकिस्तान से युद्ध में शहीद हो चुकी हैं. इस परिवार के चौथे सदस्य ने करगिल युद्ध में अपना बलिदान दिया है. उसकी पत्नी पारो को स्त्री सशक्तिकरण की भूमिका में स्थान दिया है.अगर नाटकों को मान्य परंपराओं से अलग हटकर नए तौर-तरीकों के साथ प्रस्तुत किया जाए तो उन्हें वैसे ही प्रसिद्धि मिल सकती है, जैसे बॉलीवुड की फिल्मों को मिल रही है.
डॉ. रामबोध पाण्डेय, लेखक

लखनऊ: हिंदी नाट्य लेखन में अभिनव प्रयोग करने वाले प्रतापगढ़ के रामबोध पाण्डेय को भारतेंदु हरिश्चंद्र सम्मान दिया गया. सम्मान के तौर पर उन्हें 20 हजार रुपये और सरस्वती प्रतिमा के साथ प्रशस्ति पत्र सौंपा गया. रामबोध पाण्डेय देशभक्ति और सामाजिक मुद्दों के नाटकों के लिए साहित्य जगत में जानें जाते हैं. वह अपनी नाट्य संस्था के जरिए कई सालों से आधुनिक विषय वस्तु पर केंद्रित नाटकों का मंचन करते रहे हैं. उनका मानना है कि हिंदी नाटकों को मंच विधान के आधुनिक तरीकों का इस्तेमाल कर लोगों के बीच ज्यादा लोकप्रिय बनाया जा सकता है.

भारतेंदु हरिश्चंद्र सम्मान से सम्मानित रामबोध पाण्डेय से खास बातचीत.

मैंने अपने नाटकों में आधुनिक विषय वस्तु और शैली का प्रयोग किया है. नाट्य मंचन में पहले जो वर्जन आए थे उन्हें तोड़कर नए प्रयोग किए गए हैं. सामाजिक और राष्ट्रीय मूल्यों से जुड़े विषयों पर नाटक का लेखन किया है, जिसकी समसामयिकता की वजह से नाटक को लोगों ने खूब पसंद किया है. दहेज बेदी और पन्नाधाय दोनों ही नाटक बेहद लोकप्रिय हैं. 1949 से लेकर 1999 के करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान से लड़ने वाले एक ऐसे परिवार को केंद्र में रखकर नाटक लिखा है, जिसकी चार पीढ़ियां पाकिस्तान से युद्ध में शहीद हो चुकी हैं. इस परिवार के चौथे सदस्य ने करगिल युद्ध में अपना बलिदान दिया है. उसकी पत्नी पारो को स्त्री सशक्तिकरण की भूमिका में स्थान दिया है.अगर नाटकों को मान्य परंपराओं से अलग हटकर नए तौर-तरीकों के साथ प्रस्तुत किया जाए तो उन्हें वैसे ही प्रसिद्धि मिल सकती है, जैसे बॉलीवुड की फिल्मों को मिल रही है.
डॉ. रामबोध पाण्डेय, लेखक

Intro:लखनऊ. हिंदी नाट्य लेखन में अभिनव प्रयोग करने वाले प्रतापगढ़ के डॉक्टर रामपुर पांडे को हिंदुस्तानी एकेडमी का भारतेंदु हरिश्चंद्र सम्मान प्राप्त हुआ है. देश भक्ति और सामाजिक मुद्दों को अपने नाटकों में प्रस्तुत करने की वजह से उन्हें साहित्य जगत में भी प्रसिद्धि मिली है. उनका मानना है कि हिंदी नाटकों को मंच विधान के आधुनिक तरीकों का इस्तेमाल कर लोगों के बीच ज्यादा लोकप्रिय बनाया जा सकता है.


Body:हिंदुस्तानी एकेडमी का तीसरा बड़ा पुरस्कार भारतेंदु हरिश्चंद्र सम्मान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ में प्रतापगढ़ के डॉक्टर राम बोथ पांडे को दिया है वह अपनी नाट्य संस्था के जरिए कई सालों से आधुनिक विषय वस्तु पर केंद्रित नाटकों का मंचन करते रहे हैं सम्मान के तौर पर उन्हें ₹200000 नकद और सरस्वती प्रतिमा प्रशस्ति पत्र सौंपा गया है ईटीवी भारत के साथ विशेष बातचीत में डॉ पांडे ने बताया कि उन्होंने अपने नाटकों में आधुनिक विषय वस्तु और शैली का प्रयोग किया है नाट्य मंचन में पहले जो वर्जन आए थे उन्हें तोड़कर नए प्रयोग किए सामाजिक और राष्ट्रीय मूल्यों से जुड़े विषयों पर नाटक का लेखन किया समसामयिक ता की वजह से ऐसे नाटक लोगों को खूब पसंद आए उन्होंने बताया कि उनका दहेज बेदी और पन्नाधाय दोनों ही नाटक बेहद लोकप्रिय हैं इसके हजारों शो हो चुके हैं अपने एक और नाटक को सबसे आदित्य बताते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने 1949 से लेकर 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान से लड़ने वाले एक ऐसे परिवार को केंद्र में रखकर नाटक लिखा है जिसकी चार पीढ़ियां पाकिस्तान से युद्ध में शहीद हो चुकी है. इस परिवार के चौथे सदस्य ने कारगिल युद्ध में अपना बलिदान किया है उसकी पत्नी पारो को मैंने स्त्री सशक्तिकरण की भूमिका में स्थान दिया और वह लोगों को खूब पसंद आया है. उन्होंने कहा कि अगर नाटकों को मान्य परंपराओं से अलग हटकर नए तौर-तरीकों के साथ लोगों के बीच प्रस्तुत किया जाए तो उन्हें वैसे ही प्रसिद्धि मिल सकती है जैसे बॉलीवुड की फिल्मों को मिल रही है.

इंटरव्यू /डॉक्टर रामबोध पांडे, भारतेंदु हरिश्चंद्र सम्मान से सम्मानित


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