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अपराध रोकने के लिए फिर लागू होगी बीट प्रणाली: डीजीपी

यूपी पुलिस अब अपराध रोकने के लिए पुराने ढर्रे पर वापस आ रही है. पुलिस महानिदेशक ने फिर से बीट प्रणाली का गठन करने के लिए कहा है.

पुलिस महानिदेशक एचसी अवस्थी
पुलिस महानिदेशक एचसी अवस्थी
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Published : May 26, 2021, 5:55 PM IST

Updated : May 26, 2021, 8:20 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अपराध रोकने के लिए पुलिस अब पुराने ढर्रे पर लौट रही है. पुलिस महानिदेशक एचसी अवस्थी ने बीट प्रणाली को और प्रभावी बनाते हुए महत्वपूर्ण सूचनाओं के संग्रहण के लिए थाना प्रभारियों की जिम्मेदारी तय करने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा है कि थाना स्तर पर गांवों-मोहल्लों में चल रहे विवादों को बीट सब-इंस्पेक्टर और बीट कांस्टेबल द्वारा चिह्नित किया जाए और थाना प्रभारी द्वारा नियमित रूप से बीट बुक का निरीक्षण किया जाए.

पुराना तरीका ज्यादा कारगर
दरअसल, पुलिस आधुनिकता की राह पर है. अब पूरा विभाग सर्विलांस पर आश्रित है. अपराधी की लोकेशन से लेकर उन्हें पकड़ने के लिए जाल बिछाने का काम सर्विलांस टीम कर रही है. अगर अपराधी मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करता है तो पुलिस का नेटवर्क फेल हो जा रहा है. यहीं पर पुलिस को अपनी पुरानी बीट प्रणाली और मुखबिर तंत्र की याद आती है, जो अब टूट गया है.

जानकारी देते संवाददाता.

काफी कारगर होती है बीट प्रणाली
अपराधी समय के साथ बदलते तौर-तरीके अपनाकर पुलिस के लिए चुनौती खड़ी कर रहे हैं. इसे देखते हुए पुलिस को अपराध रोकने के लिए बीट प्रणाली का गठन करने की जरूरत पड़ी है. थानों में अपराधियों की सूची बनी है. संगठित अपराध करने वालों का इतिहास दर्ज है, हिस्ट्रीशीट खोली गई है. डीसीआरबी में अपराध सूचना, संगठित गिरोह, हिस्ट्रीशीटर का इतिहास होता है. बीट इंचार्ज को अपने क्षेत्र के अपराधियों का पूरा ब्योरा मालूम रहता है. बीट इंचार्ज मुखबिर तंत्र के जरिए शातिर अपराधियों की एक-एक हरकत पर निगरानी रखता है. ऐसे में बीट प्रणाली अपराध रोकने के लिए काफी कारगर होती है.

आपसी रंजिश के कारण हो रही हत्या पर लगाएं रोक
डीजीपी ने अपराध रोकने के लिए अब पुरानी व्यवस्था बीट प्रणाली लागू करने के निर्देश दिए हैं. सभी जोनल एडीजी, पुलिस आयुक्तों, आईजी-डीआईजी रेंज और जिलों के पुलिस कप्तानों के लिए दिशा-निर्देश में डीजीपी ने आपसी रंजिश के कारण हत्या जैसे अपराधों पर प्रभावी रोक लगाने के लिए कहा है. उन्होंने कहा है कि क्षेत्राधिकारी (सीओ) स्तर के अधिकारियों द्वारा सभी गांवों और मोहल्लों का भ्रमण कर इस बात की समीक्षा कर करें कि कहीं किसी प्रकार की रंजिश तो नहीं है. यदि कहीं रंजिश दिखाई देती है तो तत्काल आवश्यक निरोधात्मक कार्रवाई की जाए. हत्या की ऐसी घटनाएं, जिनका खुलासा नहीं हुआ है, उनका सीओ के निकट पर्यवेक्षण में खुलासा किया जाए.

विवाद की घटनाओं पर भी निगाह रखें बीट सब इंस्पेक्टर
डीजीपी ने कहा है कि थाना क्षेत्र में सामने आने वाली हर रंजिश को गांव और मोहल्लों के विवाद रजिस्टर में दर्ज किए जाएं और स्थलीय निरीक्षण भी किया जाए. बीट सब इंस्पेक्टर द्वारा अपनी-अपनी बीट के विवादों की निगरानी की जाए एवं वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा इसकी समीक्षा भी की जाए. उन्होंने अपराधिक छवि के व्यक्तियों पर सतर्क नजर रखने और प्रत्येक थाना क्षेत्र में पेशेवर हत्यारों और अवैध शस्त्र बनाने वालों को चिह्नित कर उनकी सतत निगरानी रखने के निर्देश भी दिए हैं.

नष्ट हो रहे पुराने दस्तावेज, कम्प्यूटर में नए मामले
सभी थानों में 52 महत्वपूर्ण रजिस्टर होते हैं. रजिस्टर नंबर 8 में ग्राम अपराध के संबंधित सूचनाएं दर्ज होती हैं. यह स्थाई रजिस्टर होता है. इनके अलावा 6 और स्थाई रजिस्टर होते हैं, जो थाना स्थापित होने के साथ ही प्रचलन में आते हैं. इसमें शुरुआत से लेकर वर्तमान के अपराध दर्ज किए जाते हैं. रजिस्टर नंबर 5 में संपत्ति संबंधित अपराध लिखा जाता है. 4 नंबर में अपराध से संबंधित जानकारियां दर्ज होती हैं. यह दोनों अस्थाई रजिस्टर हैं. पुलिस इन्हीं डाटा को उलट-फेर करके दर्ज करती रहती है. वर्ष 2019 में गैंगस्टर एक्ट के तहत 88 अभियोग दर्ज हुए थे. वर्ष 2020 में यह संख्या 73 हो गई. 15 अपराधियों की हिस्ट्रीशीट खोली गई. 4 माफियाओं का चिन्हांकन किया गया, 5 नए गैंग दर्ज हुए. 39 इनामिया की गिरफ्तारी की गई.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अपराध रोकने के लिए पुलिस अब पुराने ढर्रे पर लौट रही है. पुलिस महानिदेशक एचसी अवस्थी ने बीट प्रणाली को और प्रभावी बनाते हुए महत्वपूर्ण सूचनाओं के संग्रहण के लिए थाना प्रभारियों की जिम्मेदारी तय करने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा है कि थाना स्तर पर गांवों-मोहल्लों में चल रहे विवादों को बीट सब-इंस्पेक्टर और बीट कांस्टेबल द्वारा चिह्नित किया जाए और थाना प्रभारी द्वारा नियमित रूप से बीट बुक का निरीक्षण किया जाए.

पुराना तरीका ज्यादा कारगर
दरअसल, पुलिस आधुनिकता की राह पर है. अब पूरा विभाग सर्विलांस पर आश्रित है. अपराधी की लोकेशन से लेकर उन्हें पकड़ने के लिए जाल बिछाने का काम सर्विलांस टीम कर रही है. अगर अपराधी मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करता है तो पुलिस का नेटवर्क फेल हो जा रहा है. यहीं पर पुलिस को अपनी पुरानी बीट प्रणाली और मुखबिर तंत्र की याद आती है, जो अब टूट गया है.

जानकारी देते संवाददाता.

काफी कारगर होती है बीट प्रणाली
अपराधी समय के साथ बदलते तौर-तरीके अपनाकर पुलिस के लिए चुनौती खड़ी कर रहे हैं. इसे देखते हुए पुलिस को अपराध रोकने के लिए बीट प्रणाली का गठन करने की जरूरत पड़ी है. थानों में अपराधियों की सूची बनी है. संगठित अपराध करने वालों का इतिहास दर्ज है, हिस्ट्रीशीट खोली गई है. डीसीआरबी में अपराध सूचना, संगठित गिरोह, हिस्ट्रीशीटर का इतिहास होता है. बीट इंचार्ज को अपने क्षेत्र के अपराधियों का पूरा ब्योरा मालूम रहता है. बीट इंचार्ज मुखबिर तंत्र के जरिए शातिर अपराधियों की एक-एक हरकत पर निगरानी रखता है. ऐसे में बीट प्रणाली अपराध रोकने के लिए काफी कारगर होती है.

आपसी रंजिश के कारण हो रही हत्या पर लगाएं रोक
डीजीपी ने अपराध रोकने के लिए अब पुरानी व्यवस्था बीट प्रणाली लागू करने के निर्देश दिए हैं. सभी जोनल एडीजी, पुलिस आयुक्तों, आईजी-डीआईजी रेंज और जिलों के पुलिस कप्तानों के लिए दिशा-निर्देश में डीजीपी ने आपसी रंजिश के कारण हत्या जैसे अपराधों पर प्रभावी रोक लगाने के लिए कहा है. उन्होंने कहा है कि क्षेत्राधिकारी (सीओ) स्तर के अधिकारियों द्वारा सभी गांवों और मोहल्लों का भ्रमण कर इस बात की समीक्षा कर करें कि कहीं किसी प्रकार की रंजिश तो नहीं है. यदि कहीं रंजिश दिखाई देती है तो तत्काल आवश्यक निरोधात्मक कार्रवाई की जाए. हत्या की ऐसी घटनाएं, जिनका खुलासा नहीं हुआ है, उनका सीओ के निकट पर्यवेक्षण में खुलासा किया जाए.

विवाद की घटनाओं पर भी निगाह रखें बीट सब इंस्पेक्टर
डीजीपी ने कहा है कि थाना क्षेत्र में सामने आने वाली हर रंजिश को गांव और मोहल्लों के विवाद रजिस्टर में दर्ज किए जाएं और स्थलीय निरीक्षण भी किया जाए. बीट सब इंस्पेक्टर द्वारा अपनी-अपनी बीट के विवादों की निगरानी की जाए एवं वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा इसकी समीक्षा भी की जाए. उन्होंने अपराधिक छवि के व्यक्तियों पर सतर्क नजर रखने और प्रत्येक थाना क्षेत्र में पेशेवर हत्यारों और अवैध शस्त्र बनाने वालों को चिह्नित कर उनकी सतत निगरानी रखने के निर्देश भी दिए हैं.

नष्ट हो रहे पुराने दस्तावेज, कम्प्यूटर में नए मामले
सभी थानों में 52 महत्वपूर्ण रजिस्टर होते हैं. रजिस्टर नंबर 8 में ग्राम अपराध के संबंधित सूचनाएं दर्ज होती हैं. यह स्थाई रजिस्टर होता है. इनके अलावा 6 और स्थाई रजिस्टर होते हैं, जो थाना स्थापित होने के साथ ही प्रचलन में आते हैं. इसमें शुरुआत से लेकर वर्तमान के अपराध दर्ज किए जाते हैं. रजिस्टर नंबर 5 में संपत्ति संबंधित अपराध लिखा जाता है. 4 नंबर में अपराध से संबंधित जानकारियां दर्ज होती हैं. यह दोनों अस्थाई रजिस्टर हैं. पुलिस इन्हीं डाटा को उलट-फेर करके दर्ज करती रहती है. वर्ष 2019 में गैंगस्टर एक्ट के तहत 88 अभियोग दर्ज हुए थे. वर्ष 2020 में यह संख्या 73 हो गई. 15 अपराधियों की हिस्ट्रीशीट खोली गई. 4 माफियाओं का चिन्हांकन किया गया, 5 नए गैंग दर्ज हुए. 39 इनामिया की गिरफ्तारी की गई.

Last Updated : May 26, 2021, 8:20 PM IST
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