लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच द्वारा प्रदेश के नगर निकाय चुनावों की अधिसूचना जारी करने पर 12 दिसंबर को लगाई गई रोक 20 दिसंबर तक जारी रखने का आदेश दिया है. नगर निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण लागू करने में प्रक्रिया का पालन न करने का आरोप राज्य सरकार पर लगाते हुए, दाखिल जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति डीके उपाध्याय की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने यह आदेश दिया है. बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने जवाबी हलफनामा देने के लिए तीन दिन का समय दिए जाने की मांग की. जिसे न्यायालय ने मंजूर कर लिया.
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से किया जवाब तलब : निकाय चुनावों के सम्बंध में राज्य सरकार द्वारा 12 दिसंबर को शासनादेश जारी करते हुए, सभी जिलाधिकारियों को नगर निकायों के कार्यकाल खत्म होते ही प्रशासनिक व्यवस्था लागू करने का आदेश दिया गया है. उक्त शासनादेश के सम्बंध में अब हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार से पूछ लिया है कि उक्त शासनादेश किस प्रावधान के तहत जारी किया गया है. न्यायालय ने मामले में राज्य सरकार को 19 दिसंबर तक जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है. साथ ही प्रदेश के नगर निकाय चुनावों की अधिसूचना जारी करने पर 12 दिसंबर को लगाई गई रोक को अगली सुनवाई तक के लिए बढ़ा दिया है. मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी.
यह आदेश न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की खंडपीठ ने वैभव पांडेय की याचिका पर पारित किया. सुनवाई के दौरान याची की ओर से अधिवक्ता शरद पाठक ने कोर्ट को बताया कि 12 दिसंबर को राज्य सरकार द्वारा शासनादेश जारी करते हुए, जिलाधिकारियों को निकायों के कार्यकाल खत्म होते ही प्रशासनिक व्यवस्था लागू करने का आदेश दिया गया है. न्यायालय ने इस पर राज्य सरकार की ओर से पेश हुए अपर महाधिवक्ता विनोद कुमार शाही और अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता अमिताभ राय से पूछा कि उक्त शासनादेश यूपी म्युनिसिपालिटी एक्ट के किस प्रावधान के तहत जारी किया गया है. हालांकि राज्य सरकार की ओर से संतोषजनक उत्तर न मिलने पर न्यायालय ने जवाबी हलफनामे में इसे स्पष्ट करने को कहा है. इसके पूर्व अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता ने हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा. इस पर न्यायालय ने कहा कि आपको अब तक जवाब दाखिल कर देना चाहिए था.
वहीं नगर निकाय चुनाव को लेकर अब तक 14 याचिकाएं दाखिल की जा चुकी हैं. इन सभी को वैभव पांडेय की याचिका के साथ कनेक्ट कर दिया गया है. इन्हीं में से एक याचिका पिंकी किन्नर की ओर से भी दाखिल की गई है. उक्त याचिका में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी मामले में दिए गए निर्णय के आलोक में ट्रांसजेंडर्स के लिए सीटों को आरक्षित की जाने की मांग की गई है. न्यायालय ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि सभी याचिकाओं का उत्तर देते हुए राज्य सरकार एक जवाबी हलफनामा दाखिल कर सकती है.
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