लखनऊ : मैनपुरी में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party in Mainpuri) की जबरदस्त जीत को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने नया सियासी खेल रचा है. भाजपा इस जीत का सारा श्रेय शिवपाल सिंह यादव को दे रही है, ताकि समाजवादी पार्टी में अखिलेश यादव के महत्व को कम करके आंका जा सके. भारतीय जनता पार्टी इस बात का स्पष्ट संकेत दे रही है कि सपा को जो सफलता मिल रही है, वह अखिलेश यादव कि नहीं केवल शिवपाल यादव की है. अपने इस सियासी समीकरण के जरिए भाजपा शिवपाल सिंह यादव को अखिलेश से बड़ा नेता साबित करने की कोशिश कर रही है, ताकि आने वाले समय में भारतीय जनता पार्टी समाजवादी पार्टी में दोनों नेताओं के बीच गुटबाजी और दरार को देख सके.
मैनपुरी में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने जोरदार जीत दर्ज की है. 2019 के लोकसभा चुनाव में जब मुलायम सिंह यादव यहां से उम्मीदवार थे तभी भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को केवल 95 हजार वोट से ही हरा सके थे, जबकि उनकी बहू ने अपने ससुर की मृत्यु के बाद पौने तीन लाख के लगभग वोटों से जीत दर्ज की है. समाजवादी पार्टी को या बड़ी जीत मिली है. लंबे समय से अखिलेश यादव से नाराज चल रहे चाचा शिवपाल सिंह यादव ने एक बार फिर हाथ मिलाया और वे बहू के प्रचार में खुलकर सामने आ गए थे. इस जीत के बाद भारतीय जनता पार्टी इसका श्रेय अखिलेश यादव को नहीं दे रही है.
भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि पार्टी प्रवक्ताओं को या स्पष्ट संकेत दिया गया है कि वे इस बात को ज्यादा से ज्यादा प्रचारित करें कि सपा को जो जोरदार जीत मिली है उसके पीछे अखिलेश यादव नहीं चाचा शिवपाल सिंह यादव हैं, ताकि अखिलेश यादव का सियासी चेहरा बड़ा ना हो सके. ऐसा करके भाजपा को उम्मीद है कि आने वाले समय में जब चाचा शिवपाल का कद बढ़ेगा. उनके मन में एक बार फिर चाचा के प्रति दूरियां बढ़ेगी और जिसका सीधा लाभ भारतीय जनता पार्टी को होगा. जीत को लेकर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता आलोक अवस्थी ने बताया कि निश्चित तौर पर मैनपुरी में शिवपाल का योगदान इस जीत पर रहा है.
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