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राजधानी के अस्पतालों में बेड खाली, फिर भी इलाज के लिए भटक रहे मरीज

राजधानी लखनऊ के अस्पतालों में बेड खाली हैं, फिर भी मरीज इलाज के लिए भटक रहे हैं. बता दें कि दो जून से ओपीडी-रूटीन सर्जरी शुरू करने के आदेश दिये गए हैं, लेकिन अन्य बीमारियों के मरीजों को अभी भी भटकना पड़ रहा है.

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Published : Jun 10, 2021, 1:45 AM IST

Updated : Jun 10, 2021, 12:12 PM IST

राजधानी के अस्पतालों में बेड खाली
राजधानी के अस्पतालों में बेड खाली

लखनऊ: राज्य में कोरोना का प्रकोप कम हो गया है. ऐसे में सामान्य चिकित्सकीय सेवाओं के बहाली के आदेश हो चुके हैं. बावजूद इसके इलाज की व्यवस्था पटरी पर नहीं आ सकी है. स्थिति यह है कि अस्पतालों में बेड खाली हैं, लेकिन गंभीर मरीज भटकने को मजबूर हैं. वहीं सरकार ने अभी तक खाली पड़े कोविड अस्पतालों को नॉन कोविड घोषित करने की जहमति नहीं उठाई.

प्रदेश में 23-24 मार्च से अस्पतालों की ओपीडी सेवाएं बंद कर दी गई थीं. साथ ही बड़े चिकित्सा संस्थानों से लेकर जिला अस्पतालों तक रूटीन सर्जरी बंद रहीं. इस दौरान लाखों ऑपरेशन टल गए. साथ ही तमाम मरीज ओपीडी में नहीं दिखा सके. अब कोरोना का प्रकोप कम हुआ. दो जून से ओपीडी-रूटीन सर्जरी शुरू करने के आदेश दिये गए हैं, लेकिन इनमें भी कई शर्तें लगा दी गईं. स्वास्थ्य विभाग ने अभी नेत्र रोग, ईएनटी व जनरल सर्जरी के ही ऑपरेशन की छूट दी है. वहीं अन्य बीमारी के मरीज भटक रहे हैं. यह हाल तब है जब अस्पतालों में हजारों बेड खाली हैं. ऐसे में यदि खाली पड़े कोविड अस्पतालों को नॉन कोविड कर दिया जाए तो मरीजों को राहत मिल सके.

सवा लाख रिजर्व बेड, आठ हजार मरीज भर्ती
प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा विभाग के मेडिकल कॉलेज में 12 हजार के बेड आरक्षित हैं. वहीं चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के अस्पतालों में 80 हजार के करीब बेड हैं. वहीं सरकारी व निजी अस्पताल मिलाकर सवा लाख से अधिक बेड कोविड के लिए रिजर्व हैं. इनमें 80 हजार ऑक्सीजन बेड हैं. यहां सिर्फ कोरोना के आठ हजार ही मरीज भर्ती हैं. ऐसे में सरकारी-निजी अस्पतालों में हजारों बेड खाली हैं. कई अस्पतालों में 7 से 10 दिन में एक भी मरीज भर्ती नहीं हुआ. यहां तैनात स्टाफ का भी नुकसान हो रहा है. वहीं गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीज इलाज के लिए भटक रहे हैं. उनके महीनों से ऑपरेशन तक नहीं हो पा रहे हैं.

क्या कहते हैं मरीज
अलीगंज निवासी अमित की मां लॉकडाउन के वक्त घर में खाना बनाते वक्त किचन में झुलस गईं थी. उस वक्त सिविल अस्पताल की इमरजेंसी में इलाज कराया, लेकिन घाव अभी तक नहीं भरे. ऐसे में बलरामपुर अस्पताल में बुधवार को प्लास्टिक सर्जरी के लिए गए, लेकिन डॉक्टर ने अभी प्लास्टिक सर्जरी की सेवाएं शुरू न होना बताकर लौटा दिया.

बाराबंकी निवासी मुकीम 65 वर्षीय हैं. उनके सभी दांत गिर चुके हैं. ऐसे में बुधवार को वह केजीएमयू की ओपीडी पहुंचे. यहां दंत संकाय के लिए पर्चा ही नहीं बना. स्टाफ ने बताया कि डेंचर व इम्प्लांटेशन की सेवाएं अभी शुरू नहीं हुईं.

राजधानी में बेड खाली, इलाज नहीं

अस्पताल कुल बेड खाली
उर्मिला30 29
आर आर सिन्हा425 425
सुषमा 20 20
एडवांस न्यूरो 24 24
के के हॉस्पिटल26 26
विनायक 30 30
जीसीआरजी31 31
मेट्रो 4040
किंग मेडिकल 30 30
कोवा 30 30
बलरामपुर320 311
आरएसएम 80 76
लोकबंधु 100 100
कैंसर संस्थान 30 28
केजीएमयू 4400 3500
लोहिया1012 800
पीजीआई 950 600

नॉन कोविड मरीजों के लिए ओपीडी शुरू कर दी गई है, जहां कोरोना के मरीज कम हैं, उन अस्पतालों से दूसरे अस्पताल में धीरे-धीरे मरीज शिफ्ट किए जा रहे हैं. इन वार्डों को विसंक्रमित कर दूसरी बीमारी के मरीजों को भर्ती किया जाएगा. कोविड के निजी अस्पतालों को भी नॉन कोविड अस्पताल घोषित करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है.
-डॉ. डीएस नेगी, डीजी हेल्थ

लखनऊ: राज्य में कोरोना का प्रकोप कम हो गया है. ऐसे में सामान्य चिकित्सकीय सेवाओं के बहाली के आदेश हो चुके हैं. बावजूद इसके इलाज की व्यवस्था पटरी पर नहीं आ सकी है. स्थिति यह है कि अस्पतालों में बेड खाली हैं, लेकिन गंभीर मरीज भटकने को मजबूर हैं. वहीं सरकार ने अभी तक खाली पड़े कोविड अस्पतालों को नॉन कोविड घोषित करने की जहमति नहीं उठाई.

प्रदेश में 23-24 मार्च से अस्पतालों की ओपीडी सेवाएं बंद कर दी गई थीं. साथ ही बड़े चिकित्सा संस्थानों से लेकर जिला अस्पतालों तक रूटीन सर्जरी बंद रहीं. इस दौरान लाखों ऑपरेशन टल गए. साथ ही तमाम मरीज ओपीडी में नहीं दिखा सके. अब कोरोना का प्रकोप कम हुआ. दो जून से ओपीडी-रूटीन सर्जरी शुरू करने के आदेश दिये गए हैं, लेकिन इनमें भी कई शर्तें लगा दी गईं. स्वास्थ्य विभाग ने अभी नेत्र रोग, ईएनटी व जनरल सर्जरी के ही ऑपरेशन की छूट दी है. वहीं अन्य बीमारी के मरीज भटक रहे हैं. यह हाल तब है जब अस्पतालों में हजारों बेड खाली हैं. ऐसे में यदि खाली पड़े कोविड अस्पतालों को नॉन कोविड कर दिया जाए तो मरीजों को राहत मिल सके.

सवा लाख रिजर्व बेड, आठ हजार मरीज भर्ती
प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा विभाग के मेडिकल कॉलेज में 12 हजार के बेड आरक्षित हैं. वहीं चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के अस्पतालों में 80 हजार के करीब बेड हैं. वहीं सरकारी व निजी अस्पताल मिलाकर सवा लाख से अधिक बेड कोविड के लिए रिजर्व हैं. इनमें 80 हजार ऑक्सीजन बेड हैं. यहां सिर्फ कोरोना के आठ हजार ही मरीज भर्ती हैं. ऐसे में सरकारी-निजी अस्पतालों में हजारों बेड खाली हैं. कई अस्पतालों में 7 से 10 दिन में एक भी मरीज भर्ती नहीं हुआ. यहां तैनात स्टाफ का भी नुकसान हो रहा है. वहीं गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीज इलाज के लिए भटक रहे हैं. उनके महीनों से ऑपरेशन तक नहीं हो पा रहे हैं.

क्या कहते हैं मरीज
अलीगंज निवासी अमित की मां लॉकडाउन के वक्त घर में खाना बनाते वक्त किचन में झुलस गईं थी. उस वक्त सिविल अस्पताल की इमरजेंसी में इलाज कराया, लेकिन घाव अभी तक नहीं भरे. ऐसे में बलरामपुर अस्पताल में बुधवार को प्लास्टिक सर्जरी के लिए गए, लेकिन डॉक्टर ने अभी प्लास्टिक सर्जरी की सेवाएं शुरू न होना बताकर लौटा दिया.

बाराबंकी निवासी मुकीम 65 वर्षीय हैं. उनके सभी दांत गिर चुके हैं. ऐसे में बुधवार को वह केजीएमयू की ओपीडी पहुंचे. यहां दंत संकाय के लिए पर्चा ही नहीं बना. स्टाफ ने बताया कि डेंचर व इम्प्लांटेशन की सेवाएं अभी शुरू नहीं हुईं.

राजधानी में बेड खाली, इलाज नहीं

अस्पताल कुल बेड खाली
उर्मिला30 29
आर आर सिन्हा425 425
सुषमा 20 20
एडवांस न्यूरो 24 24
के के हॉस्पिटल26 26
विनायक 30 30
जीसीआरजी31 31
मेट्रो 4040
किंग मेडिकल 30 30
कोवा 30 30
बलरामपुर320 311
आरएसएम 80 76
लोकबंधु 100 100
कैंसर संस्थान 30 28
केजीएमयू 4400 3500
लोहिया1012 800
पीजीआई 950 600

नॉन कोविड मरीजों के लिए ओपीडी शुरू कर दी गई है, जहां कोरोना के मरीज कम हैं, उन अस्पतालों से दूसरे अस्पताल में धीरे-धीरे मरीज शिफ्ट किए जा रहे हैं. इन वार्डों को विसंक्रमित कर दूसरी बीमारी के मरीजों को भर्ती किया जाएगा. कोविड के निजी अस्पतालों को भी नॉन कोविड अस्पताल घोषित करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है.
-डॉ. डीएस नेगी, डीजी हेल्थ

Last Updated : Jun 10, 2021, 12:12 PM IST
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