लखनऊ : हम जो भोजन खाते हैं. उससे हमारे शरीर को रक्त शर्करा प्राप्त होती है. डायबिटीज को अगर हम इलाज द्वारा नियंत्रित नहीं करें तो इसका असर हमारे शरीर के अन्य भागों जैसे किडनी (गुर्दा), आंख, फेफड़ा, ह्रदय और ब्लड प्रेशर पर पड़ता है. जब हमारे शरीर के हार्मोन इंसुलिन (बीटा सेल्स के अंदर पैंक्रियास से निकलने वाला हार्मोन) हमारे शरीर के साथ सही ताल-मेल नहीं बिठा पाता है तब यह बीमारी होती है.
यह बातें केजीएमयू के पलमोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. वेदप्रकाश ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहीं. उन्होंने बताया कि डायबिटीज से पीड़ित मरीजों की संख्या में दुनिया भर में भारत दूसरे नंबर पर हैं तो इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि डायबिटीज से पीड़ित मरीजों की संख्या हमारे उत्तर प्रदेश में कितनी हो सकती हैं. 10 में से दो व्यक्ति डायबिटीज से पीड़ित हैं. उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी समस्या यह है कि किसी को समझ में ही नहीं आता है कि उसे डायबिटीज है. डायबिटीज के शुरुआती लक्षण को मरीज पहचान नहीं पाते हैं. दुनिया भर में 57 फ़ीसदी लोगों को इस बात की जानकारी नहीं होती है कि उन्हें डायबिटीज है. डायबिटीज के कारण उन्हें अन्य जो दिक्कतें होती हैं और फिर डायग्नोज होता है. यह समस्या डायबिटीज से होती है. ऐसे लोगों को थोड़ी जागरूकता की जरूरत है. समय-समय पर अपनी शारीरिक जांच जरूर कराएं.
उन्होंने बताया कि पांच चीजें बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है. लंबाई, वजन, बीपी, शुगर और कोलेस्ट्रॉल. 35 साल की उम्र के बाद अपने जन्मदिन के दिन इन पांचों चीजों की जांच अनिवार्य रूप से कराएं. 20 साल से कम उम्र के बच्चों में भी डायबिटीज अब तेजी से हो रहा है. पहले यह था कि 40 उम्र के बाद ही डायबिटीज अधिकांश तौर पर होता था, लेकिन कोविड ने व्यक्ति के शरीर को बुरी तरह से प्रभावित किया है. यही कारण है कि कम उम्र के युवा व्यक्ति भी अब डायबिटीज के शिकार हो रहे हैं.
अगर किसी के माता-पिता दोनों को डायबिटीज है तो बच्चे में 90 फ़ीसदी चांस होता है कि वह भी डायबिटीज से पीड़ित होगा. अगर किसी के माता-पिता दोनों में से किसी एक को डायबिटीज है तो 50 फ़ीसदी चांस होता है कि बच्चे को डायबिटीज होगा. इसके अलावा अगर किसी के माता-पिता के सगे संबंधी (मामा, चाचा, दादा-दादी, नाना-नानी) को डायबिटीज है तो 25 फ़ीसदी चांस होता है कि बच्चे को डायबिटीज होगा. अगर आप अपना रहन-सहन व दिनचर्या ठीक रखते हैं तो 100 फ़ीसदी होता है कि आपकी पूरी जिंदगी बीत जाएगी, लेकिन कभी डायबिटीज नहीं होगा. इसलिए दिनचर्या मेंटेन रखें. जंक फूड कम खाएं, शुद्ध भोजन खाएं.
खाना खाने के बाद खाएं ताजे फल : डॉ. वेद ने बताया कि हमेशा से यह भ्रांतियां चली आ रही हैं कि खाली पेट फल खाना चाहिए, लेकिन अगर सही तरीका बताएं तो खाने के तुरंत बाद अगर कोई व्यक्ति फल का सेवन करता है तो फलों में जो फाइबर होते हैं. वह तेजी से व्यक्ति के शरीर में एक्टिव रहते हैं. खाने के बाद फल खाने का एक यह भी कारण है कि फल हमेशा खाने को डाइजेस्ट करने में सहायक होता है. इसलिए कोशिश यही होनी चाहिए कि खाना खाने के तुरंत बाद आप कोई भी एक फल जरूर खाएं.
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