लखनऊ : बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने समाजवादी पार्टी पर जोरदार प्रहार किया है. उन्होंने एक नारे को लेकर समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया है. वर्ष 1993 में सपा बसपा गठबंधन के सीएम बने मुलायम सिंह यादव पर भी मायावती ने हमला किया है. उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी दलितों, पिछड़ों और सवर्णों में से किसी के भी हितैषी नहीं है. बसपा को बदनाम करने की नीयत हमेशा से ही सपा की रही है.
बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने ट्वीट में लिखा कि सपा प्रमुख की मौजूदगी में ’मिले मुलायम-कांशीराम, हवा में उड़ गए जय श्रीराम’ नारे को लेकर रामचरित मानस विवाद वाले सपा नेता पर मुकदमा होने की खबर आज सुर्खि़यों में है. वास्तव में यूपी के विकास व जनहित के बजाय जातिवादी द्वेष एवं अनर्गल मुद्दों की राजनीति करना सपा का स्वभाव रहा है. यह हकीकत लोगों के सामने बराबर आती रही है कि वर्ष 1993 में बसपा के संस्थापक कांशीराम ने सपा-बसपा गठबंधन मिशनरी भावना के तहत बनाई थी, लेकिन उस समय मुलायम सिंह यादव के गठबंधन का सीएम बनने के बावजूद उनकी नीयत पाक-साफ न होकर बसपा को बदनाम करने व दलित उत्पीड़न को जारी रखने की रही. बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कहा कि इसी क्रम में उस दौरान अयोध्या, श्रीराम मंदिर व अपरकास्ट समाज आदि से सम्बंधित जिन नारों को प्रचारित किया गया था वे बीएसपी को बदनाम करने की सपा की शरारत व सोची-समझी साजिश थी. सपा की ऐसी हरकतों से खासकर दलितों, अन्य पिछड़ों व मुस्लिम समाज को सावधान रहने की सख्त जरूरत है.
बता दें, इन दिनों बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के बीच जोरदार बयानबाजी चल रही है. हाल ही में कांशीराम की प्रतिमा का अनावरण सपा मुखिया ने किया था. इसके बाद बसपा मुखिया ने निशाना साधा था. रामचरितमानस के मामले में समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की टिप्पणियों को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की तरफ से उन्हें न रोकने को लेकर भी बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने निशाना साधा है.
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