लखनऊ: जिले में केजीएमयू के डॉक्टरों की एक टीम कोरोना को खत्म करने के लिए लगातार वैक्सीन की खोज में ट्रायल कर रही है. इसी कड़ी में अब केजीएमयू में कोरोना पर बीसीजी का ट्रायल शुरू हुआ है. बीते दिनों भी केजीएमयू ने कई प्लाज्मा विधि के तहत मरीजों को इलाज किया था.
वहीं अब केजीएमयू की ओर से बीसीजी (बेसिलस कैलेमिटी गुएरिन) का टीका कोरोनावायरस को रोकने में कितना कारगर है. इसका पता लगाने के लिए यहां ट्रायल शुरू हो गया है. चिकित्सा विश्वविद्यालय कोरोना संक्रमित मरीजों के संपर्क में आने वाले लोगों को बीसीजी का टीका लगाकर उसका असर देखा जाएगा. यह ट्रायल 3 से 6 महीने में पूरा होगा. इसके लिए ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से भी हरी झंडी मिल गई है. केजीएमयू की एथिकल कमेटी ने इसे मंजूरी दे दी है. ट्रायल वैक्सीन निर्माता कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के सहयोग से यह किया जा रहा है.
बच्चों को लगता है बीसीजी का टीका
ये बीसीजी का टीका नवजात शिशुओं को जन्म के तुरंत बाद लगाया जाता है.अमेरिका में एक शोध में यह सामने आया है कि बीसीजी का टीका जिन बच्चों को लगा है उन पर कोरोना वायरस नहीं पड़ता. इस बात पर चीन ने भी अपने अध्ययन में मुहर लगाई है कि बीसीजी का टीका जिन बच्चों को लगता है उन्हें कोरोना वायरस का खतरा कम है.
ऑस्ट्रेलिया के मॉडल ऑफ चिल्ड्रन सीटूट में भी 4 हजार लोगों पर बीसीजी का ट्रायल हो रहा है. इसी कड़ी में अब यूपी में भी यह जिम्मेदारी केजीएमयू ने उठाई है. केजीएमयू में नवजात शिशु से लेकर गर्भवती महिलाएं तक भर्ती हैं. जिन पर बीसीजी का ट्रायल केजीएमयू की ओर से किया जाएगा.
150 लोगों पर होगा बीसीजी का ट्रायल
इस वैक्सीन के ट्रायल में प्रमुख भूमिका निभाने वाले केजीएमयू के संक्रामक रोग के प्रभारी डॉ. हिमांशु ने बताया कि बीसीजी का ट्रायल कोरोना वैक्सीन की खोज हेतु किया जाएगा. इस कड़ी में डेढ़ सौ लोगों पर बीसीजी का ट्रायल करने की योजना है. इसके साथ-साथ तीन समूह बनाए जाएंगे, जिनमें अलग-अलग आयु, बीमारी के हिसाब से कोरोना संक्रमित मरीजों को बांटा जाएगा.