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बारिश के मौसम में रहें अलर्ट, मौसमी बीमारियों से बरतें सावधानी

बारिश का मौसम बड़ा ही सुहावना होता है. मगर जितना यह मौसम सुहावना होता है उतना ही ज्यादा खतरनाक भी होता है, क्योंकि इस मौसम में न जाने कितनी बीमारियां घरों में दस्तक देने लगती है. मानसून के मौसम में हमने कई लोगों को वायरल से बीमार होते हुए भी देखा है. सबसे ज्यादा खतरा डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारी से है. जिससे भारत में लाखों लोग प्रभावित होते हैं.

मौसमी बीमारियों से बरतें सावधानी
मौसमी बीमारियों से बरतें सावधानी
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Published : Jul 31, 2021, 2:36 PM IST

लखनऊ: बारिश का मौसम सुहावना मौसम होता है. जितना यह मौसम सुहावना होता है उतना ही ज्यादा खतरनाक भी होता है, क्योंकि इस मौसम में न जाने कितनी बीमारियां घरों में दस्तक देने लगती है. मानसून के मौसम में हमने कई लोगों को वायरल से बीमार होते हुए भी देखा है. सबसे ज्यादा खतरा डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारी से है. जिससे भारत में लाखों लोग प्रभावित होते हैं. इसे हम वेक्टर जनित वायरल रोग कहते हैं, जो एडीस एजिप्टी नामक मच्छर से फैलता है​. यह मच्छर घरेलू वातावरण में एवं आसपास इकट्ठे साफ पानी में उत्पन्न होता है. स्वास्थ्य विभाग के द्वारा बतायी गई जानकारी के मुताबिक वर्तमान में राजधानी में डेंगू के 109 मरीज हैं. जबकि मलेरिया के मरीज अत्यधिक हैं, रोजाना ओपीडी में लगभग 10 से अधिक मरीज आते हैं. जिनमें मलेरिया के लक्षण होते हैं.



सिविल अस्पताल के डॉ. एस. देव बताते हैं कि डेंगू बुखार, जिसे आमतौर पर हड्डी तोड़ बुखार के रूप में भी जाना जाता है, एक फ्लू जैसी बीमारी है, जो डेंगू वायरस के कारण होती है. यह तब होता है, जब वायरस वाला एडीज मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है. यह रोग मुख्य रूप से गर्मी और बरसात के मौसम में एडीज मच्छर के काटने से होता है. जबकि जब संक्रमित मादा एनोलीज मच्‍छर किसी स्‍व‍स्‍थ्‍य व्‍यक्ति को काटता है तो वह अपने लार के साथ उसके रक्‍त मे मलेरिया परजीवियों को पहुंचा देता है. संक्रमित मच्‍छर के काटने के 10-12 दिनों के बाद उस व्‍यक्ति मे मलेरिया रोग के लक्षण दिखाई देना शुरू होता है.


डॉक्टर देव बताते हैं कि इस समय अस्पताल में संचारी रोग से पीड़ित बहुत सारे मरीज ओपीडी में इलाज के लिए आ रहे हैं. इसमें डेंगू बुखार और मलेरिया से पीड़ित मरीजों की संख्या ज्यादा है. छोटे बच्चों में भी मलेरिया के लक्षण ज्यादा दिखाई दे रहे हैं. रोजाना ओपीडी में 150 मरीज देखे जाते हैं. जिसमें से 50 से अधिक मरीज संचारी रोग से पीड़ित होते हैं. बरसात के मौसम में संचारी रोग अपना वापस आना शुरू कर देते हैं, क्योंकि इस मौसम में वायरल बैक्टीरिया जनित बीमारियां अधिक होती हैं. ऐसे में लोगों को भी थोड़ी सावधानियां बरतनी चाहिए.


ऐसे पहचानें डेंगू, मलेरिया में अंतर


डॉ. एस. देव बताते हैं कि डेंगू बुखार के लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, चकत्ते और मांसपेशियों और जोड़ों का दर्द शामिल है. गंभीर मामलों में, गंभीर रक्तस्राव और सदमे की स्थिति हो सकती है, जो जानलेवा भी सिद्ध हो सकती है. जबकि मलेरिया बुखार में ठंड के साथ बुखार और पसीना इसके लक्षण हैं, इसके लक्षण आमतौर पर संक्रमित मच्छर के काटे जाने के कुछ सप्ताह बाद दिखने लगते हैं.

संचारी बीमारियों से बचने के उपाय

  • मच्छरों से बचने के लिए घर के दरवाजों और खिड़कियों में लोहे की जाली लगवाएं.
  • कोशिश करें कि फुल पैंट और फुल स्लीव वाले कपड़े पहनें. आपका शरीर पूरी तरह ढका रहेगा और मच्छर नहीं काट सकेगा.
  • स्वच्छ व पेयजल ही पियें. अगर आप ऐसे इलाके में रहते हैं जहां पर पानी साफ सुथरा नहीं आता है तो आप पानी को गुनगुना करके पियें.
  • रोजाना 4 से 5 लीटर पानी पिए इससे शरीर में ग्लूकोज की कमी नहीं होगी.
  • अन-हाइजीनिक या स्ट्रीट फूड्स को नजरअंदाज करें. गंदे हाथों से बने और सड़क किनारे बने फूड्स अन-हाइजीनिक होता है.
  • मानसून या गर्मी में खुद को अच्‍छी तरह से हाइड्रेट रख कर आप वायरल जनित बीमारीयों को मात दे सकते हैं. नारियल पानी और जूस का सेवन करें.
  • घर के आसपास हमेशा सफाई रखें और पानी न जमा होने दें.
  • मच्छर पानी में ही अंडे देते हैं इसलिए कूलर की टंकी, आसपास के गड्ढों या ऐसी किसी भी जगह पानी जमा न होने दें.

लखनऊ: बारिश का मौसम सुहावना मौसम होता है. जितना यह मौसम सुहावना होता है उतना ही ज्यादा खतरनाक भी होता है, क्योंकि इस मौसम में न जाने कितनी बीमारियां घरों में दस्तक देने लगती है. मानसून के मौसम में हमने कई लोगों को वायरल से बीमार होते हुए भी देखा है. सबसे ज्यादा खतरा डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारी से है. जिससे भारत में लाखों लोग प्रभावित होते हैं. इसे हम वेक्टर जनित वायरल रोग कहते हैं, जो एडीस एजिप्टी नामक मच्छर से फैलता है​. यह मच्छर घरेलू वातावरण में एवं आसपास इकट्ठे साफ पानी में उत्पन्न होता है. स्वास्थ्य विभाग के द्वारा बतायी गई जानकारी के मुताबिक वर्तमान में राजधानी में डेंगू के 109 मरीज हैं. जबकि मलेरिया के मरीज अत्यधिक हैं, रोजाना ओपीडी में लगभग 10 से अधिक मरीज आते हैं. जिनमें मलेरिया के लक्षण होते हैं.



सिविल अस्पताल के डॉ. एस. देव बताते हैं कि डेंगू बुखार, जिसे आमतौर पर हड्डी तोड़ बुखार के रूप में भी जाना जाता है, एक फ्लू जैसी बीमारी है, जो डेंगू वायरस के कारण होती है. यह तब होता है, जब वायरस वाला एडीज मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है. यह रोग मुख्य रूप से गर्मी और बरसात के मौसम में एडीज मच्छर के काटने से होता है. जबकि जब संक्रमित मादा एनोलीज मच्‍छर किसी स्‍व‍स्‍थ्‍य व्‍यक्ति को काटता है तो वह अपने लार के साथ उसके रक्‍त मे मलेरिया परजीवियों को पहुंचा देता है. संक्रमित मच्‍छर के काटने के 10-12 दिनों के बाद उस व्‍यक्ति मे मलेरिया रोग के लक्षण दिखाई देना शुरू होता है.


डॉक्टर देव बताते हैं कि इस समय अस्पताल में संचारी रोग से पीड़ित बहुत सारे मरीज ओपीडी में इलाज के लिए आ रहे हैं. इसमें डेंगू बुखार और मलेरिया से पीड़ित मरीजों की संख्या ज्यादा है. छोटे बच्चों में भी मलेरिया के लक्षण ज्यादा दिखाई दे रहे हैं. रोजाना ओपीडी में 150 मरीज देखे जाते हैं. जिसमें से 50 से अधिक मरीज संचारी रोग से पीड़ित होते हैं. बरसात के मौसम में संचारी रोग अपना वापस आना शुरू कर देते हैं, क्योंकि इस मौसम में वायरल बैक्टीरिया जनित बीमारियां अधिक होती हैं. ऐसे में लोगों को भी थोड़ी सावधानियां बरतनी चाहिए.


ऐसे पहचानें डेंगू, मलेरिया में अंतर


डॉ. एस. देव बताते हैं कि डेंगू बुखार के लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, चकत्ते और मांसपेशियों और जोड़ों का दर्द शामिल है. गंभीर मामलों में, गंभीर रक्तस्राव और सदमे की स्थिति हो सकती है, जो जानलेवा भी सिद्ध हो सकती है. जबकि मलेरिया बुखार में ठंड के साथ बुखार और पसीना इसके लक्षण हैं, इसके लक्षण आमतौर पर संक्रमित मच्छर के काटे जाने के कुछ सप्ताह बाद दिखने लगते हैं.

संचारी बीमारियों से बचने के उपाय

  • मच्छरों से बचने के लिए घर के दरवाजों और खिड़कियों में लोहे की जाली लगवाएं.
  • कोशिश करें कि फुल पैंट और फुल स्लीव वाले कपड़े पहनें. आपका शरीर पूरी तरह ढका रहेगा और मच्छर नहीं काट सकेगा.
  • स्वच्छ व पेयजल ही पियें. अगर आप ऐसे इलाके में रहते हैं जहां पर पानी साफ सुथरा नहीं आता है तो आप पानी को गुनगुना करके पियें.
  • रोजाना 4 से 5 लीटर पानी पिए इससे शरीर में ग्लूकोज की कमी नहीं होगी.
  • अन-हाइजीनिक या स्ट्रीट फूड्स को नजरअंदाज करें. गंदे हाथों से बने और सड़क किनारे बने फूड्स अन-हाइजीनिक होता है.
  • मानसून या गर्मी में खुद को अच्‍छी तरह से हाइड्रेट रख कर आप वायरल जनित बीमारीयों को मात दे सकते हैं. नारियल पानी और जूस का सेवन करें.
  • घर के आसपास हमेशा सफाई रखें और पानी न जमा होने दें.
  • मच्छर पानी में ही अंडे देते हैं इसलिए कूलर की टंकी, आसपास के गड्ढों या ऐसी किसी भी जगह पानी जमा न होने दें.

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