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यूपी की बिसात पर बिछ रही है बंगाल की चुनावी चौसर

भारतीय जनता पार्टी ने यूपी के कई बड़े नेताओं को पश्चिम बंगाल चुनाव में उतारा है. इनमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जहां कट्टर हिंदुत्व का चेहरा हैं. वहीं, केशव पिछड़ों के बड़े नेताओं में गिने जाते हैं.

यूपी की बिसात पर बिछ रही है बंगाल की चुनावी चौसर
यूपी की बिसात पर बिछ रही है बंगाल की चुनावी चौसर
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Published : Mar 21, 2021, 12:32 AM IST

लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी ने यूपी से कई बड़े चेहरों को पश्चिम बंगाल चुनाव में उतारा है. इनमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जहां कट्टर हिंदुत्व का चेहरा हैं, वहीं केशव पिछड़ों के बड़े नेताओं में गिने जाते हैं. यूपी भाजपा के महामंत्री संगठन सुनील बंसल, राष्ट्रीय मंत्री हरीश द्विवेदी बंगाल के चुनावी रण में भाजपा का झंडा ऊंचा कर रहे हैं या फिर यूं कहें कि यूपी की बिसात पर पश्चिम बंगाल की चौसर बिछ रही है.

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बंगाल में बसता है छोटा पूर्वांचल
मुम्बई से पहले कोलकाता मे ही देश की आर्थिक राजधानी थी. ऐसे में रोजगार की तलाश में लोग बंगाल गए. पूर्वांचल से भी बड़ी संख्या में लोग पश्चिम बंगाल गए. कोलकाता समेत कई शहरों में गोरखपुर, बस्ती, देवरिया, बलिया जैसे जिलों के लोग यहां दशकों से रह रहे हैं. वे बंगाल गए और वहीं के होकर रह गए। बावजूद इसके उन लोगों के तार अभी भी अपने गांवों से जुड़े हुए हैं. यही वजह है सीएम योगी के बाद जिन नेताओं को पश्चिम बंगाल में लगाया गया है, उनमें से अधिकतर पूर्वी उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखते हैं.


हिंदुत्व के कट्टर चेहरा होने की वजह से योगी की डिमांड
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भाजपा के पास राज्य स्तरीय नेताओं में एक ऐसे चेहरा हैं जिनकी स्वीकार्यता देश भर में है। योगी ने मुख्यमंत्री के रूप में उत्तर प्रदेश में चार साल पूरा कर लिए हैं। सरकार का अनुभव है। योगी गोरक्ष पीठाधीश्वर भी है। नाथ सम्प्रदाय से जुड़े लोग बंगाल में हैं। इसके अलावा योगी कट्टर हिंदुत्व के चेहरा भी माने जाते हैं। राम मंदिर का मुद्दा हो, धर्मांतरण का मुद्दा हो या फिर समान नागरिक संहिता की बात हो, योगी आदित्यनाथ खुलकर बोलते हैं। बिना परवाह किए हुए इन विषयों पर वह अपनी बात रखते हैं। उनकी इन्हीं बातों से प्रदेश ही नहीं देश का एक बड़ा वर्ग प्रभावित होता है। भारतीय जनता पार्टी उनकी इसी शैली को भुलाने के लिए पश्चिम बंगाल के रण में उतारा है। ताकि वह वहां की ममता सरकार के खिलाफ जोरदार प्रचार कर सकें। हिन्दू मतदाताओं को पार्टी के पक्ष में ला सकें।

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इसलिए केशव प्रसाद मौर्य बंगाल के लिए फिट
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी का एक ऐसे चेहरा हैं जो विश्व हिंदू परिषद में लंबे समय से जुड़े हुए हैं. जब राजनीतिक पारी शुरू की तो पहली बार 2012 में विधायक चुने गए. दो साल बाद ही 2014 में वह सांसद बने. वर्ष 2016 में यूपी भाजपा के अध्यक्ष बनाए गए. इनके ही नेतृत्व में 2017 में विधानसभा चुनाव हुए. भाजपा को प्रचंड बहुमत मिली. अब केशव हिंदुत्व के साथ ही पिछड़ों के बड़े नेताओं में शामिल हो गए. यूपी भाजपा में केशव सबसे बड़े पिछड़े नेता के रूप में जाने जाते हैं. केशव के पश्चिम बंगाल में जाने से कई समीकरण सध रहे हैं. मौर्य को बंगाल में पांच लोकसभा की 35 विधानसभा सीटों पर कमल खिलाने की जिम्मेदारी दी गयी है.

प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल
यूपी में 2017 का विधानसभा चुनाव तत्कालीन अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य और प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल के नेतृत्व में लड़ा गया था. बंसल अच्छे संगठनकर्ता के रूप में पहचान रखते हैं. भाजपा में आने से पहले उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में लंबे समय तक काम किया है. केंद्रीय नेतृत्व ने उनके अनुभव और सांगठनिक कौशल की वजह से ही उन्हें बंगाल चुनाव में लगाया है. बंसल के पास 51 विधानसभा क्षेत्र की जिम्मेदारी है. बंसल लगातार बंगाल के दौरे पर रह रहे हैं. बीच-बीच में लखनऊ आकर यूपी भाजपा के कार्यक्रमों की समीक्षा भी कर रहे हैं. गत 15 मार्च को भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में शामिल होने के बाद उसी दिन शाम को बंगाल के लिए निकल गए.

बंगाल में दिख रही यूपी के 2017 चुनाव की झलक
राजनीतिक विश्लेषक पीएन द्विवेदी कहते हैं कि वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में जिस प्रकार भारतीय जनता पार्टी ने यूपी की चुनावी बिसात बिछाई थी, उसी तरह पश्चिम बंगाल में दिखाई पड़ रहा है। पार्टी ने 2017 में दूसरे राज्यों के भाजपा नेताओं को यहां लगाया था. दूसरे दलों के बड़ी संख्या में नेताओं को तोड़कर भाजपा में शामिल किया था. पार्टी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में परिवर्तन यात्रा निकाली थी. उन यात्राओं के माध्यम से प्रदेश के सभी देशों को कवर किया गया था. मौजूदा समय में पश्चिम बंगाल के चुनावी रण में भाजपा की वह सारी रणनीति साफ दिखाई पड़ रही है. वहां भी परिवर्तन यात्रा निकाली जा रही है. दूसरे दल से तोड़कर नेताओं को लाया जा रहा है. देशभर के नेताओं को पश्चिम बंगाल में लगा दिया गया है.

लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी ने यूपी से कई बड़े चेहरों को पश्चिम बंगाल चुनाव में उतारा है. इनमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जहां कट्टर हिंदुत्व का चेहरा हैं, वहीं केशव पिछड़ों के बड़े नेताओं में गिने जाते हैं. यूपी भाजपा के महामंत्री संगठन सुनील बंसल, राष्ट्रीय मंत्री हरीश द्विवेदी बंगाल के चुनावी रण में भाजपा का झंडा ऊंचा कर रहे हैं या फिर यूं कहें कि यूपी की बिसात पर पश्चिम बंगाल की चौसर बिछ रही है.

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बंगाल में बसता है छोटा पूर्वांचल
मुम्बई से पहले कोलकाता मे ही देश की आर्थिक राजधानी थी. ऐसे में रोजगार की तलाश में लोग बंगाल गए. पूर्वांचल से भी बड़ी संख्या में लोग पश्चिम बंगाल गए. कोलकाता समेत कई शहरों में गोरखपुर, बस्ती, देवरिया, बलिया जैसे जिलों के लोग यहां दशकों से रह रहे हैं. वे बंगाल गए और वहीं के होकर रह गए। बावजूद इसके उन लोगों के तार अभी भी अपने गांवों से जुड़े हुए हैं. यही वजह है सीएम योगी के बाद जिन नेताओं को पश्चिम बंगाल में लगाया गया है, उनमें से अधिकतर पूर्वी उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखते हैं.


हिंदुत्व के कट्टर चेहरा होने की वजह से योगी की डिमांड
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भाजपा के पास राज्य स्तरीय नेताओं में एक ऐसे चेहरा हैं जिनकी स्वीकार्यता देश भर में है। योगी ने मुख्यमंत्री के रूप में उत्तर प्रदेश में चार साल पूरा कर लिए हैं। सरकार का अनुभव है। योगी गोरक्ष पीठाधीश्वर भी है। नाथ सम्प्रदाय से जुड़े लोग बंगाल में हैं। इसके अलावा योगी कट्टर हिंदुत्व के चेहरा भी माने जाते हैं। राम मंदिर का मुद्दा हो, धर्मांतरण का मुद्दा हो या फिर समान नागरिक संहिता की बात हो, योगी आदित्यनाथ खुलकर बोलते हैं। बिना परवाह किए हुए इन विषयों पर वह अपनी बात रखते हैं। उनकी इन्हीं बातों से प्रदेश ही नहीं देश का एक बड़ा वर्ग प्रभावित होता है। भारतीय जनता पार्टी उनकी इसी शैली को भुलाने के लिए पश्चिम बंगाल के रण में उतारा है। ताकि वह वहां की ममता सरकार के खिलाफ जोरदार प्रचार कर सकें। हिन्दू मतदाताओं को पार्टी के पक्ष में ला सकें।

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इसलिए केशव प्रसाद मौर्य बंगाल के लिए फिट
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी का एक ऐसे चेहरा हैं जो विश्व हिंदू परिषद में लंबे समय से जुड़े हुए हैं. जब राजनीतिक पारी शुरू की तो पहली बार 2012 में विधायक चुने गए. दो साल बाद ही 2014 में वह सांसद बने. वर्ष 2016 में यूपी भाजपा के अध्यक्ष बनाए गए. इनके ही नेतृत्व में 2017 में विधानसभा चुनाव हुए. भाजपा को प्रचंड बहुमत मिली. अब केशव हिंदुत्व के साथ ही पिछड़ों के बड़े नेताओं में शामिल हो गए. यूपी भाजपा में केशव सबसे बड़े पिछड़े नेता के रूप में जाने जाते हैं. केशव के पश्चिम बंगाल में जाने से कई समीकरण सध रहे हैं. मौर्य को बंगाल में पांच लोकसभा की 35 विधानसभा सीटों पर कमल खिलाने की जिम्मेदारी दी गयी है.

प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल
यूपी में 2017 का विधानसभा चुनाव तत्कालीन अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य और प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल के नेतृत्व में लड़ा गया था. बंसल अच्छे संगठनकर्ता के रूप में पहचान रखते हैं. भाजपा में आने से पहले उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में लंबे समय तक काम किया है. केंद्रीय नेतृत्व ने उनके अनुभव और सांगठनिक कौशल की वजह से ही उन्हें बंगाल चुनाव में लगाया है. बंसल के पास 51 विधानसभा क्षेत्र की जिम्मेदारी है. बंसल लगातार बंगाल के दौरे पर रह रहे हैं. बीच-बीच में लखनऊ आकर यूपी भाजपा के कार्यक्रमों की समीक्षा भी कर रहे हैं. गत 15 मार्च को भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में शामिल होने के बाद उसी दिन शाम को बंगाल के लिए निकल गए.

बंगाल में दिख रही यूपी के 2017 चुनाव की झलक
राजनीतिक विश्लेषक पीएन द्विवेदी कहते हैं कि वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में जिस प्रकार भारतीय जनता पार्टी ने यूपी की चुनावी बिसात बिछाई थी, उसी तरह पश्चिम बंगाल में दिखाई पड़ रहा है। पार्टी ने 2017 में दूसरे राज्यों के भाजपा नेताओं को यहां लगाया था. दूसरे दलों के बड़ी संख्या में नेताओं को तोड़कर भाजपा में शामिल किया था. पार्टी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में परिवर्तन यात्रा निकाली थी. उन यात्राओं के माध्यम से प्रदेश के सभी देशों को कवर किया गया था. मौजूदा समय में पश्चिम बंगाल के चुनावी रण में भाजपा की वह सारी रणनीति साफ दिखाई पड़ रही है. वहां भी परिवर्तन यात्रा निकाली जा रही है. दूसरे दल से तोड़कर नेताओं को लाया जा रहा है. देशभर के नेताओं को पश्चिम बंगाल में लगा दिया गया है.

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