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लखनऊ में कोरोना की मार झेलते प्राइवेट हॉस्टल संचालक

यूपी की राजधानी लखनऊ में कोरोना संक्रमण फैलने के बाद से स्कूल और कॉलेजों को बंद कर दिया गया है. लॉकडाउन के बाद सारे छात्र अपने-अपने घर चले गए हैं. ऐसे में हॉस्टल संचालकों की आमदनी बंद हो गई है. संचालकों का कहना है कि अब घर-परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है.

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प्राइवेट हॉस्टल संचालकों ने बताई समस्या
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Published : Jul 18, 2020, 1:05 AM IST

लखनऊ: राजधानी में प्राइवेट हॉस्टल संचालकों के लिए दिन प्रतिदिन मुसीबत बढ़ती जा रही है. भारत में कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने के बाद से सरकार ने देश में लॉकडाउन का निर्देश दिया था. लगभग 3 महीने का लॉकडाउन के बाद लखनऊ के जितने भी प्राइवेट हॉस्टल हैं, उनके घर के खर्चे चलना मुश्किल हो गए हैं.

प्राइवेट हॉस्टल संचालकों ने बताई समस्या
हॉस्टल संचालकों ने बताई पीड़ा हॉस्टल संचालिका आरती का कहना है कि जितने भी राजधानी में हॉस्टल बने हुए हैं, उनमें ज्यादातर वही लोग हैं, जो पढ़ने-लिखने वाले बच्चे हैं. ज्यादातर बच्चे दूसरे शहर से अपनी पढ़ाई-लिखाई पूरी करने के लिए आते हैं. सभी लोग अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए रेंट पर रूम लेकर अपनी पढ़ाई पूरी करते हैं. हम लोग भी अपने हॉस्टल के रूम को रेंट पर देते थे, जिससे मिलने वाले पैसे से हम लोग अपने घर के खर्च और अपने बच्चों को पालते थे. लेकिन कोरोना काल में सब कुछ खत्म सा हो गया है.हॉस्टल संचालक अनुराग मिश्रा कहते हैं कि हम लोगों की कमाई का साधन हॉस्टल था, इसके अलावा कोई और काम नहीं था. देश में कोरोना वायरस फैलता ही जा रहा है. जब से सभी स्कूल और कॉलेज बंद हुए हैं तब से सभी बच्चे अपने-अपने घर पर हैं. कोरोना वायरस कब तक खत्म होगा, इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता है. ऐसे में हॉस्टल संचालकों की आमदनी बंद हो गई है.

हॉस्टल संचालिका नीतू बताती हैं कि कोई भी पेरेंट्स अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए अब लखनऊ नहीं भेजना चाहते, हालांकि सरकार का लॉकडाउन का फैसला जनता के लिए था, पर हम मध्यम वर्गीय परिवार वालों के लिए यह मुसीबत बनता जा रहा है. अगर इसी तरह से चलता रहा तो हम लोगों का खाना और घर-परिवार को चलाना मुश्किल हो जाएगा.

लखनऊ: राजधानी में प्राइवेट हॉस्टल संचालकों के लिए दिन प्रतिदिन मुसीबत बढ़ती जा रही है. भारत में कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने के बाद से सरकार ने देश में लॉकडाउन का निर्देश दिया था. लगभग 3 महीने का लॉकडाउन के बाद लखनऊ के जितने भी प्राइवेट हॉस्टल हैं, उनके घर के खर्चे चलना मुश्किल हो गए हैं.

प्राइवेट हॉस्टल संचालकों ने बताई समस्या
हॉस्टल संचालकों ने बताई पीड़ा हॉस्टल संचालिका आरती का कहना है कि जितने भी राजधानी में हॉस्टल बने हुए हैं, उनमें ज्यादातर वही लोग हैं, जो पढ़ने-लिखने वाले बच्चे हैं. ज्यादातर बच्चे दूसरे शहर से अपनी पढ़ाई-लिखाई पूरी करने के लिए आते हैं. सभी लोग अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए रेंट पर रूम लेकर अपनी पढ़ाई पूरी करते हैं. हम लोग भी अपने हॉस्टल के रूम को रेंट पर देते थे, जिससे मिलने वाले पैसे से हम लोग अपने घर के खर्च और अपने बच्चों को पालते थे. लेकिन कोरोना काल में सब कुछ खत्म सा हो गया है.हॉस्टल संचालक अनुराग मिश्रा कहते हैं कि हम लोगों की कमाई का साधन हॉस्टल था, इसके अलावा कोई और काम नहीं था. देश में कोरोना वायरस फैलता ही जा रहा है. जब से सभी स्कूल और कॉलेज बंद हुए हैं तब से सभी बच्चे अपने-अपने घर पर हैं. कोरोना वायरस कब तक खत्म होगा, इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता है. ऐसे में हॉस्टल संचालकों की आमदनी बंद हो गई है.

हॉस्टल संचालिका नीतू बताती हैं कि कोई भी पेरेंट्स अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए अब लखनऊ नहीं भेजना चाहते, हालांकि सरकार का लॉकडाउन का फैसला जनता के लिए था, पर हम मध्यम वर्गीय परिवार वालों के लिए यह मुसीबत बनता जा रहा है. अगर इसी तरह से चलता रहा तो हम लोगों का खाना और घर-परिवार को चलाना मुश्किल हो जाएगा.

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